मेहुल चोकसी की प्रत्यर्पण प्रक्रिया में चमक आई, पीएनबी घोटाले से जुड़ी 5 बातें

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Last Updated:October 18, 2025, 17:39 IST

हीरा व्यापारी मेहुल चोकसी के पीएनबी घोटाले में बेल्जियम कोर्ट ने प्रत्यर्पण मंजूर किया. हालांकि चोकसी 15 दिन में सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकता है. जानें इस मामले से जुड़ी 5 बातें.

मेहुल चोकसी की प्रत्यर्पण प्रक्रिया में चमक आई, पीएनबी घोटाले से जुड़ी 5 बातेंगृह मंत्रालय ने बेल्जियम को मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण पर हिरासत की शर्तों का आश्वासन दिया है.

गिरफ्तारी के पांच महीने बाद बेल्जियम के एंटवर्प की एक अदालत ने 13,000 करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक (PNB) लोन धोखाधड़ी मामले में वांछित भगोड़े हीरा व्यापारी मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी. चोकसी अब अगले 15 दिनों में बेल्जियम के सुप्रीम कोर्ट में अपील कोर्ट के प्रारंभिक फैसले के खिलाफ अपील कर सकता है. यह आदेश भारत सरकार द्वारा बेल्जियम सरकार को दिए गए एक आश्वासन पत्र के एक महीने बाद आया है. जिसमें उन परिस्थितियों का उल्लेख था जिनमें भगोड़े हीरा व्यापारी को प्रत्यर्पित किए जाने पर भारत में कैद किया जाएगा. 

हीरा व्यापारी परिवार से ताल्लुक रखने वाले चोकसी ने गीतांजलि समूह के तत्वावधान में अपने पारिवारिक बिजनेस का विस्तार किया और देश-विदेश में फैंसी स्टोर खोले. उन्होंने अपने भतीजे नीरव मोदी के साथ मिलकर इसको चलाया और मार्केटिंग पर खूब पैसा खर्च किया, जिसमें केट विंसलेट और रोज़ी हंटिंगटन-व्हाइटली जैसी हस्तियों के विज्ञापन शामिल थे. इसका अधिकांश हिस्सा पीएनबी से मिले कर्ज से जुटाया गया था.

चोकसी के खिलाफ मामला
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अनुसार दोनों ने अपने उधार नहीं चुकाने का विकल्प चुना. उन्होंने बैंक अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके 2014 से 2017 के बीच मुंबई में पीएनबी की ब्रैडी हाउस शाखा से धोखाधड़ी से समझौता पत्र (एलओयू) हासिल कर लिए. उन्होंने अपने बिजनेस और व्यक्तिगत संपत्ति का विस्तार करने के लिए उधार लेने के लिए एलओयू का इस्तेमाल किया. जबकि एलओयू का भुगतान तीन महीने में किया जाना था, लेकिन सांठगांठ करने वाले बैंक अधिकारियों ने ब्याज सहित इनका नवीकरण कर दिया, जिससे दोनों जौहरियों के लिए नकदी का निरंतर प्रवाह सुनिश्चित हो गया, जबकि कर्ज बढ़ता ही जा रहा था.

13,500 करोड़ का नुकसान
जब तक पीएनबी को अनियमितताओं का पता चला और उसने सीबीआई से संपर्क किया तब तक चोकसी और मोदी दोनों बैंक को 13,500 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान पहुंचाकर देश छोड़कर भाग चुके थे. अकेले चोकसी पर बैंक को 6,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की चपत लगाने का आरोप है. मामला दर्ज होने के बाद ईडी ने चोकसी की संपत्ति को जब्त कर लिया. इसमें उसके स्टोर में रखे हीरे भी शामिल हैं. ईडी ने दावा किया कि इनका मूल्य 5,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है. हालांकि, प्रयोगशाला में की गई जांच में पता चला कि ज्यादातर हीरे नकली थे. चोकसी की सभी संपत्तियों और निवेशों सहित उसकी संपत्ति का वास्तविक मूल्य आज लगभग 2,500 करोड़ रुपये है.

