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सीमांचल से क्यों दूर है भाजपा? 4 में से 3 सीटें जेडीयू के पास, वजह मुस्लिम वोट या कुछ और...
सीमांचल की चारों लोकसभा सीटों पर मुस्लिम आबादी करीब-करीब 50 फीसदी है.
सीमांचल के लिए भाजपा ने भी इस बार बड़ी तैयारी की थी. अमित शाह सहित कई नेताओं के दौर भी पूर्णिया और किशनगंज के इलाकों मे ...अधिक पढ़ें
News18 हिंदीLast Updated : March 28, 2024, 20:03 ISTबिहार का सीमांचल मौजूदा राजनीति में खास अहमियत रखता है. इसकी बनावट और यहां की भौगोलिक स्थिति बाकी बिहार से अलग है. चुनाव में सभी राजनीतिक दलों की नजर सीमांचल पर खास तौर पर टिकी रहती है. सीमांचल में चार लोकसभा सीटें हैं, जिस पर एनडीए और महागठबंधन के साथ-साथ एआइएमआइएम ने भी पूरी ताकत लगा दी है. एनडीए में अररिया को छोड़ बाकी सभी सीटें जेडीयू के खाते में है. माना जाता है कि सीमांचल मुस्लिम बहुल इलाका है. इसी कारण यहां ज्यादातर सीटें जेडीयू कोटे में हैं. सीमांचल के लिए एनडीए ने उम्मीदवार तय कर लिया है. चार सीटों में से तीन पर जदयू और एक पर भाजपा के उम्मीदवार हैं. पूर्णिया से जदयू के संतोष कुशवाहा, किशनगंज से जदयू के मास्टर मुजाहिद, कटिहार से जदयू के दुलालचंद गोस्वामी और अररिया से भाजपा के प्रदीप कुमार सिंह मैदान में हैं.
सीमांचल के लिए भाजपा ने भी इस बार बड़ी तैयारी की थी. अमित शाह सहित कई नेताओं के दौर भी पूर्णिया और किशनगंज के इलाकों में हुए. बीजेपी ने मन बनाया था कि सीमांचल की सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारा जाए, लेकिन जदयू से समझौता होने के बाद उसे मन बदलना पड़ा. सीमांचल की जो सीटें पहले से जदयू के पास थीं उसी के खाते में चली गईं. इसका एक और बड़ा कारण भी है. यदि हम वहां की आबादी के आंकड़ों पर नजर डालें तो चारों जिले- किशनगंज, अररिया, पूर्णिया और कटिहार की कुल आबादी तकरीबन 1.08 करोड़ है.
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इलाके में 50 फीसदी मुस्लिम आबादी
इसमें से कुल 47 फीसदी लोग मुस्लिम हैं. बिहार में मुस्लिमों की कुल आबादी 17 फीसदी है. संख्या के हिसाब से देखें तो सीमांचल में 1.08 करोड़ जनसंख्या में से तकरीबन 50 लाख की आबादी मुसलमानों की है. 2011 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक मुस्लिम आबादी किशनगंज में सबसे अधिक 68 फीसदी, कटिहार में 44.5 फीसदी, अररिया में 43 फीसदी और पूर्णिया में 39 फीसदी है.
सीमांचल में सियासत हिंदू और मुसलमान को लेकर की जाती है. लेकिन, हिंदू समुदाय में जातियों की बात करें तो सबसे अधिक जनसंख्या यादव समुदाय की है. दूसरे नंबर पर मुसहर और तीसरे नंबर पर धोबी हैं. भाजपा इस क्षेत्र में दबदबा नहीं बना पाई है. उसके पीछे यह भी कारण है कि मुस्लिमों के अलावा जो हिंदू समुदाय के जो सबसे ज्यादा वोटर हैं, उसमें से कोई भी जाति भाजपा का पारम्परिक वोटर नहीं है.
2009 में जब बिहार में NDA ने नीतीश कुमार के चेहरे पर लोकसभा चुनाव लड़ा था तो किशनगंज को छोड़कर सभी सीट पर भाजपा की जीत हुई थी. ये जीत इसलिए हुई थी क्योंकि उस चुनाव में नीतीश कुमार के नाम पर उस क्षेत्र के मुसहर ही नहीं बल्कि यादव और यहां तक कि मुस्लिम ने भी एनडीए को वोट किया था.
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जदयू को मिलेगा फायदा
सीमांचल में बीजेपी के कम चुनाव लड़ने पर भाजपा नेता और बिहार सरकार के मंत्री दिलीप जायसवाल जो किशनगंज से ही विधान परिषद का चुनाव जीते हैं. उनका कहना है कि सीटिंग सीटें जेडीयू के खाते में चली गई है, जदयू से समझौता होने के पहले बीजेपी ने सीमांचल के लिए बड़ी तैयारी की थी. लेकिन, जदयू के साथ गठबंधन होने के बाद जदयू की सिटिंग सीट उन्हें दे दी गई, ऐसे में अब जदयू को भाजपा के द्वारा पूर्व में की गई तैयारी का बड़ा फायदा होगा.
सीमांचल में ज्यादातर सीटों पर जदयू के चुनाव लड़ने को लेकर जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार का कहना है कि सीमांचल में जदयू का बड़ा वोट बैंक है और इसी वोट बैंक के कारण जदयू यहां चुनाव लड़ते रही है. नीतीश कुमार के नाम पर जब भी हम चुनाव लड़े हैं सभी सीटों पर हमने चुनाव भी जीती है. भाजपा के साथ हमारा गठबंधन है, लिहाजा अररिया की सीट भाजपा के कोटे में है और इस बार भी एनडीए सीमांचल की सभी सीटों पर जीत हासिल करेगी.
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Tags: Loksabha Election 2024, Loksabha Elections, Purnia news
FIRST PUBLISHED :
March 28, 2024, 20:03 IST