Last Updated:September 03, 2025, 12:50 IST
पाली जिले के झंवर जाटावास में गोगा नवमी पर 60 वर्षों से चला आ रहा पारंपरिक मेला आयोजित हुआ, इस मेले की सबसे खास पहचान लोहे की चैन से कोड़े बरसाने की अनूठी परंपरा है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु उमड़त...और पढ़ें

Jodhpur: झंवर जाटावास में गोगा नवमी के अवसर पर आयोजित यह मेला 60 वर्षों से लगातार आयोजित किया जा रहा है, इसकी शुरुआत करीब 85 वर्ष पूर्व नेनाराम कालीराणा और गोमाराम मुंडन भाडु खुर्द द्वारा की गई थी, कालीराणा जाट समाज के संरक्षण में आयोजित यह मेला आज भी आस्था और परंपरा की अद्भुत मिसाल माना जाता है
इस मेले की सबसे खास पहचान लोहे की चैन से कोड़े बरसाने की परंपरा है, युवा और बुजुर्ग श्रद्धालु इस अनोखी रस्म में पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ भाग लेते हैं, यह दृश्य देखने के लिए दूर-दराज़ से हजारों लोग झंवर पहुंचते हैं, इसे न सिर्फ धार्मिक आस्था बल्कि वीरता और साहस की परंपरा के रूप में भी देखा जाता है
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
मेले की शुरुआत केसरिया कंवरजी की मूर्ति स्थापना और पूजा अर्चना के साथ होती है, इसके बाद श्रद्धालु भजन कीर्तन, लोकगीत और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का आनंद लेते हैं, यहां की धार्मिक रौनक और लोक परंपराएं लोगों को अपनी जड़ों से जोड़ती हैं, यही वजह है कि यह आयोजन केवल धार्मिक नहीं बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व भी रखता है
सांस्कृतिक मेलजोल और उत्सव
मेले में पारंपरिक वेशभूषा में सजे लोग, खानपान के स्टॉल और लोकनृत्य पूरे आयोजन को खास बना देते हैं, कालीराणा जाट समाज के वरिष्ठ लोग बताते हैं कि यह मेला युवाओं को अपनी सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ने और आपसी मेलजोल बढ़ाने का अनूठा अवसर है
सुरक्षा और व्यवस्था
स्थानीय प्रशासन और पुलिस अधिकारी मेले की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं, नागरिक संगठनों की मदद से व्यवस्था को और मजबूत बनाया जाता है, ताकि सभी श्रद्धालु बिना किसी परेशानी के इस परंपरा का आनंद उठा सकें
श्रद्धालुओं का उत्साह
हर साल की तरह इस बार भी श्रद्धालु बड़ी संख्या में यहां पहुंचे, यह आयोजन झंवर ही नहीं बल्कि आसपास के गांवों के लिए भी गर्व और पहचान का विषय बन चुका है, गोगा नवमी का यह मेला राजस्थान की धार्मिक आस्था, सांस्कृतिक धरोहर और वीरता की अनूठी मिसाल है
Location :
Jodhpur,Jodhpur,Rajasthan
First Published :
September 03, 2025, 12:50 IST