पहलगाम हमले के पीछे था गाजी-1 और गाजी-2 का हाथ, 3 दशक से एक्टिव है ये यूनिट

3 hours ago

Last Updated:November 10, 2025, 06:03 IST

पहलगाम हमले के पीछे था गाजी-1 और गाजी-2 का हाथ, 3 दशक से एक्टिव है ये यूनिटपहलगाम हमले को भी आईएसआई के इस यूनिट ने दिय था अंजाम.

एक दिन पहले यानी रविवार को अहमदाबाद में आतंकवादी हमले की योजना बना रहे तीन आतंकवादियों की गिरफ्तारी के बाद एक बार फिर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद की तरफ नजर जाना स्वाभाविक है. इस बीच एक रिपोर्ट आई है जिसमें कहा गया है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के अंदर एक बेहद सीक्रेट यूनिट है जिसका नाम एस-1 है. यह एस-1 यूनिट ही भारत में आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने के काम को अंतिम रूप देती है.

एनडीटी की एक एक्सक्लूसिव रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की एक गुप्त यूनिट एस-1 भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. सूत्रों के अनुसार यह यूनिट 1993 के मुंबई बम विस्फोटों से लेकर हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले तक, भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने में सक्रिय रही है. एस-1 का पूरा नाम सबवर्शन-1 है और इसे पाकिस्तान में सीमा पार आतंकवाद का सबसे बड़ा प्रेरक माना जाता है.

सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि इस इकाई का नेतृत्व पाकिस्तानी सेना का एक कर्नल करता है, जबकि दो वरिष्ठ अधिकारी, जिनके कोड नेम गाजी-1 और गाजी-2 हैं सक्रिय संचालन की देखरेख करते हैं. इस इकाई का मुख्यालय इस्लामाबाद में है और इसके आतंकी गतिविधियों को ज्यादातर ड्रग्स की तस्करी से प्राप्त धन से वित्त पोषित किया जाता है. यह यूनिट इतनी गुप्त है कि कई आतंकी संगठनों को भी नहीं पता कि उनके प्रशिक्षक एस-1 से हैं. एस-1 के कर्मी और प्रशिक्षक सभी प्रकार के बम और आईईडी बनाने में विशेषज्ञ हैं. इसके अलावा वे विभिन्न प्रकार के छोटे हथियारों को संभालने में भी निपुण हैं.

सूत्रों के अनुसार इस इकाई के पास भारत के अधिकांश स्थानों के विस्तृत नक्शे उपलब्ध हैं, जो उनकी आतंकी योजनाओं को और खतरनाक बनाते हैं. पिछले 25 वर्षों से सक्रिय इस इकाई की गतिविधियों का पूरा ब्योरा हाल ही में भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने डिकोड किया है. एस-1 का मुख्य उद्देश्य भारत में आतंकी हमलों को अंजाम देना है. यह इकाई पाकिस्तान में सक्रिय सभी प्रमुख आतंकी संगठनों जैसे जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन के साथ जुड़ी हुई है. इसके कर्मी इन संगठनों के प्रशिक्षण शिविरों में शामिल होते हैं, जहां वे लंबी दाढ़ी रखकर और स्थानीय, पारंपरिक कपड़े पहनकर खुद को छिपाने की कोशिश करते हैं.

उनकी यह रणनीति इतनी प्रभावी है कि कई आतंकी संगठनों को उनके असली पहचान का पता नहीं होता. सूत्रों के मुताबिक एस-1 ने पिछले दो दशकों में हजारों आतंकवादियों को प्रशिक्षित किया है. ये प्रशिक्षित आतंकी भारत में विभिन्न आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए भेजे जाते हैं. इस इकाई की गुप्त प्रकृति और व्यापक नेटवर्क इसे भारत के लिए एक बड़ा खतरा बनाते हैं. भारतीय सुरक्षा एजेंसियां अब इस इकाई की गतिविधियों पर नजर रख रही हैं और इसे निष्क्रिय करने की दिशा में काम कर रही हैं.

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First Published :

November 10, 2025, 06:03 IST

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