वैज्ञानिकों ने शहरों को शोर से मुक्ति दिलाने के बताए आसान तरीके, आप भी जानें

58 minutes ago

Last Updated:November 21, 2025, 19:44 IST

CSIR-CRRI, दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, IIT वाराणसी और नेशनल फिजिकल लैबोरेटरी ने शहरी शोर कम करने के लिए ‘मेक इन इंडिया’ मॉडल पर राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू किया. जिसमें वैज्ञानिकों ने इस समस्‍या से राहत देने के सुझाव दिए.

वैज्ञानिकों ने शहरों को शोर से मुक्ति दिलाने के बताए आसान तरीके, आप भी जानेंध्‍वनि प्रदूषण को लेकर दिल्‍ली में चल रहे राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते CSIR-CRRI के निदेशक मनोरंजन परीदा. साथ में वैज्ञानिक.

नई दिल्‍ली. सड़क-रेल का बढ़ता शोर अब लोगों की सेहत पर भारी पड़ रहा है. इसे रोकने के लिए देश के प्रमुख वैज्ञानिक और विशेषज्ञ दिल्ली में जुटे हैं. सीएसआईआर – सीआरआरआई (CSIR-CRRI) ने दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, आईआईटी वाराणसी और नेशनल फिजिकल लैबोरेटरी के साथ मिलकर दो दिन का राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू किया है. जिसका विषय है ‘शहरी क्षेत्रों में यातायात शोर मॉडलिंग और उसके समाधान के नए तरीके’ था. आज पहले दिन वैज्ञानिकों ने इस समस्‍या से राहत देने के सुझाव दिए.

सुबह उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि पर्यावरण मंत्रालय के श्री मनोमोहन सिंह नेगी ने कहा कि विकास पर्यावरण के साथ होना चाहिए, शोर एक खामोश प्रदूषण है, इसे गंभीरता से लेना होगा’ इस मौके पर सीएसआईआर – सीआरआरआई के निदेशक प्रो. मनोरंजन परिदा, आईआईटी वाराणसी के प्रो. बृंद कुमार ने भी संबोधन किया. इन्‍होंने भारत के लिए अपना अलग शोर मॉडल बनाने पर जोर दिया.

दिनभर चले तकनीकी सत्रों में वैज्ञानिकों ने बताया कि विदेशी मॉडल हमारे मिश्रित ट्रैफिक और लगातार हॉर्न बजाने की आदत पर काम नहीं करते. इसलिए ‘मेक इन इंडिया’ शोर मॉडल जल्द बनना चाहिए. डीटीयू के डॉ. राजीव मिश्रा ने रेलवे शोर का गरीब बस्तियों पर असर बताया. एनपीएल के डॉ. नवीन गर्ग ने हॉर्न की तेज आवाज पर सख्ती की वकालत की. प्रो. बृंद कुमार ने मध्यम शहरों के लिए अलग मॉडल की जरूरत बताई.सीआरआरआई के डॉ. नसीम अख्तर ने हैरान करने वाला आंकड़ा दिया. सीएसआईआर-सीआरआरआई के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. जे. वेलमुर्गन ने भी कई सुझाव दिए. इस मौके पर कई कंपनियों ने शोर रोकने वाले उपकरण दिखाए .

ये हैं मुख्य सुझाव

. रेलवे ट्रैक और हाईवे के पास शोर की दीवारें लगें.

. रात में मालगाड़ियां कम चलें.

. हॉर्न की अधिकतम आवाज और बार-बार बजाने पर पाबंदी हो.

. जंगल और वन्यजीव क्षेत्रों में भी शोर कम करने के उपाय हों.

. आम लोगों को शांत माहौल का हक समझाया जाए.

. वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर सरकार इन सुझावों को अमल में लाई, तो 5-10 साल में हमारे शहर काफी शांत और स्वस्थ हो जाएंगे. सम्मेलन का दूसरा दिन कल होगा, जिसमें और नई तकनीकों पर चर्चा होगी.

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Location :

New Delhi,New Delhi,Delhi

First Published :

November 21, 2025, 19:44 IST

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