महुआ मोइत्रा की भी मुसीबत बढ़ाएगा SC का फैसला, जानें क्या होगा असर

1 month ago

सुप्रीम कोर्ट का ताजा फ़ैसले का त्वरित असर TMC की निष्कासित सांसद महुआ मोइत्रा पर भी पड़ सकता है.

सुप्रीम कोर्ट का ताजा फ़ैसले का त्वरित असर TMC की निष्कासित सांसद महुआ मोइत्रा पर भी पड़ सकता है.

नई दिल्ली. ‘विधायकों और सांसदों को सदन के अंदर भाषण या वोट के लिए रिश्वत लेने पर आपराधिक मामले से छूट नहीं दी जा सकती है.’ 1998 के अपने पुराने फ़ैसले को पलटते हुए सुप्रीम कोर्ट की सात सदस्यीय बेंच ने ये व्यवस्था दी है. इस फ़ैसले का त्वरित असर TMC की निष्कासित सांसद महुआ मोइत्रा पर भी पड़ सकता है. उन पर भी रिश्वत लेकर सदन में सवाल पूछने का आरोप है.

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को राजनीति में नैतिकता या राजनीतिक शुचिता को दिशा में बड़ा कदम कहा जा सकता है. अब इस फैसले का असर महुआ मोइत्रा पर दिखाई दे सकता है. सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से साफ हो गया है कि रिश्वत लेकर सदन के भीतर किए गए किसी भी अपराध पर कानूनी छूट (Legal Immunity) नहीं मिल सकती. अब CBI या जो भी जांच एजेंसी मामले की जांच कर रही है, वो महुआ मोइत्रा के मामले में केस दर्ज कर सकती है और दिल्ली के MP/MLA कोर्ट में ये मामला चल सकता है.

दरअसल 8 दिसंबर 2023 को महुआ मोइत्रा के मामले में लोकसभा की एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट सदन के पटल पर रखी गई थी. एथिक्स कमेटी ने Cash For Query यानी पैसे लेकर सवाल पूछने के मामले में महुआ मोइत्रा को दोषी करार दिया था, जिसके बाद उन्हें सदन से निष्कासित कर दिया गया था. अब सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने फैसले में साफ कहा है कि सांसदों को अनुच्छेद 105(2) और 194(2) के तहत किसी भी तरह की कानूनी छूट नहीं मिलती जो उन्हें रिश्वत लेने के बाद अभियोजन से बचा सके. यानी कि अगर रिश्वत लेकर कोई भाषण या वोट दिया है तो बतौर सांसद मिलने वाला विशेषाधिकार लागू नहीं होगा और आपराधिक मामला वैसे ही चलेगा, जैसा सामान्य मामलों में चलता है.

इस मामले में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 7 सदस्यीय बेंच ने इस मामले में 5 अक्टूबर 2023 को अपना फ़ैसला सुरक्षित रखा था. 1998 में दिए गए फ़ैसले में सांसदों और विधायकों को सदन में भाषण देने या फिर वोट देने के लिए रिश्वत लेने पर भी अभियोजन से छूट दी गई थी. देश की राजनीति को हिलाने वाले JMM रिश्वत कांड के इस फ़ैसले की 25 साल बाद देश की सबसे बड़ी अदालत पुनर्विचार किया है.

वर्ष 1993 में तत्कालीन नरसिम्हा राव सरकार को बचाने के लिए JMM के सांसदों पर आरोप लगा था. आरोप था कि रिश्वत लेकर उन्होंने सरकार के पक्ष में वोट दिया है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने 1998 के फैसले में सांसदों के विशेषाधिकार के तहत लाभ दे दिया था. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था कि सांसदों और विधायकों के कृत्य में आपराधिकता जुड़ी है, तो भी क्या उन्हें छूट दी जा सकती है, इस पर वो सुनवाई करेंगे. कोर्ट का कहना था कि ये राजनीति की नैतिकता पर असर डालने वाला महत्वपूर्ण मुद्दा है.

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Tags: Mahua Moitra, Supreme Court

FIRST PUBLISHED :

March 4, 2024, 13:35 IST

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