Last Updated:September 23, 2025, 10:21 IST
हर दिन औसतन 8000 लोगों से डिजिटल फ्रॉड, ताजा मामला दिल्ली में अब तक की सबसे बड़े ऑनलाइन फ्रॉड का है.

हैलो! मैं स्वाति बोल रही हूं. सामने से जो कॉल था वो एक महिला का था. ये कॉल एक रिटायर्ड बैंकर को आया, जो दिल्ली में रहते हैं. महिला ने पहले सामान्य बातें की और फिर रिटायर्ड बैंकर से कहा कि आपका मोबाइल नंबर फ्रॉड और अवैध कामों में इस्तेमाल हो रहा है. इसके बाद महिला ने डराना शुरू किया और कहा आपके पीछे मुंबई पुलिस, ED और CBI पड़ी है. इसके बाद फिर मुंबई पुलिस, ईडी और सीबीआई के नाम से कॉल आए, जिनमें कहा गया कि उनका नाम टेरर फंडिंग में जुड़ा है. ठगों ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ कर दिया मतलब घर में ही नजरबंद कर लिया और धीरे-धीरे 22.92 करोड़ बुजुर्ग से ऐंठ लिए. हमने मामले को समझने के लए स्वाति नाम का इस्तेमाल सिर्फ काल्पनिक तौर पर किया है.
दिल्ली का सबसे बड़ा ‘डिजिटल अरेस्ट‘ फ्रॉड
पीड़ित कौन है?: पीड़ित का नाम नरेश मल्होत्रा है, जो 78 साल के रिटायर्ड बैंकर हैं. उन्होंने सरकारी और प्राइवेट बैंकों में 50 साल काम किया और 2020 में रिटायर हुए. वे दक्षिण दिल्ली के गुलमोहर पार्क में रहते हैं. फ्रॉड के दौरान उन्होंने परिवार और दोस्तों से कुछ नहीं कहा और घर से बाहर नहीं निकले.
फ्रॉड कैसे हुआ?: 1 अगस्त को एक महिला ने फोन किया, जो खुद को टेलीकॉम कंपनी की अधिकारी बता रही थी. उसने कहा कि मल्होत्रा का मोबाइल नंबर फ्रॉड और अवैध कामों में इस्तेमाल हो रहा है. फिर मुंबई पुलिस, ईडी और सीबीआई के नाम से कॉल आए, जिनमें कहा गया कि उनका नाम टेरर फंडिंग में जुड़ा है. ठगों ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ का डर दिखाया, मतलब घर में ही नजरबंद रहना और हर दो घंटे में वीडियो कॉल पर रिपोर्ट करना. उन्होंने फर्जी आरबीआई सर्टिफिकेट और बेल ऑर्डर भेजे. मल्होत्रा को पैसे ‘सुरक्षा’ के तौर पर ट्रांसफर करने को कहा, वादा किया कि सुप्रीम कोर्ट और आरबीआई से वापस मिलेंगे.
पैसे कैसे ट्रांसफर हुए?: मल्होत्रा ने तीन बैंकों – सेंट्रल बैंक, एचडीएफसी बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक से 21 ट्रांजेक्शन में 22.92 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए. ये पैसे 16 अलग-अलग बैंक अकाउंट्स में गए, जो येस बैंक, इंडसइंड बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, यूनियन बैंक और एक्सिस बैंक के थे. ये अकाउंट उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्यों में थे, लेकिन दिल्ली में कोई नहीं.
पैसे का ट्रेल – 7 लेयर्स और 4,236 ट्रांजेक्शन: ठगों ने पैसे को छिपाने के लिए 7 लेयर्स में बांटा, मतलब कई स्तरों पर ट्रांसफर किया. जो पैसा लूटा उसे कुल 4,236 ट्रांजेक्शन के लिए अलग-अलग खातों में भेज दिया, जो ऐसे फ्रॉड में आम तरीका है ताकि पैसे का पता लगाना मुश्किल हो कि मुख्य सोर्स क्या है. पुलिस अभी तक इस ट्रेल की जांच कर रही है.
पुलिस की कार्रवाई: 19 सितंबर को मल्होत्रा ने शिकायत की, उसी दिन एफआईआर दर्ज हुई. दिल्ली पुलिस की आईएफएसओ ब्रांच ज्वाइंट कमिश्नर राजनीश गुप्ता की अगुवाई में जांच कर रही है. अब तक 2.67 करोड़ रुपये फ्रीज किए गए हैं. लेकिन रिपोर्ट देर से होने से ‘गोल्डन ऑवर’ खो गया, जिससे ठगों को पकड़ना और पैसे रिकवर करना मुश्किल है. अभी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई.
