Last Updated:May 19, 2025, 06:47 IST
Private Operators In Nuclear Energy: भारत सरकार परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोलने की तैयारी में है. मानसून सत्र में इससे जुड़े कानून में संशोधन के लिए दो विधेयक पेश किए जाएंगे, जो निजी और विदेश...और पढ़ें

भारत सरकार परमाणु ऊर्जा सेक्टर को निजी सेक्टर के लिए खोलने की तैयारी में है.
हाइलाइट्स
भारत सरकार परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोलेगी.मानसून सत्र में दो विधेयक पेश किए जाएंगे.निजी और विदेशी निवेश को बढ़ावा मिलेगा.भारत सरकार एक बड़ा नीतिगत फैसला लेने जा रही है. इसके तहत वह देश के एक सबसे संवेदनशील सेक्टर को निजी कंपनियों के लिए खोलने की तैयारी में है. साथ ही इस सेक्टर में निवेश लुभाने के लिए कई अन्य बड़े फैसले किए जाएंगे. इसके लिए बाकायदा कानून में बदलाव किया जाएगा. दरअसल, भारत सरकार परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को खोलने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रही है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक मानसून सत्र में संसद में दो महत्वपूर्ण कानूनी संशोधन पेश किए जाएंगे. ये संशोधन परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी कंपनियों की भागीदारी और विदेशी निवेश को बढ़ावा देंगे. यह कदम भारत-अमेरिका नागरिक परमाणु समझौते को व्यावसायिक रूप से मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है जो लगभग दो दशक पहले हुआ था.
पहला संशोधन परमाणु जिम्मेदारी कानून में बदलाव से संबंधित है. इसके तहत किसी दुर्घटना की स्थिति में उपकरण आपूर्तिकर्ताओं की जिम्मेदारी को सीमित किया जाएगा. इसमें उनकी आर्थिक जिम्मेदारी को मूल अनुबंध की कीमत तक सीमित करना और जिम्मेदारी की समय सीमा तय करना शामिल है. दूसरा संशोधन निजी कंपनियों को परमाणु बिजली संयंत्रों के संचालन में शामिल होने की अनुमति देगा है. इसमें भविष्य में विदेशी कंपनियों को आगामी परियोजनाओं में अल्पमत हिस्सेदारी लेने का मौका भी मिल सकता है.
अभी तक भारत का परमाणु ऊर्जा क्षेत्र पूरी तरह सरकारी नियंत्रण में रहा है. केवल सरकारी कंपनियां जैसे न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL) और एनटीपीसी लिमिटेड ही इस क्षेत्र में काम कर सकती थीं. ये संशोधन विदेशी निवेश को आकर्षित करने में बाधा बन रहे कानूनी अड़चनों को दूर करेंगे. 2010 का नागरिक परमाणु क्षति जिम्मेदारी कानून दुर्घटना के पीड़ितों को मुआवजा देने और जिम्मेदारी तय करने के लिए बनाया गया था. लेकिन, विदेशी कंपनियों जैसे GE-हिताची, वेस्टिंगहाउस और फ्रांस की अरेवा (अब फ्रामाटोम) इस कानून को बेहद कड़ा मानती हैं. कंपनियों का कहना है कि यह कानून संचालकों की जिम्मेदारी को उपकरण आपूर्तिकर्ताओं पर डालता है, जिसके डर से वे भारत में निवेश करने से हिचक रही हैं.
निजी कंपनियों को अनुमति
1962 के परमाणु ऊर्जा अधिनियम में संशोधन कर निजी कंपनियों को परमाणु बिजली उत्पादन में संचालक के रूप में प्रवेश की अनुमति दी जाएगी. भविष्य में विदेशी कंपनियों को भी यह मौका मिल सकता है. सरकार ने इन दोनों कानूनों को पास करने का वादा किया है. इस साल के केंद्रीय बजट में इस दिशा में स्पष्ट आश्वासन दिया गया था, हालांकि इनमें से कम से कम एक बिल को पास करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है.
यह कदम अमेरिका के ऊर्जा विभाग के हाल के फैसले के बाद आया है. मार्च 2026 में अमेरिकी ऊर्जा विभाग ने न्यू जर्सी की कंपनी होल्टेक इंटरनेशनल को विशेष अनुमति दी जिससे भारत में छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) तकनीक के हस्तांतरण का रास्ता साफ हो गया. यह अनुमति अमेरिका के सख्त नियम ’10CFR810′ के तहत दी गई, जो पहले अमेरिकी कंपनियों को भारत में परमाणु उपकरण बनाने या डिजाइन कार्य करने से रोकता था. यह नियम भारत के लिए समस्या था क्योंकि वह SMR का निर्माण और घरेलू जरूरतों के लिए परमाणु घटकों का सह-उत्पादन करना चाहता था.
होल्टेक को मिली अनुमति से उसकी सहायक कंपनी होल्टेक एशिया, टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स लिमिटेड और लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड के साथ भारत में काम करने का रास्ता खुल गया. यह भारत-अमेरिका के बीच व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने का हिस्सा है, जिसके तहत दोनों देश एक व्यापार समझौते पर भी बातचीत कर रहे हैं. ये संशोधन भारत के परमाणु क्षेत्र को वैश्विक निवेश के लिए खोल सकते हैं और स्वच्छ ऊर्जा के लक्ष्यों को हासिल करने में मदद करेंगे.
न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...और पढ़ें
न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...
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