आठ प्रकार की संपत्ति

1 week ago

इस संसार का सबसे बड़ा भ्रम है – संपत्ति. दुनिया में इतनी असमानता है कि उसका कोई तार्किक कारण नहीं मिलता. कोई अफ्रीका में जन्म लेता है और रोटी के टुकड़े के लिए तरसता है, जबकि कहीं और रोटी इतनी अधिक है कि वह फेंकी जाती है. कोई कुत्ता आराम से घर में पलता है और कोई सड़क पर भटकता है. यही जीवन की विडंबना है. संपत्ति केवल धन-दौलत तक सीमित नहीं है. संपत्ति हमें उपहारस्वरूप मिलती है. इसके आठ प्रकार हैं –


1. भौतिक संपत्ति

सबसे पहली और सामान्यतः समझी जाने वाली संपत्ति है – भौतिक साधन. पैसा, जमीन-जायदाद, गाड़ियां और सुख-सुविधाएं. कोई बिना प्रयास के जन्म से ही यह सब पा जाता है, जैसे कोई फोर्ड परिवार में जन्मा हो. वहीं, कोई व्यक्ति जीवनभर मेहनत करता है फिर भी उतनी संपन्नता नहीं पा पाता. यह असमानता दिखाती है कि भौतिक संपत्ति मात्र से जीवन का रहस्य नहीं समझा जा सकता.


2. स्वास्थ्य रूपी संपत्ति

सिर्फ पैसा होना पर्याप्त नहीं. कुछ लोग बहुत अमीर होते हैं, लेकिन उन्हें मधुमेह या कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियां घेर लेती हैं, वे ठीक से खा-पी नहीं पाते. यह कैसी संपत्ति हुई? दूसरी ओर, किसान होते हैं, जिनके पास नकद पैसा भले न हो, लेकिन भरपूर अन्न और अच्छा स्वास्थ्य होता है. वे अच्छे से सोते हैं और किसी को भी भोजन करा सकते हैं. ऐसा व्यक्ति वास्तव में धनवान है, क्योंकि स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा खजाना है.


3. सफलता रूपी संपत्ति (विजयलक्ष्मी)

कुछ लोग संपन्न परिवार में जन्म लेते हैं, फिर भी जो भी करते हैं उसमें असफल रहते हैं. सफलता ही उनके पास नहीं होती. जबकि कोई साधारण व्यक्ति, सीमित साधनों के बावजूद, अपने हर प्रयास में सफल होता है. सफलता अपने आप में एक अलग तरह की संपत्ति है, जो जीवन को संतुलन और आत्मविश्वास देती है.


4. साहस रूपी संपत्ति

जीवन को एक रोमांचक खेल की तरह जीना चाहिए. जो गलती करने से डरते हैं, जिनमें कुछ नया करने का साहस नहीं, उनके पास चाहे कितना भी धन हो, उनके जीवन में रस नहीं रहेगा. साहस वह संपत्ति है जो हमें हर परिस्थिति में आगे बढ़ने की शक्ति देती है. साहसी व्यक्ति वास्तव में धनी है, चाहे उसके पास पैसा न भी हो.


5. मित्रता और अपनत्व रूपी संपत्ति

संपत्ति का पांचवां रूप है – अपनापन और मित्रता. दूसरों की परवाह करना और यह भाव रखना – ‘मैं सबका हूं, सब मेरे हैं.’ जिसके पास यह नहीं, वह चाहे अमीर क्यों न हो, भीतर से खाली रहता है. अक्सर पार्टियों में यही देखने को मिलता है. अमीर लोग दिखावे के लिए जाते हैं, पर भीतर से अकेले और असहज रहते हैं. वहां बनावटी मुस्कानें होती हैं, पर भीतर कठोरता. यह संपत्ति नहीं है. सच्ची संपत्ति है – अपनेपन का भाव. जहां आप सहज हों और दूसरों को सहज करें.


6. कौशल रूपी संपत्ति

कुछ लोग लेखन में दक्ष होते हैं, कुछ वाद-विवाद में, कुछ संगीत में, कुछ खाना बनाने में, कुछ बच्चों के पालन-पोषण या प्रशासन में. यह सब कौशल जीवन में एक अलग मूल्य जोड़ते हैं. प्रयास करना आवश्यक है, लेकिन केवल प्रयास ही काफी नहीं होता. कौशल का विकास करना भी संपत्ति है. यह व्यक्ति को सम्मान और आत्मविश्वास दोनों देता है. अलग-अलग प्रतिभाएं ही वास्तविक संपत्ति हैं. कई बार लोग कड़ी मेहनत करते हैं, परंतु यदि कौशल न हो, तो लक्ष्य प्राप्त नहीं होता.


7. गरिमा रूपी संपत्ति

संसार हमें बहुत कुछ सिखाता है. यदि हम विनम्रता से घास की तरह झुकना सीख लें, तो कोई हमें अपमानित नहीं कर सकता. जो सृष्टि की सेवा करते हैं, वही ईश्वर की दृष्टि में सच्चे राजा-रानी हैं. इसीलिए कहा गया है – राजा की तरह चलो और सेवक की तरह कार्य करो. यही वास्तविक गरिमा है जो धन से कहीं अधिक मूल्यवान है.


8. स्मृति रूपी संपत्ति (मूल की याद)

हम जानते हैं कि हम जन्मे हैं, लेकिन कैसे जन्मे, यह नहीं जानते. तीन-चार वर्ष की आयु के बाद ही हमें कुछ समझ आने लगता है. हमारी स्मृति सीमित है. इसी कारण हमें लगता है कि यही जीवन अंतिम है. जैसे ही हमें अपने स्रोत और अनंत अतीत का स्मरण होता है, पूरा जीवन बदल जाता है. यह वैसा ही है जैसे अचानक कोई अपनी छुपी हुई संपत्ति को पहचान ले. उस जागरूकता से व्यक्ति के चलने-फिरने का ढंग बदल जाता है. यही है मूल की स्मृति रूपी संपत्ति.

संपत्ति केवल पैसों या भौतिक साधनों का नाम नहीं है. वास्तविक संपत्ति है स्वास्थ्य, सफलता, साहस, मित्रता, कौशल, गरिमा और अपने मूल स्रोत की पहचान. जो इन्हें पहचानकर जीवन में उतार ले, वही सच्चा समृद्ध है.

(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi उत्तरदायी नहीं है.)

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