Last Updated:October 01, 2025, 18:24 IST
Bihar Chunav: पवन सिंह की बीजेपी में वापसी से क्या शाहबाद में चुनावी समीकरण बदल जाएंगे? तेजस्वी यादव का 'एस-400 डिफेंस सिस्टम' क्या ध्वस्त कर देगा एनडीए का 'ड्रोन अटैक'?

पटना. बिहार चुनाव में भोजपुरी एक्टर पवन सिंह की वापसी से बीजेपी कितनी मजबूत होगी? क्या राजपूत वोटर्स बीजेपी के साथ और एकजुट होंगे? क्या पवन सिंह के बहाने बिहार चुनाव में एनडीए महागठबंधन के मजबूत गढ़ डेहरी-ऑन-सोन में ‘ड्रोन’ गिरा देगा? या फिर तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन का ‘एस-400 डिफेंस सिस्टम’ तैयार है? बीजेपी ने बिहार चुनाव 2025 में अब तक की सबसे बड़ी चाल चली है, जिससे महागठबंधन खेमे में हलचल मच गई है. बिहार का शाहाबाद क्षेत्र पिछले दो-तीन चुनावों से बीजेपी के लिए एक चुनौती रहा है. चाहे 2020 के विधानसभा चुनाव हो या 2024 का लोकसभा चुनाव, यहां एनडीए जातीय समीकरणों को साधने में पूरी तरह नाकाम रही. शाहाबाद की 24 विधानसभा सीटों में से बीजेपी ने पिछले चुनाव में मात्र दो सीटें जीती थीं. वहीं, 2024 के लोकसभा चुनाव में तो एनडीए का सूपड़ा साफ हो गया था. ऐसे में क्या पवन सिंह ‘ड्रोन’ बनकर तेजस्वी यादव पर वार करेंगे?
बिहार चुनाव में अब पारंपरिक राजनीतिक चालों की जगह हाई-टेक राजनीतिक वार-पलटवार का दौर शुरू हो गया है. भोजपुरी फिल्म अभिनेता पवन सिंह की बीजेपी में री-एंट्री को एनडीए की तरफ से एक ‘ड्रोन’ हमले के रूप में देखा जा रहा है, जिसका सीधा निशाना महागठबंधन का अभेद्य शाहबाद इलाका है. डेहरी-ऑन-सोन इसी क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे महागठबंधन का मजबूत किला माना जाता है. बीजेपी के इस मास्टर स्ट्रोक ने महागठबंधन खेमे में खलबली मचा दी है, और अब सबकी निगाहें तेजस्वी यादव पर टिकी हैं कि क्या वह इस ‘ड्रोन हमले’ का जवाब अपने ‘एस-400 डिफेंस सिस्टम’ यानी खेसारी लाल यादव को लाकर देंगे?
शाहबाद क्यों NDA के लिए दुखती रग
शाहबाद क्षेत्र, जिसमें रोहतास, कैमूर, बक्सर और भोजपुर जिले शामिल हैं. इस इलाके में लगभग 24 विधानसभा सीटें हैं. लेकिन बीते कुछ चुनावों से बीजेपी के लिए यह इलाका दुखती रग रहा है. अमित शाह ने हाल ही में इस क्षेत्र में कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाने के लिए पहुंचे थे. इसके बाद दिल्ली में सोमवार को इसकी पटकथा लिखी गई. पवन सिंह को पहले उपेंद्र कुशवाहा से मिलवाया गया फिर खुद अमित शाह मिलकर भावी रणनीति के बारे में बता दिया. पवन सिंह काम पर भी लग गए.
2020 विधानसभा चुनाव में क्या हुआ था?
2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए इन 24 सीटों में जातीय समीकरणों को साधने में पूरी तरह नाकाम रहा और बीजेपी को मात्र दो सीटें ही मिली थीं, जिससे यह किला महागठबंधन के नाम रहा. चिराग पासवान का साथ न लड़ना कई सीटों पर एनडीए को नुकसान किया था. 2024 के लोकसभा चुनाव में भी एनडीए का इस क्षेत्र में सूपड़ा साफ हो गया था. जिससे बीजेपी नेतृत्व पर इस क्षेत्र में एक उच्च-प्रभाव वाले उम्मीदवार को उतारने का दबाव बढ़ गया.
तेजस्वी का ‘एस-400’ डिफेंस सिस्टम-खेसारी लाल यादव
पवन सिंह की री-एंट्री इसी राजनीतिक कमजोरी को दूर करने की चाल है. वह एक राजपूत चेहरा होने के नाते शाहबाद के बड़े राजपूत वोटर्स को एकजुट करने का काम करेंगे, जो आरके सिंह की नाराजगी जैसे कारणों से छिटक रहे थे. एक सेलिब्रिटी होने के कारण वह युवा और महिला मतदाताओं को भी एनडीए की ओर आकर्षित कर सकते हैं. ठीक एक ड्रोन की तरह, जो दूर से आता है और अचूक निशाना लगाता है.
वहीं, बीजेपी के ‘ड्रोन’ के जवाब में तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाला महागठबंधन चुप नहीं बैठने वाला. ‘एस-400 डिफेंस सिस्टम’ राजनीतिक रूप से खेसारी लाल यादव के रूप में देखा जा रहा है, जो पवन सिंह के राजपूत फैक्टर का सीधा जवाब ओबीसी (पिछड़ी जाति) फैक्टर से देंगे. पवन सिंह के राजपूत होने के कारण, खेसारी लाल यादव को मैदान में उतारकर आरजेडी अपने यादव-एम वोट बैंक को मजबूत करेगी और अन्य पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों को साधने का प्रयास करेगी.
रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...
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First Published :
October 01, 2025, 18:24 IST