बंगाल के चुनाव में सिराजुद्दौला और अंग्रेजों की जंग का मुद्दा गरमाया. (Image:News18)
LokSabha Election: पश्चिम बंगाल में कृष्णानगर लोकसभा सीट से बीजेपी की उम्मीदवार 'राजमाता' अमृता रॉय अपने उस रुख पर कायम ...अधिक पढ़ें
News18 हिंदीLast Updated : March 28, 2024, 19:03 ISTकोलकाता. पश्चिम बंगाल में कृष्णानगर लोकसभा सीट से बीजेपी की उम्मीदवार ‘राजमाता’ अमृता रॉय गुरुवार को भी अपने उस रुख पर कायम रहीं कि बंगाल के तत्कालीन राजा कृष्णचंद्र रॉय ने 1757 में प्लासी की लड़ाई के दौरान अंग्रेजों का साथ दिया था, क्योंकि नवाब सिराजुद्दौला एक अत्याचारी था और उसके शासन के दौरान सनातन धर्म खतरे में था. कृष्णचंद्र रॉय के परिवार से संबद्ध और चुनाव में पहली बार कदम रखने वाली अमृता रॉय की इस टिप्पणी ने विवाद पैदा कर दिया है. तृणमूल कांग्रेस यह प्रचार कर रही है कि तत्कालीन महाराजा ने एक सैन्य जनरल मीर जाफर का पक्ष लिया था, जिसने 1757 की प्लासी की लड़ाई में सिराजुद्दौला को हराने में अंग्रेजों को मदद की थी और बाद में राजा बने.
अमृता रॉय कृष्णानगर लोकसभा सीट पर तृणमूल की उम्मीदवार महुआ मोइत्रा के खिलाफ चुनाव मैदान में हैं. उन्होंने एक इंटरव्यू में यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के ‘कुशासन और भ्रष्टाचार’ ने उन्हें राजनीति में शामिल होने और राज्य के लिए विकास कार्य करने को मजबूर किया है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को रॉय से फोन पर बातचीत की. रॉय की शादी महाराजा कृष्णचंद्र रॉय के 39वें वंशज सौमिश चंद्र रॉय से हुई है. प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत को लेकर पार्टी की ओर से साझा की गई जानकारी के मुताबिक भाजपा की नेता रॉय ने प्रधानमंत्री से कहा कि उनके परिवार को गद्दार कहा जा रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि कृष्णचंद्र रॉय ने लोगों के लिए काम किया और ‘सनातन धर्म’ को बचाने के लिए अन्य राजाओं से हाथ मिलाया.
तृणमूल को पहले इतिहास पढ़ना चाहिए
अमृता रॉय ने कहा कि तृणमूल को आधारहीन टिप्पणी करने से पहले इतिहास पढ़ना चाहिए. उन्होंने कहा कि ‘आरोप है कि महाराजा कृष्णचंद्र राय ने अंग्रेजों का पक्ष लिया था. सवाल यह है कि उन्होंने ऐसा क्यों किया? ऐसा सिराजुद्दौला के अत्याचार के कारण हुआ. अगर महाराजा कृष्णचंद्र रॉय ने ऐसा नहीं किया होता, तो हिंदू धर्म और बांग्ला भाषा राज्य में नहीं बची होती.’ महाराजा कृष्णचंद्र रॉय का जन्म 1710 में हुआ था और उन्होंने 1783 तक शासन किया था. नादिया के इतिहास में वह एक प्रमुख व्यक्ति थे जिन्हें सिराजुद्दौला का विरोध करने और दुर्गा पूजा एवं जगधात्री पूजा जैसे सार्वजनिक त्योहारों को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है. उनके 55 वर्षों के शासन ने बंगाल के प्रशासनिक सुधारों पर भी अमिट छाप छोड़ी.
राजनीति में शामिल होना एक सोचा-समझा फैसला
तृणमूल कांग्रेस ने एक सोशल मीडिया अभियान शुरू किया है, जिसमें दावा किया गया है कि कृष्णचंद्र रॉय ने मीर जाफर, जगत सेठ और अन्य के साथ गठबंधन किया था और सिराजुद्दौला के खिलाफ लड़ाई में अंग्रेजों का पक्ष लिया था. रॉय ने कहा कि ‘सिराजुद्दौला के अत्याचार के कारण सनातन धर्म खतरे में था. महाराजा कृष्णचंद्र रॉय ने बंगाल और हिंदू धर्म को बचाया.’ रॉय ने तृणमूल पर ऐतिहासिक तथ्यों को गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि ‘राजनीति में शामिल होना एक सोचा-समझा निर्णय था. मैं एक अराजनीतिक व्यक्ति हूं, लेकिन मैं अनुरोध पर भाजपा में शामिल हुई हूं, क्योंकि यह एक अच्छा राजनीतिक मंच है. बंगाल में रहने वाले सभी लोग तृणमूल के कुशासन से तंग आ चुके हैं. लोग तृणमूल से खुश नहीं हैं.’
Lok Sabha Chunav 2024: वोटिंग से पहले आ गया चुनाव आयोग का बड़ा आदेश, मतदाताओं के लिए है बेहद खास
कृष्णानगर सीट पर 13 मई को मतदान
पेशे से फैशन डिजाइनर रॉय ने दावा किया कि प्रचार के दौरान उन्हें जिस तरह की प्रतिक्रिया मिल रही है, उससे उन्हें यह विश्वास है कि वह तृणमूल की महुआ मोइत्रा को हराकर भारी अंतर से जीत हासिल करेंगी. संदेशखालि मामले पर रॉय ने कहा कि ऐसी ‘शर्मनाक घटनाएं’ राज्य की जमीनी स्थिति को दर्शाती हैं. उन्होंने कहा कि अगर वह चुनाव जीतती हैं तो महिलाओं की शिक्षा और स्वास्थ्य उनका मुख्य केंद्रबिंदु होगा. कृष्णानगर लोकसभा सीट पर चौथे चरण में 13 मई को मतदान होगा.
.
Tags: 2024 Loksabha Election, Bengal BJP, Bengal news, Loksabha Election 2024, Loksabha Elections
FIRST PUBLISHED :
March 28, 2024, 19:03 IST