पाक की गीदड़ भभकी, पर रेलवे की तैयारी पूरी, जरूरत पड़ी झट से पहुंचेंगी ट्रेन

4 hours ago

Last Updated:May 08, 2025, 12:19 IST

Indian railway- पाक की गीदड़ भभकी, पर भारतीय रेलवे की तैयारी पूरी कर ली है. सेना को बॉर्डर तक पहुंचाने के लिए तैयार है. कारगिल युद्ध के दौरान भी रेलवे ने महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

पाक की गीदड़ भभकी, पर रेलवे की तैयारी पूरी, जरूरत पड़ी झट से पहुंचेंगी ट्रेन

जरूरत पड़ने पर स्‍पेशल ट्रेनें चलाई जा सकती हैं. एकआई फोटो

हाइलाइट्स

सेना को पहुंचाने के लिए स्‍पेशल ट्रेनें चलाई जा सकती हैंअब श्रीनगर तक पहुंच सकेंगी ट्रेनेंकारगिल युद्ध के दौरान भी चलाई गयीं थी ट्रेनें

नई दिल्‍ली. ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाक बौखला गया है, इसी बीच उसने फिर से भारत को गीदड़ भभकी दे दी है. लेकिन भारत इसे गंभीरता से ले रहा है और तैयारी पूरी कर ली है. सेना को बॉर्डर तक पहुंचाने के लिए भारतीय रेलवे तैयार है. कारगिल युद्ध के दौरान भी रेलवे ने महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई थी. हालांकि ट्रेनों की संख्‍या स्‍पष्‍ट नहीं है, लेकिन कारगिल युद्ध के दौरान 500 के करीब ट्रेनें चलाई गयी थीं.

रेल मंत्रालय के अनुसार अगर जरूरत पड़ी भारतीय रेलवे कश्‍मीर घाटी तक स्‍पेशल ट्रेन चलाने के लिए तैयार है. जिस तरह के निर्देश दिए जाएंगे, उसी तरह ट्रेनें उपलब्‍ध कराई जाएंगी. अब ट्रेन श्रीनगर तक जा सकती है. इस वजह से सेना के जवान जल्‍दी बॉर्डर तक पहुंच सकेंगे.

कारगिल युद्ध के दौरान रेलवे की खास भूमिका

रेल मंत्रालय के अनुसार कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय रेलवे ने खास भूमिका निभाई थी. जवानों को बॉर्डर तक पहुंचाने के लिए स्‍पेशल ट्रेनें चलाईं थी. बताया जाता है कि करीब छह सप्‍ताह में भारत ने करीब सात लाख से सैनिकों को कश्मीर क्षेत्र में पहुंचाया था. इसमें पांच इन्फेंट्री डिवीजन, पांच स्वतंत्र ब्रिगेड और 44 बटालियन पैरामिलिट्री सैनिक शामिल थे. इतने बड़े पैमाने पर सैनिकों को ले जाने के लिए हर दिन कई ट्रेनें चलाई गईं. इस तरह सात लाख से अधिक जवानों को ले जाने में 500 के करीब ट्रेनों की जरूरत पड़ी होगी, क्‍योंकि सामान्‍य तौर पर एक ट्रेन में 1500 के करीब यात्री सफर करते हैं.

पहले भी चलीं थी स्‍पेशल ट्रेनें

रेलवे के पूर्व अधिकारियों के अनुसार कारगिल युद्ध के दौरान ट्रेनों को चलाने के लिए रेलवे ने एक खास योजना बनाई थी. सामान्य यात्री ट्रेनों को रोककर सैन्य ट्रेनों को प्राथमिकता दी गई थी. इन ट्रेनों में सैनिकों के लिए विशेष डिब्बे थे, जिनमें उनके हथियार, राशन और अन्य जरूरी सामान रखा जाता था. सुरक्षा के लिए रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों की निगरानी बढ़ा दी गई थी. रेलवे ने सेना के साथ मिलकर यह सुनिश्चित किया था कि ये ट्रेनें समय पर चलें और किसी भी तरह की देरी न हो, जिससे गंतव्‍य तक समय से पहुंचे.

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Sharad Pandeyविशेष संवाददाता

करीब 20 साल का पत्रकारिता का अनुभव है. नेटवर्क 18 से जुड़ने से पहले कई अखबारों के नेशनल ब्‍यूरो में काम कर चुके हैं. रेलवे, एविएशन, रोड ट्रांसपोर्ट और एग्रीकल्चर जैसी महत्वपूर्ण बीट्स पर रिपोर्टिंग की. कैंब्रिज...और पढ़ें

करीब 20 साल का पत्रकारिता का अनुभव है. नेटवर्क 18 से जुड़ने से पहले कई अखबारों के नेशनल ब्‍यूरो में काम कर चुके हैं. रेलवे, एविएशन, रोड ट्रांसपोर्ट और एग्रीकल्चर जैसी महत्वपूर्ण बीट्स पर रिपोर्टिंग की. कैंब्रिज...

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