केस से जुड़ी चीजें
‘डिजिटल अरेस्ट‘ क्या है?: यह एक नया साइबर फ्रॉड है, जहां ठग खुद को पुलिस या जांच एजेंसी का अधिकारी बताते हैं और फोन पर डराकर कहते हैं कि आप गिरफ्तार हैं, लेकिन घर में रहकर सहयोग करें. वे वीडियो कॉल पर नजर रखते हैं और पैसे मांगते हैं. भारत में ऐसे मामले बढ़ रहे हैं, खासकर महानगरों जैसे दिल्ली में. सरकार ने जागरूकता के लिए अभियान चलाए हैं, जैसे ‘साइबर दोस्त’ और हेल्पलाइन नंबर 1930.
बैंक की भूमिका: मल्होत्रा ने अपने बैंक ब्रांच में जाकर ट्रांसफर किए. बैंक मैनेजरों को शक नहीं हुआ क्योंकि वे शांत लग रहे थे और चाय भी पीते थे. लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं कि बैंकों को बड़े ट्रांसफर पर सवाल पूछने चाहिए. भारतीय बैंकिंग सिस्टम में ऐसे फ्रॉड से बचाव के लिए नए नियम आ सकते हैं.
बुजुर्ग निशाने पर क्यों: भारत में साइबर फ्रॉड सालाना लाखों करोड़ का नुकसान कराते हैं. बुजुर्ग और रिटायर्ड लोग आसान निशाना बनते हैं क्योंकि वे तकनीक से कम वाकिफ होते हैं. दिल्ली जैसे शहरों में ऐसे मामले ज्यादा हैं क्योंकि यहां अमीर लोग ज्यादा हैं. सरकार ने साइबर सिक्योरिटी को मजबूत करने के लिए इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (आई4सी) बनाया है. इस मामले से सबक मिलता है कि अनजान कॉल पर विश्वास न करें और तुरंत पुलिस को बताएं.
ठगों की चालाकी: ठगों ने फर्जी दस्तावेज भेजे, जैसे आरबीआई सर्टिफिकेट और बेल ऑर्डर. उन्होंने मल्होत्रा से परिवार को न बताने का वादा लिया. 19 सितंबर को जब और 5 करोड़ मांगे, तो मल्होत्रा ने मना किया और ठगों ने कॉल काट दिया.
साल 2025 में एकदम से बढ़े मामले
2022 | 7,500 करोड़ | 2.5 लाख |
2023 | 11000 करोड़ | 4 लाख |
2024 | 22845 करोड़ | 7.4 लाख |
2025 (जून तक) | 7000 करोड़ | 24 लाख केस |
सबसे आम डिजिटल फ्रॉड
पूरा तंत्र समझें
साइबर क्राइम नेटवर्क: साइबर अपराध के लगभग 50% मामले दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों जैसे कंबोडिया, म्यांमार, वियतनाम, लाओस और थाईलैंड से संचालित किए जाते हैं.
ज्यादातर मामले: दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, चेन्नई जैसे बड़े शहरों में रहने वाले रिटायर्ड और बुजुर्ग लोग इनके निशाने पर हैं.
सरकारी कार्रवाई: अब तक 9.42 लाख से ज़्यादा सिम कार्ड और 2.6 लाख IMEI ब्लॉक, 24 लाख संदिग्ध खाते रिपोर्ट किए गए.
2025 में भारत में डिजिटल बैंकिंग फ्रॉड की संख्या तेजी से बढ़ी है. अधिकांश मामलों में एआई तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि धोखाधड़ी को छुपाया जा सके2025 में भारत में डिजिटल बैंकिंग फ्रॉड की संख्या तेजी से बढ़ी है.
Dushyant KumarAssociate Editor
Associate Editor, Network18 | Leading News18 App & Local-18 | Content Strategist | AI in News & Digital Media
Associate Editor, Network18 | Leading News18 App & Local-18 | Content Strategist | AI in News & Digital Media
न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
First Published :
September 23, 2025, 10:21 IST
QR स्कैन करें, डाउनलोड करें News18 ऐपया वेबसाइट पर जारी रखने के लिए यहां क्लिक करें