चोकसी और नीरव मोदी के खिलाफ आरोप
चोकसी को सीबीआई और ईडी दोनों द्वारा आपराधिक कार्यवाही का सामना करना पड़ रहा है. 2018 में सीबीआई ने पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) द्वारा प्राप्त एक शिकायत के आधार पर चोकसी और गीतांजलि जेम्स सहित उनकी फर्मों को नामजद किया था, जिसमें कथित तौर पर उनके पक्ष में धोखाधड़ी वाले लेटर ऑफ अंडरटेकिंग जारी करने के कारण बैंक को नुकसान हुआ था. इसके बाद ईडी ने शिकायत दर्ज कर आरोप लगाया कि चोकसी और अन्य लोग अपराध की आय को विदेशी खातों में मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल थे. चोकसी पर मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की धोखाधड़ी, आपराधिक षड्यंत्र और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है. 

नीरव मोदी पर भी इसी तरह के एक मामले में आरोप लगाया गया है कि दोनों ने करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी को अंजाम देने के लिए पीएनबी के कुछ अधिकारियों के साथ मिलीभगत की. भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम के तहत ईडी द्वारा 2018 में की गई अपील अभी भी लंबित है. अगर चोकसी को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित कर दिया जाता है और वह भारत नहीं लौटता है तो उसके खिलाफ मुकदमा शुरू होने से पहले ही उसकी संपत्ति जब्त की जा सकती है.

चोकसी बेल्जियम कैसे पहुंचा?
चोकसी शुरू में पूर्वी कैरिबियन के एंटीगा और बारबुडा में था, जहां घोटाला सामने आने के बाद वह भाग गया था. उसने नवंबर 2017 में एक निवेश-नागरिकता कार्यक्रम के तहत देश की नागरिकता ले ली थी. ईडी के अनुसार वह मामले में एफआईआर दर्ज होने से कुछ दिन पहले 2 जनवरी, 2018 को भारत छोड़ गया था. ध्यान देने वाली बात यह है कि भारत की एंटीगा और बारबुडा के साथ कोई प्रत्यर्पण संधि नहीं है, लेकिन 2001 से ही प्रत्यर्पण व्यवस्था लागू है. चोकसी को कानूनी तरीकों से प्रत्यर्पित करने के प्रयास किए जाने के बावजूद 2021 में भारत पर चोकसी को देश वापस लाने के लिए एक गुप्त अभियान की साजिश रचने का आरोप लगा. उस मई में उसके परिवार और वकीलों ने आरोप लगाया कि 23 मई को एक हंगेरियन महिला के जरिए उसे भारतीय एजेंटों ने अगवा कर लिया था. इसके बाद कथित तौर पर दो भारतीयों ने उसे एक नौका में डोमिनिका पहुंचाया, जहां बाद में उसे अवैध प्रवेश के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया. भारत ने डोमिनिका से प्रत्यर्पण की अपील की, लेकिन चोकसी को वापस एंटीगा और बारबुडा भेज दिया गया.

2024 में, चोकसी कैंसर के इलाज के लिए बेल्जियम के एंटवर्प शहर में स्थानांतरित हो गया. उसकी पत्नी प्रीति बेल्जियम की नागरिक है और उसने कथित तौर पर देश में रहने के लिए ‘एफ कार्ड’ प्राप्त कर लिया है जो यूरोपीय संघ के नागरिकों के परिवार के सदस्यों को जारी किया जाता है. सीबीआई के प्रत्यर्पण अनुरोध के बाद उसे 11 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था और तब से वह एंटवर्प जेल में बंद है. पिछले महीने बेल्जियम की एक अदालत ने प्रत्यर्पण सुनवाई से ठीक पहले चोकसी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी.

