महाभारत: कैसे हमेशा युवा और अप्रतिम सुंदरी बनी रही द्रौपदी, क्या मिला था वरदान

4 hours ago

महाभारत में अगर किसी सुंदरी की सुंदरता की सबसे ज्यादा तारीफ की गई तो वो द्रौपदी थीं. जिन्हें ताउम्र अप्रतिम सुंदर और सदाबहार जवान रहने के लिए एक खास वरदान मिला हुआ था. इसी तरह जब वह पैदा हुईं तो एक भविष्यवाणी भी हुई. द्रौपदी को हमेशा महाभारत की अनिंद्य सुंदरी माना गया.

महाभारत काल में कई स्त्रियों की सुंदरता की तारीफ की जाती है लेकिन जब बात द्रौपदी की आती है तो राय एक जैसी हो जाती है कि द्रौपदी जैसी अप्रतिम सुंदरी कोई नहीं थी. जिसमें एक दिव्य ओज था. जब द्रौपदी का जन्म हुआ, तो एक आकाशवाणी हुई कि “यह कन्या समस्त स्त्रियों में श्रेष्ठ होगी. तमाम क्षत्रियों के विनाश का कारण बनेगी”.

क्या हुई थी जन्म के समय भविष्यवाणी
जैसे ही द्रौपदी यज्ञकुंड से प्रकट हुईं, यह घोषणा हुई कि उनका जन्म विशेष रूप से क्षत्रिय वंशों के विनाश और महाभारत के युद्ध के कारण के तौर पर हुआ है. यह भविष्यवाणी महाभारत के आदिपर्व में द्रौपदी जन्म प्रसंग में दी गई है. भाई धृष्टद्युम्न के साथ उनका जन्म अग्निकुंड से हुआ था. दोनों के जन्म के साथ ही उनके जीवन के उद्देश्य की घोषणा आकाशवाणी के रूप में की गई थी.

(image generated by Leonardo AI)

अग्निकुंड से पैदा होने के कारण दिव्य सुंदरता
चूंकि द्रौपदी अग्निकुंड से पैदा हुईं थीं, लिहाजा उनकी सुंदरता में भी खास चमक थी. उनकी सुंदरता को अद्वितीय और दिव्य माना गया. उन्हें दिव्य सौंदर्य की देवी के समान बताया गया. महाभारत के आदिपर्व और सभापर्व में द्रौपदी की सुंदरता को लेकर जो कहा गया, वो मुख्य तौर पर ये है –
– उनका रंग सांवला (कृष्णवर्ण) था, आंखें बड़ी, काली और कमल की पंखुड़ियों सरीखी.
– उनके बाल नीले-काले, लंबे और घुंघराले थे.
– उनके नाखून सुंदर, उभरे हुए और तांबे जैसे चमकीले थे.
– उनकी भौंहें सुंदर और छाती गहरी थीं.
– उनकी कमर पतली और शरीर सुडौल था
– उनके शरीर से नीले कमल जैसी सुगंध निकलती थी, जो दूर तक महसूस की जा सकती थी. जहां से भी गुजरतीं थीं, वहां विशेष आकर्षण और सुगंध छोड़ जातीं थीं.
– उनके चेहरे पर अग्नि से उत्पन्न तेज था, जो उन्हें और भी आकर्षक बनाता था.

(image generated by Leonardo AI)

वेदव्यास ने कौन सा वरदान दिया
द्रौपदी की सुंदरता इतनी अनुपम थी कि उन्हें देखकर अन्य स्त्रियां साधारण लगती थीं. उनकी सुंदरता की तुलना अप्सराओं और लक्ष्मी से की गई. महर्षि वेदव्यास से उन्हें यह वरदान भी प्राप्त था कि वे हर बार कौमार्य (यौवन) को फिर से लेती थीं, जिससे उनका रूप सदैव 16 वर्ष की कन्या जैसा बना रहता था.

जब एक पांडव से दूसरे के पास जातीं तो क्या होता था
इस वरदान के अनुसार, द्रौपदी जब भी एक पति (पांडव) से दूसरे पति के पास जाती थीं, तो उनका कौमार्य फिर लौट आता था. इसका अर्थ यह था कि पांच पतियों की पत्नी होते हुए भी द्रौपदी का कौमार्य हर बार अक्षुण्ण बना रहता था.

(image generated by Leonardo AI)

कौरव भी थे दीवाने
द्रौपदी की सुंदरता इतनी आकर्षक थी कि कई राजाओं और योद्धाओं ने उन्हें पाने की इच्छा की. दुर्योधन से लेकर कर्ण तक उनके स्वयंवर में गए. स्वयंवर में मौजूद सभी राजाओं की निगाह उन पर टिक जाती थी. दुर्योधन तो इस कदर उस पर मोहित था कि जब द्रौपदी को द्यूत क्रीड़ा (जुए) में हारकर कौरव सभा में लाया गया तो दुर्योधन ने उसका अपमान करते हुए भी उसकी सुंदरता की तारीफ की.

दुःशासन ने द्रौपदी का चीरहरण करने का प्रयास किया लेकिन वह भी द्रौपदी के प्रति आकर्षित था. सुंदरता से प्रभावित था, लेकिन उसका व्यवहार घृणित और हिंसक था. कुछ अन्य कौरव भी द्रौपदी की सुंदरता से आकर्षित थे, लेकिन उन्होंने खुलकर इसका प्रदर्शन नहीं किया.

बुद्धिमान और चतुर भी
महाभारत में कई महिलाओं ने अपनी बहादुरी का परिचय दिया, लेकिन सबसे ज्यादा बहादुर महिला द्रौपदी को माना जाता है. द्रौपदी ने हमेशा अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई. वह इतनी बुद्धिमान और चतुर थीं, उन्होंने कई बार अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करके पांडवों को मुश्किल परिस्थितियों से बाहर निकाला. द्रौपदी का पांच पतियों के साथ जीवन जीना और हर परिस्थिति में संतुलन बनाए रखना उनकी असाधारण समझ और बहादुरी दोनों को दिखाता है.

इसी वजह से वो पंचकन्या थीं
इस वरदान के कारण द्रौपदी को “पंचकन्या” में भी शामिल किया गया. उनकी दिव्यता और सुंदरता की चर्चा देवताओं और अप्सराओं तक में होती थी. वह नृत्य, गायन, पाकशास्त्र, राजनीति आदि में निपुण थीं.

Read Full Article at Source