Last Updated:May 22, 2025, 08:03 IST
मुखिया शशिनाथ झा की विधवा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इन पांच दोषियों की जमानत रद्द करने की मांग की थी. हालांकि समस्तीपुर के तत्कालीन एसपी ने ही जमानत का समर्थन कर दिया, जिससे जज भी हैरान रह गए.

यह मामला वर्ष 2022 में समस्तीपुर के उदापट्टी गांव के मुखिया सशिनाथ झा की हत्या से जुड़ा है.
हाइलाइट्स
समस्तीपुर के उदापट्टी गांव के मुखिया सशिनाथ झा की हत्या से जुड़ा है केससुप्रीम कोर्ट ने समस्तीपुर के तत्कालीन एसपी से हलफनामा दाखिल करने को कहा थाएसपी ने हत्या के दोषियों की जमानत का समर्थन किया, जिससे कोर्ट भी हैरानबिहार के समस्तीपुर जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां एक पुलिस अधीक्षक (एसपी) ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर पांच दोषियों को जमानत देने के पटना हाईकोर्ट के आदेश का समर्थन किया है. यह मामला वर्ष 2022 में समस्तीपुर के उदापट्टी गांव के मुखिया सशिनाथ झा की हत्या से जुड़ा है. कोर्ट ने इस मामले में 8 लोगों को दोषी ठहराया था, जिनमें ये पांच भी शामिल हैं.
पुलिस की जांच के बाद निचली अदालत ने आठों आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य पाते हुए उन्हें दोषी ठहराया था. इसके बाद दोषियों ने पटना हाईकोर्ट में सजा के खिलाफ अपील दायर की, जिस पर हाईकोर्ट ने 11 दिसंबर, 2024 को आठ में से पांच दोषियों को अपील पेंडिंग रहने तक जमानत दे दी.
एसपी ने हलफनामे में क्या कहा?
इसके बाद मुखिया सशिनाथ झा की विधवा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इन पांच आरोपियों की जमानत रद्द करने की मांग की थी. इस पर शीर्ष अदालत ने बिहार सरकार को नोटिस जारी किया था. राज्य की ओर से समस्तीपुर के तत्कालीन एसपी अशोक मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट में जवाबी हलफनामा दायर किया.
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एसपी मिश्रा ने हलफनामे में कहा था कि पटना हाईकोर्ट ने सभी तथ्यों और सबूतों का गंभीरता से देखने के बाद कानून के अनुरूप पारदर्शी और न्यायसंगत आदेश पारित किया है, इसलिए उन्हें जमानत दी गई. अब इस हलफनामे को लेकर खुद एसपी सवालों के घेरे में आ गए हैं.
एसपी की बातों से सुप्रीम कोर्ट भी हैरान
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़िता की ओर से पेश वकील अतुल झा ने जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस प्रशांत के. मिश्रा की बेंच के सामने दलील दी कि पुलिस खुद आरोपियों की जमानत का सपोर्ट कर रही है, जो गंभीर चिंता का विषय है. वकील ने कहा कि एसपी यह भूल गए कि यह एफआईआर बिहार पुलिस ने ही दर्ज की थी, और उन्हीं की जांच के आधार पर निचली अदालत ने आरोपियों को दोषी करार दिया था.
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सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने एसपी की तरफ से दायर हलफनामे को देखने के बाद कहा, ‘हम भी इस बात से हैरान हैं कि एक जिला पुलिस अधीक्षक ने इस तरह खुलेआम आरोपियों के पक्ष में हलफनामा दायर किया है.’
कोर्ट ने आदेश दिया कि तत्कालीन समस्तीपुर एसपी अशोक मिश्रा को इस मामले में प्रतिवादी बनाया जाए. साथ ही उन्हें कारण बताने के लिए व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने को कहा गया कि किन परिस्थितियों में उन्होंने यह रुख अपनाया. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 1 अगस्त के लिए निर्धारित की है.
An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें
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New Delhi,Delhi