क्या है प्रत्यर्पण प्रक्रिया
प्रत्यर्पण एक औपचारिक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से एक देश किसी अपराध के आरोपी या दोषी व्यक्ति को दूसरे देश को सौंपता है. यह सुनिश्चित करता है कि कोई व्यक्ति सीमा पार करके मुकदमे से बच न सके. विदेश मंत्रालय के अनुसार भारत की 48 देशों के साथ प्रत्यर्पण संधियां हैं और 12 अतिरिक्त देशों के साथ प्रत्यर्पण व्यवस्थाएं (औपचारिक संधि के बिना) हैं. भारत और बेल्जियम के बीच 1901 से एक प्रत्यर्पण संधि है, जो वित्तीय अपराधों सहित “दोहरे अपराध” के आधार पर प्रत्यर्पण पर जोर देती है. दोहरे अपराध का अर्थ है कि किसी व्यक्ति का प्रत्यर्पण तभी किया जा सकता है जब उसका अपराध दोनों संबंधित क्षेत्राधिकारों में दंडनीय हो. 

हालांकि, यह संधि राजनीतिक प्रकृति के अपराधों या ऐसे मामलों में प्रत्यर्पण पर रोक लगाती है जहां संबंधित व्यक्ति यह साबित कर सके कि अनुरोधकर्ता देश में उस पर राजनीतिक कारणों से मुकदमा चलाया जा रहा है. इसमें यह भी कहा गया है कि यदि अनुरोधकर्ता देश दो महीने के भीतर दोषसिद्धि का प्रमाण प्रस्तुत करने में विफल रहता है, तो गिरफ्तार किए गए भगोड़े को रिहा कर दिया जाएगा. 2020 में भारत और बेल्जियम ने भगोड़ों पर बेहतर सहयोग के लिए पारस्परिक कानूनी सहायता संधि पर हस्ताक्षर किए.

चोकसी के तर्क और सरकार का भरोसा
अतीत में, चोकसी के वकीलों ने तर्क दिया है कि भारत में उसे उचित प्रक्रिया का लाभ नहीं मिलेगा. उन्होंने प्रत्यर्पण का विरोध करने के लिए देश में मानवाधिकारों के उल्लंघन और जेलों की खराब स्थिति के आरोपों के साथ-साथ उसके खराब स्वास्थ्य का भी हवाला दिया है. डोमिनिकन प्रकरण भी विवाद का एक संभावित कारण था. उसके वकीलों ने तब आरोप लगाया था कि चोकसी को एंटीगुआ के साथ संधि की कमी को दरकिनार करने के लिए एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया था, जिसमें कहा गया था कि वह अपनी इच्छा से भारत लौटेगा.

4 सितंबर को गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव राकेश कुमार पांडे ने बेल्जियम के अधिकारियों को पत्र लिखकर आश्वासन दिया कि यदि चोकसी को प्रत्यर्पित किया जाता है तो उसकी कैद की गुणवत्ता अच्छी रहेगी. पांडे ने लिखा, “केंद्र… आश्वासन देता है कि चोकसी को आर्थर रोड जेल परिसर के बैरक नंबर 12 में रखा जाएगा. यह भी आश्वासन दिया जाता है कि अगर वह दोषी पाया जाता है तो उसे संभावित हिरासत (मुकदमे से पहले और दोषसिद्धि के बाद) की पूरी अवधि के दौरान एक ऐसी कोठरी में रखा जाएगा जिसमें उसे कम से कम तीन वर्ग मीटर का निजी स्थान (फर्नीचर को छोड़कर) मिलेगा.” अपने पत्र में पांडे ने यह भी आश्वासन दिया कि जिस डिटेंशन सेंटर में उन्हें रखा जाएगा वहां एक साफ, मोटी सूती चटाई, तकिया, चादर और कंबल की व्यवस्था है. अधिकारी ने पत्र में आगे कहा, “चिकित्सा आधार पर धातु का फ्रेम/लकड़ी का बिस्तर भी उपलब्ध कराया जा सकता है. पर्याप्त रोशनी, हवादारी और निजी सामान को रखने की व्यवस्था है.”

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Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

October 18, 2025, 17:38 IST

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