बंगाल में SIR ने पकड़ी रफ्तार, 26 लाख नाम का नहीं मिला डाटा, ये घुसपैठिए हैं?

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Last Updated:November 28, 2025, 08:18 IST

बंगाल में एसाईआर प्रक्रिया पर बवाल मचा हुआ है. इसी बीच चुनाव आयोग ने बताया कि तमाम अवरोध के बीच 2002 के इलेक्टोरल रोल से वोटर के नाम की मिलान की प्रक्रिया काफी तेजी से की जा रही है. प्रक्रिया तेज होने के साथ नाम मिलान में गैप का परसेंटेज भी काफी कम हो गया है. माने कि अक्टूबर के 49 प्रतिशत के मुकाबले 4.3% रह गया है. यानी कि अभी तक केवल 26 लाख लोग ऐसे हैं, जिनके नाम का डाटा नहीं मिल पाया है.

बंगाल में SIR ने पकड़ी रफ्तार, 26 लाख नाम का नहीं मिला डाटा, ये घुसपैठिए हैं?पश्चिम बंगाल में जारी SIR में 26 लाख नाम का डाटा से नहीं हो पा रहा है मिलान.

बंगाल में एसाईआर प्रक्रिया पर बवाल मचा हुआ है. इसी बीच चुनाव आयोग ने बताया कि तमाम अवरोध के बीच 2002 के इलेक्टोरल रोल से वोटर के नाम की मिलान की प्रक्रिया काफी तेजी से की जा रही है. प्रक्रिया तेज होने के साथ नाम मिलान में गैप का परसेंटेज भी काफी कम हो गया है. माने कि अक्टूबर के 49 प्रतिशत के मुकाबले 4.3% रह गया है. यानी कि अभी तक केवल 26 लाख लोग ऐसे हैं, जिनके नाम का डाटा नहीं मिल पाया है. तमाम विवादों के बीच पश्चिम बंगाल में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) की प्रक्रिया बुलेट की रफ्तार से चल रही है. खुशखबरी की बात ये है कि इस चुनावी प्रक्रिया में काफी कम लोगों का नाम का 2002 के इलेक्टोरल रोल मिलान नहीं हो पाया है. बंगाल में चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर मनोज अग्रवाल ने गुरुवार को बताया कि अब तक पश्चिम बंगाल में स्क्रीन किए गए 4.3% रजिस्टर्ड वोटर्स को 2002 में इलेक्टोरल रोल्स के आखिरी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) या किसी दूसरे राज्य या UT के डेटा से मैप नहीं किया जा सका है. यानी की केवल 26 लाख वोटर्स के नाम इलेक्टोरल रोल्स में नहीं है. अब सवाल उठता है कि क्या ये वही घुसपैठिए हैं, जिनपर बंगाल में राजनीति गरमाई है?

यह आंकड़ा इलेक्शन कमीशन के 28 अक्टूबर के असेसमेंट से बहुत कम है. अक्टूबर में चुनाव आयोग का अनुमान था कि पश्चिम बंगाल के 7.6 करोड़ वोटर्स में से 49% को SIR 2002 के बाद के रोल्स से चाहे उनकी डिटेल्स हों या उनके माता-पिता की, लिंक नहीं किया जा सका है. अग्रवाल ने कहा, ‘बुधवार तक, सिर्फ 6 करोड़ से ज़्यादा एन्यूमरेशन फॉर्म्स डिजिटाइज़ किए गए थे, जिनमें से हम करीब 26 लाख को किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के आखिरी SIR रोल्स से मैप नहीं कर पाए हैं.’ अब सवाल उठता है क्या जिनके नाम का मिलान 2002 के एसआईआर से नहीं हो पा रहा है वे बंग्लादेश से आए घुसपैठिए हैं?

पोलिंग बूथ बढ़ने का असर है?

एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि 4 नवंबर को SIR एक्सरसाइज शुरू होने से पहले, मैपिंग रेट 51% था. हालांकि, पिछले 23 सालों में पोलिंग बूथ की संख्या लगभग 19,000 बढ़ गई है. 2002 के SIR के दौरान बंगाल में 61,531 पोलिंग बूथ थे, जो अब बढ़कर 80,681 हो गए हैं. कई वोटर राज्य के अंदर और बाहर दूसरी असेंबली सीटों पर चले गए हैं. इसी वजह से शुरू में मैपिंग का परसेंटेज कम था.

सही वोटर ना छूटे

सीईसी अग्रवाल ने कहा, ‘जैसे-जैसे चल रहा SIR प्रोसेस पूरा होने वाला है, मैपिंग रेट बेहतर हो रहे हैं.’ यह साफ है कि मैपिंग बढ़ेगी तो उन वोटरों के नाम एन्यूमरेशन फ़ॉर्म में एक्स्ट्रा डिटेल्स के जरिए वेरिफाइड डेटा में शामिल किया जाएगा, जो नए बूथ पर चले गए हैं. जिन वोटरों की डिटेल्स 2002 के SIR रोल्स में नहीं हैं, क्योंकि वे तब दूसरे राज्यों में वोटर थे, उन्हें उन जगहों के पोस्ट-SIR रोल्स से मैप किया जा रहा है.

Deep Raj Deepak

दीप राज दीपक 2022 में न्यूज़18 से जुड़े. वर्तमान में होम पेज पर कार्यरत. राजनीति और समसामयिक मामलों, सामाजिक, विज्ञान, शोध और वायरल खबरों में रुचि. क्रिकेट और मनोरंजन जगत की खबरों में भी दिलचस्पी. बनारस हिंदू व...और पढ़ें

दीप राज दीपक 2022 में न्यूज़18 से जुड़े. वर्तमान में होम पेज पर कार्यरत. राजनीति और समसामयिक मामलों, सामाजिक, विज्ञान, शोध और वायरल खबरों में रुचि. क्रिकेट और मनोरंजन जगत की खबरों में भी दिलचस्पी. बनारस हिंदू व...

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Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

November 28, 2025, 08:18 IST

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