Azerbaijan on Indian Air Strike: पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेते हुए भारत ने पीओके और पाकिस्तान में आतंकियों के 9 ठिकाने तबाह किए हैं. दुनियाभर के नेता आतंकवाद के खिलाफ भारत के इस ऐक्शन का सपोर्ट कर रहे हैं. चीन ने भी बड़ी सधी हुई प्रतिक्रिया दी है. उसको कहना पड़ा कि चीन आतंकवाद के सभी रूपों के खिलाफ है. तुर्की जरूर पाकिस्तान की भाषा बोल रहा है. इसमें कोई आश्चर्य भी नहीं है. दोनों की पाकिस्तान से करीबी जगजाहिर है. लेकिन एक और देश भारत के ऐक्शन पर आंसू बहा रहा है. मध्य प्रदेश के बराबर वाले इस देश का नाम अजरबैजान है.
ईरान के इस पड़ोसी देश ने आधिकारिक बयान जारी कर आतंकियों के खिलाफ ऐक्शन का विरोध किया है. अजरबैजान ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने पर न सिर्फ चिंता जताई बल्कि यह भी कहा, 'हम इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान के खिलाफ मिलिट्री अटैक्स की निंदा करते हैं जिसमें आम नागरिकों की जान गई और घायल हुए.'
India Pakistan tensions
Azerbaijan takes clear sides, backs Pakistan
"We condemn military attacks against the Islamic Republic of Pakistan that killed and injured several civilians" pic.twitter.com/j2W4wdAaPr
— Sidhant Sibal (@sidhant) May 7, 2025
अजरबैजान भूल गया या भूलने का ड्रामा कर रहा है कि भारत ने पाकिस्तान में पल रहे आतंकियों के कैंपों को उड़ाया है, किसी भी आम आदमी या सेना के अड्डे को निशाना नहीं बनाया गया है. मुस्लिम बहुल अजरबैजान ने 'ज्ञान' देते हुए संयम बरतने और डिप्लोमैटिक चैनल के जरिए मामले के समाधान की बात कही है. उसे यह समझना चाहिए कि भारत दुनिया को कई बार बता चुका है कि सीमा पार आतंकवाद की जननी पाकिस्तान है. वहीं से आए आतंकियों ने धर्म पूछकर पहलगाम में निर्दोषों की हत्या की थी, तब अजरबैजान का कलेजा नहीं कांपा.
खैर, अजरबैजान की भारत से खुन्नस की खास वजह है. इसका पड़ोसी मुल्क आर्मीनिया भारतीय हथियारों का एक बड़ा खरीदार बनकर उभरा है. कुछ महीने पहले खबर आई थी कि वह ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल खरीदने का इच्छुक है. आर्मीनिया और अजरबैजान नार्गोनो और काराबाख इलाके को लेकर काफी समय से लड़ रहे हैं.
जैसे ही अजरबैजान का बयान भारत की सोशल मीडिया में आया लोग इसे सबक सिखाने के लिए आर्मीनिया का खुलकर सपोर्ट करने की बात करने लगे.
वैसे, भारत के अजरबैजान और आर्मीनिया दोनों देशों के साथ राजनयिक संबंध हैं जो भौगोलिक रूप से मध्य एशिया और ईरान से होकर रूस और यूरोप से कनेक्टिवटी के लिए अहम हैं.