सऊदी अरब में भयानक फांसी का रिकॉर्ड, 1 साल में 340 लोगों को चढ़ा दिया फांसी

4 hours ago

saudi arab executions: सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान देश की सुधारवादी छवि पेश कर रहे हैं, लेकिन हाल के आंकड़े कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं. समाचार एजेंसी एएफपी के अनुसार, इस साल अब तक सऊदी अरब ने 340 लोगों को फांसी दी है. यह संख्या पिछले साल के रिकॉर्ड 338 को भी पार कर चुकी है.

मानवाधिकार संगठनों के आंकड़े
सऊदी गृह मंत्रालय के अनुसार, हाल ही में मक्का में तीन लोगों को हत्या के आरोप में फांसी दी गई हैं. मानवाधिकार संगठनों के आंकड़े थोड़ा अलग हैं. अलक्स्ट, एमनेस्टी इंटरनेशनल और रिप्रीव के अनुसार, 2024 में सऊदी अरब में 345 लोगों को फांसी दी गई थी.

ब्रिटेन स्थित संगठन अलक्स्ट की एक्टिविस्ट नादीन अब्दुलअजीज ने कहा कि यह आंकड़ा दिखाता है कि सऊदी अरब जीवन के अधिकार की उपेक्षा करता है और संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञों की बार-बार की गई अपीलों को नजरअंदाज कर रहा है. उन्होंने कहा कि फांसी की सजा कई बार बिना सही मुकदमा चलाए, जल्दबाजी में दी गई. कई लोगों को यातना दी गई और उनसे कबूलनामे लिए गए. फांसी पाए गए लोगों में ऐसे लोग भी शामिल हैं, जो अपराध के समय नाबालिग थे.

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ड्रग्स से जुड़े मामलों में अधिक फांसी 
इस साल दी गई फांसी में अधिकांश, यानी 232 लोग, ड्रग्स से जुड़े मामलों में फांसी पाए. इसके अलावा कई लोगों को आतंकवाद के आरोप में फांसी दी गई। सऊदी अरब में आतंकवाद की परिभाषा व्यापक और अस्पष्ट है. अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार केवल सबसे गंभीर अपराधों, जैसे जानबूझकर हत्या के मामलों में ही फांसी दी जा सकती है, इसलिए ड्रग्स मामलों में फांसी को लेकर अंतरराष्ट्रीय आलोचना भी हुई.

हाल के महीनों में सऊदी अरब ने दो ऐसे लड़कों को फांसी दी, जो अपराध के समय नाबालिग थे. अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के तहत नाबालिगों को मृत्युदंड देना प्रतिबंधित है. 2020 में सऊदी अधिकारियों ने वादा किया था कि नाबालिग दोषियों को फांसी से बचाया जाएगा, लेकिन हाल के वर्षों में कई मामलों में यह नियम भी लागू नहीं हुआ.

एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार, 2022, 2023 और 2024 में सऊदी अरब फांसी देने वाले देशों में तीसरे स्थान पर रहा. पहले स्थान पर चीन और उसके बाद ईरान है. सऊदी अरब में फांसी की बढ़ती संख्या और नाबालिगों को मृत्युदंड देना, अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों पर गंभीर सवाल खड़े करता है.

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