Last Updated:May 07, 2025, 17:17 IST
Operation Sindoor Lates News : भारतीय सेना का बहावलपुर में दूसरा सबसे बड़ा टारगेट रहा. मसूद अजहर के घर पर मिसाइल से अटैक किया गया. बहावलपुर में मसूद अजहर के परिवार का खात्मा हो गया है. जैश-ए-मुहम्मद सरगना मसूर ...और पढ़ें

भारतीय सेना के हमले में जैश-ए-मुहम्मद सरगना मसूर अजहर के परिवार के 10 सदस्य मारे गए हैं.
नई दिल्ली. भारतीय जेट फाइटर ने पाकिस्तान में आतंकवादियों के कई ठिकानों पर बुधवार सुबह सटीक हमले किए. हमलों में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के ट्रेनिंग कैंप, लॉन्च पैड और हेड क्वार्टर को निशाना बनाया. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत किए गए इन हमलों के दौरान बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय और पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मुरीदके में लश्कर-ए-तैयबा के हेडक्वार्टर को निशाना बनाया गया. पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद पलटवार करते हुए ये हमले किए गए.
भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान में चार और पीओजेके में पांच स्थानों को चुना. बहावलपुर दूसरा सबसे बड़ा टारगेट रहा. जैश-ए-मुहम्मद सरगना मसूर अजहर के परिवार के 10 सदस्य हमले में मारे गए हैं. उसके चार सहयोगी भी मारे गए हैं. सैकड़ों मासूमों की मौत का गुनाहगार खून के आंसू रोते हुए बोला कि ‘इससे अच्छा यह होता कि मैं भी मर जाता.’ मसूद अजहर की पत्नी, बेटा और उसका भाई भारतीय सेना के हमले में मारे गए हैं. मसूद अजहर की बहन-बहनोई भी मारे गए हैं. बहावलपुर में मसूद अजहर के परिवार का खात्मा हो गया है. मसूद अजहर के घर पर मिसाइल से अटैक किया गया.
मसूद की ओर से जारी बयान में कहा गया, ‘जामिया मुस्जिद सुभान अल्लाह बहावलपुर में उसकी बड़ी बहन, बहनोई, भांजा, उसकी पत्नी, भांजी, और परिवार के पांच अन्य सदस्य मारे गए. मेरे परिवार के कुल 10 सदस्यों को जन्नत नसीब हुई है. मेरी बड़ी बहन, उसके पति, मेरा भांजा फाजिल, उसकी पत्नी, मेरी भांजी फाजिला… मेरे भाई हुजैफ, उसकी मां, दो अन्य सहयोगी मारे गए हैं.’
मसूद अजहर पहले हरकत उल मुजाहिद्दीन का सदस्य हुआ करता था.1999 में आईसी-814 के अपहृत यात्रियों के बदले रिहा होने के बाद मसूद अजहर ने जैश-ए-मोहम्मद की स्थापना की. आईएसआई के इशारे पर मसूद अजहर ने वहावलपुर में एक ट्रेनिंग सेंटर बनाया. फिर वहीं से ट्रेनिंग देकर आतंकवादियों को भारत में घुसपैठ के लिए भेजा. 2001 में संसद पर हमला, 2000 में जम्मू – कश्मीर विधानसभा पर हमला, 2016 में पठानकोट में भारतीय वायुसेना के अड्डे पर हमला और 2019 में पुलवामा आत्मघाती हमला, इन सभी हमलों में मसूद अजहर का हाथ रहा. अजहर को अप्रैल 2019 के बाद से सार्वजनिक रूप से नहीं देखा गया है.
अजहर ने जनवरी 2000 में आतंकवादी संगठन शुरू किया था. पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई), अफगानिस्तान में तत्कालीन तालिबान नेताओं, बिन लादेन और पाकिस्तान में सुन्नी सांप्रदायिक संगठनों से उसे सहायता मिली थी. बहावलपुर में मरकज सुब्हानअल्लाह वह जगह है, जहां जैश-ए-मोहम्मद अपने लड़ाकों को ट्रेनिंग देता है. उन्हें अपने विचारों से प्रेरित करता है. फरवरी 2019 में पुलवामा में हुए आतंकी हमले की योजना इसी शिविर में बनाई गई थी जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवानों की मौत हुई थी.
पाकिस्तान के पंजाब के नारोवाल जिले के सरजाल तेहरा कलां में जैश-ए-मोहम्मद का शिविर आतंकवादी समूह का केंद्रीय ‘लॉन्चिंग पैड’ था. इसका संचालन एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से किया जा रहा था, जिसकी देखरेख शिविर का वास्तविक प्रमुख अब्दुल रऊफ असगर करता था. जम्मू के सांबा सेक्टर से सिर्फ छह किलोमीटर दूर स्थित इस जगह का उपयोग स्थानों की पहचान करने, घुसपैठ के लिए सीमा पार सुरंग खोदने और सीमा पार हथियार व नशीले पदार्थ भेजने के ड्रोन के संचालन के लिए किया जाता है.
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