बंगाल SIR का अजीब कांड, 5 साल के बच्चे को बना दिया पिता, हिला पूरा जिला

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Last Updated:December 15, 2025, 18:17 IST

West Bengal SIR News: पश्चिम बंगाल के पूर्वी बर्धमान में SIR प्रक्रिया के दौरान हैरान करने वाला मामला सामने आया. चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में एक व्यक्ति को पांच साल की उम्र में दो बेटों का पिता बताया गया. जांच में सामने आया कि दोनों कथित बेटे फर्जी एंट्री थे. प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है.

बंगाल SIR का अजीब कांड, 5 साल के बच्चे को बना दिया पिता, हिला पूरा जिलापूर्वी बर्धमान में SIR के दौरान वोटर लिस्ट की बड़ी गड़बड़ी सामने आई. (फाइल फोटो PTI)

नई दिल्ली: देश में जबसे वोटर लिस्ट पुनरीक्षण (SIR) शुरू हुआ है तबसे चुनाव आयोग के गजब-गजब कारनामे सामने आ रहे हैं. मध्यप्रदेश से लेकर बंगाल तक SIR प्रक्रिया हो रही है. इस बीच बंगाल से ऐसा अजीबोगरीब मामला सामने आया है जिससे वह जिला हिल गया है जहां यह कांड हुआ है. पूर्वी बर्धमान जिले से सामने आया यह मामला न सिर्फ चौंकाने वाला है, बल्कि चुनावी प्रक्रिया में रिकॉर्ड की विश्वसनीयता पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है. चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में एक व्यक्ति को पांच साल की उम्र में दो बेटों का पिता बताया गया. और जब यह बात प्रशासन के सामने आई तो अधिकारी भी हैरान रह गए.

यह अजीबोगरीब गड़बड़ी SIR प्रक्रिया के दौरान सामने आई. मामला पूर्वी बर्धमान जिले के मंगलकोट थाना क्षेत्र के शीतल गांव का है. यहां एक ही परिवार से जुड़ी वोटर लिस्ट एंट्री पूरे जिले में चर्चा का विषय बन गई है.

क्या है पूरा मामला?

चुनाव आयोग की मतदाता सूची के मुताबिक सरोज मांझी की उम्र 63 साल दर्ज है. वहीं उनके कथित बेटों के नाम लक्ष्मी मांझी (59 साल) और सागर मांझी (58 साल) बताए गए हैं. यानी रिकॉर्ड के अनुसार सरोज मांझी पांच साल की उम्र में पिता बन गए थे, जो जैविक रूप से असंभव है. यह मामला शीतल गांव के बूथ नंबर 175 से जुड़ा हुआ है, जहां SIR प्रक्रिया के तहत जब दस्तावेजों का वेरिफिकेशन किया गया, तो यह गलती सामने आई.

सरोज मांझी ने साफ तौर पर कहा है कि उनके असली बेटे सुजीत मांझी और अनुप मांझी हैं. (फाइल फोटो)

जांच में क्या सामने आया?

वेरिफिकेशन के दौरान बड़ा खुलासा तब हुआ जब सूची में दर्ज दोनों ‘बेटों’ ने स्वीकार किया कि वे सरोज मांझी के जैविक पुत्र नहीं हैं. दोनों ने खुद को ‘फर्जी बेटा’ बताया और कहा कि उनका मूल निवास बांग्लादेश में है. उनका कहना है कि करीब 22 साल पहले वे बांग्लादेश से पहले मुर्शिदाबाद और फिर काम की तलाश में मंगलकोट के शीतल गांव आए थे. इसी दौरान उनके नाम वोटर लिस्ट में जोड़े गए.

कैसे जुड़े नाम वोटर लिस्ट में?

‘फर्जी बेटों’ के मुताबिक उस समय स्थानीय CPI(M) नेताओं ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि उनके नाम मतदाता सूची में जुड़वा दिए जाएंगे. इसी प्रक्रिया में सरोज मांझी को उनका पिता दिखा दिया गया. एक ‘फर्जी बेटे’ की पत्नी ने भी कहा कि उनके सास-ससुर बांग्लादेश में रहते थे और उन्हें इस उम्र संबंधी गड़बड़ी की जानकारी नहीं थी. मामला सामने आने के बाद से परिवार कथित तौर पर डर और मानसिक तनाव में जी रहा है.

सरोज मांझी ने क्या कहा?

सरोज मांझी ने साफ तौर पर कहा है कि उनके असली बेटे सुजीत मांझी और अनुप मांझी हैं. उन्होंने दावा किया कि वे अनपढ़ हैं और उन्हें नहीं पता कि कैसे दो अन्य लोगों के नाम उनके बेटों के रूप में दर्ज हो गए. उनके जैविक बेटों ने भी प्रशासन के सामने यही कहा कि उनके पिता के केवल दो ही असली बेटे हैं और बाकी नाम फर्जी एंट्री हैं.

प्रशासन का क्या कहना है?

जिला प्रशासन ने कहा है कि यह मामला गंभीरता से जांच के दायरे में है. अधिकारियों के मुताबिक, SIR प्रक्रिया का उद्देश्य ही इस तरह की गड़बड़ियों को सामने लाना है और जांच पूरी होने के बाद जरूरी कार्रवाई की जाएगी.

जैविक बेटों ने भी प्रशासन के सामने यही कहा कि उनके पिता के केवल दो ही असली बेटे हैं और बाकी नाम फर्जी एंट्री हैं.

क्यों अहम है यह मामला?

यह मामला सिर्फ एक रिकॉर्ड की गलती नहीं है, बल्कि यह दिखाता है कि:

वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने की प्रक्रिया कितनी संवेदनशील है. एक छोटी चूक कैसे बड़े लोकतांत्रिक सवाल खड़े कर सकती है. SIR जैसी प्रक्रियाएं क्यों जरूरी हैं.

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Sumit Kumar

सुमित कुमार News18 हिंदी में सीनियर सब एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. वे पिछले 3 साल से यहां सेंट्रल डेस्क टीम से जुड़े हुए हैं. उनके पास जर्नलिज्म में मास्टर डिग्री है. News18 हिंदी में काम करने से पहले, उन्ह...और पढ़ें

First Published :

December 15, 2025, 18:17 IST

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