Last Updated:September 03, 2025, 12:50 IST
Rupee vs Trade : भारतीय कारोबारी रुपये में आ रही गिरावट से खुश दिख रहे हैं. आखिर ऐसी उल्टी गंगा क्यों बह रही है और डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट आने से किस तरह उन्हें फायदा मिलने जा रहा है.

नई दिल्ली. ग्लोबल मार्केट में जारी उठापटक और टैरिफ के दबाव की वजह से भारतीय मुद्रा भी लगातार गिरती जा रही है. डॉलर के मुकाबले रुपया अने रिकॉर्ड लेवल तक गिर चुका है, जो अभी 88 रुपये से भी नीचे चला गया है. एक तरफ जहां रुपये में गिरावट आने से सभी परेशान हैं तो वहीं भारतीय निर्यातकों के चेहरे पर इससे खुशी दिख रही है. आखिर रुपये में गिरावट आने ऐसा क्या फायदा मिलने जा रहा जो निर्यातक इसे अपने हक में बता रहे. चलिए, समझते हैं कि भारतीय मुद्रा में गिरावट से सिर्फ नुकसान ही नहीं, कुछ फायदे भी होते हैं.
भारतीय निर्यातकों का कहना है कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये के रिकॉर्ड 88 के स्तर से नीचे आने से वैश्विक बाजारों में मूल्य के लिहाज से भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ेगी. इससे निर्यातकों को अमेरिकी बाजार के अलावा दूसरे बाजारों में पैठ बढ़ाने में मदद मिलेगी. अमेरिकी टैरिफ से हुए नुकसान की भरपाई कुछ हद तक इससे होने की संभावना है. रुपये में गिरावट से रत्न एवं आभूषण, पेट्रोलियम और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे आयात पर निर्भर क्षेत्रों को कच्चे माल की लागत में वृद्धि के कारण कम लाभ मिलेगा, लेकिन बाकी क्षेत्रों में इससे फायदा मिल सकता है.
फियो ने भी जताई खुशी
पिछले सप्ताह शुक्रवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर 88 से नीचे चला गया था. मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 88.15 के स्तर पर था. निर्यातकों के शीर्ष संगठन फियो के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा कि इससे वैश्विक बाजारों में मूल्य के लिहाज से भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ेगी. इन उत्पादों की कीमत भी ग्लोबल मार्केट में बढ़ जाएगी, जिससे टैरिफ से हुए नुकसान की कुछ हद तक भरपाई हो सकती है.
रुपये का कौन सा लेवल सही रहेगा
कानपुर स्थित ग्रोमोर इंटरनेशनल लिमिटेड के प्रबंध निदेशक यादवेंद्र सिंह सचान ने कहा कि रुपये का संतुलित मूल्य निर्यातकों और आयातकों दोनों के लिए फायदेमंद है. मूल्य में कोई भी उतार-चढ़ाव दोनों के लिए अच्छा नहीं है. रुपये में ज्यादा गिरावट आने से कुछ हद तक निर्यातकों को फायदा मिल सकता है, लेकिन आयातकों पर इसका उल्टा असर होगा. लिहाजा मौजूदा परिदृश्य में प्रति डॉलर रुपये का भाव 85 तक ही ठीक रहेगा. इससे आयातक और निर्यातक दोनों को लाभ मिलेगा.
कैसे मिलता है रुपये में गिरावट का फायदा
ग्लोबल मार्केट में कारोबार डॉलर में ही होता है, चाहे खरीदें या बेचें. जब कोई भारतीय निर्यातक अपना सामान बेचता है तो उसकी कीमत पहले रुपये में लगाई जाती है और फिर उसी के अनुपात में डॉलर में भुगतान किया जाता है. चूंकि, अभी भारतीय मुद्रा डॉलर के मुकाबले काफी ज्यादा हो गई है तो निर्यातकों को अपने सामान की ज्यादा कीमत भी मिल जाएगी. यही वजह है कि रुपये में गिरावट आने के बावजूद निर्यातक खुद को फायदे में बता रहे हैं.
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
September 03, 2025, 12:50 IST