Last Updated:July 01, 2025, 11:32 IST
Jaipur News : यह कहानी है एशियाई नस्ल के शेर के शावक 'शेरा' की जो कि मौत के मुंह से वापस लौटा है. इंसानी जज्बे ने इस जंगली जानवर को बचाने के लिए हर कुर्बानी दी. इस शावक को उसकी मां ने ठुकरा दिया था. पढ़ें शेरा ...और पढ़ें

शेरा का जन्म 14 अक्टूबर 2024 को हुआ था. उसे अब पार्क के ‘कराल एरिया’ में रखा गया है.
हाइलाइट्स
शावक 'शेरा' को मां ने जन्म के बाद ठुकरा दिया था.नाहरगढ़ पार्क के डॉक्टर्स ने शेरा की जान बचाई.शेरा अब स्वस्थ है और जल्द ही पर्यटकों को दिखाया जाएगा.जयपुर. राजधानी जयपुर के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क की सरजमीं पर एक नन्हा शेर ‘शेरा’ इस वक्त उम्मीद और हिम्मत की सबसे खूबसूरत मिसाल बन चुका है. ‘शेरा’ एशियाई नस्ल का एक मासूम शावक है. इसे जन्म के कुछ ही पलों बाद उसकी मां शेरनी ‘तारा’ ने ठुकरा दिया था. लेकिन इंसानी खिदमत और जज्बे ने उस नन्ही जान को जिंदगी बख्श दी थी. अब दुनिया में एशियाई शेर गिनी-चुनी तादाद में ही बचे हैं. ऐसे में शेरा की यह कहानी सिर्फ एक शावक के बचाव की नहीं बल्कि इंसानी जज्बे और वन्यजीव संरक्षण की शानदार मिसाल है. यह दास्तान साबित करती है कि जब इरादे सच्चे हो और दिल में जज्बा हो तो कुदरत भी रास्ते खोल देती है. हर ठुकराई गई जान को भी एक नई जिंदगी नसीब हो सकती है.
पार्क के अधिकारियों के अनुसार शेरा का जन्म 14 अक्टूबर 2024 को हुआ था. उस वक्त उसका वजन सिर्फ 990 ग्राम था और वह बेहद नाज़ुक हालत में था. मां का दूध न मिलने के चलते वह और कमजोर हो गया था. बीमार के कारण वह लगभग जिंदगी से हार मान चुका था. उसे लेकर उम्मीदें बहुत धुंधली थी. लेकिन नाहरगढ़ के वेटनरी डॉक्टर्स और केयर टेकर्स ने उसे टूटने नहीं दिया. वरिष्ठ वन्यजीव चिकित्सक डॉ. अरविंद माथुर और उनकी टीम ने शेरा को गोद लिए बच्चे की तरह संभाला मानो वह उनका अपना बच्चा हो.
शावके लिए इंसानों ने रातों की नींदें तक कुर्बान कर दी
शेरा की चौबीसों घंटे निगरानी की गई. उसकी देखभाल के लिए टीम ने अपनी रातों की नींदें तक कुर्बान कर दी. ममता, मोहब्बत और तवज्जो से उसे जिंदा रखा. इसका असर यह हुआ कि धीरे-धीरे उसकी सेहत फिर से लौट आई. आज आठ महीने बाद शेरा न सिर्फ जिंदा है, बल्कि उसका वजन भी काफी तेजी से बढ़ रहा है. उसे हर रोज 2 किलो चिकन, बकरे का गोश्त और चिकन सूप जैसी खास डाइट दी जाती है. इसके साथ ही जरूरी विटामिन्स और मिनरल्स भी दिए जाते हैं ताकि उसकी ताकत और हिम्मत बढ़ती रहे.
दुनिया को दिखाया जाएगा यह चमत्कार
शेरा को अब पार्क के ‘कराल एरिया’ में रखा गया है. वहां उसे एकदम कुदरती और सुकून भरा माहौल दिया जा रहा है. उसके दांत और नाखून मजबूत होने लगे हैं. इसलिए अब उसे पिंजरे में रखा जा रहा है. जल्दी ही उसे पर्यटकों के सामने डिस्प्ले एरिया में लाया जाएगा ताकि लोग इस जिंदा चमत्कार को देख सकें. गर्मियों में भी उसका खास ख्याल रखा जा रहा है. डॉ. माथुर कहते हैं ‘शेरा अब पूरी तरह स्वस्थ है. उसे समय-समय पर दवाएं, टीके लगाए जा रहे हैं. उसके माइक्रोचिप लगाई गई है ताकि उसकी निगरानी होती रहे. वह अब खुद को एक असली शेर की तरह ढाल रहा है.’
संदीप ने 2000 में भास्कर सुमूह से पत्रकारिता की शुरुआत की. कोटा और भीलवाड़ा में राजस्थान पत्रिका के रेजीडेंट एडिटर भी रह चुके हैं. 2017 से News18 से जुड़े हैं.
संदीप ने 2000 में भास्कर सुमूह से पत्रकारिता की शुरुआत की. कोटा और भीलवाड़ा में राजस्थान पत्रिका के रेजीडेंट एडिटर भी रह चुके हैं. 2017 से News18 से जुड़े हैं.
Location :
Jaipur,Jaipur,Rajasthan