नेहरू के मामले में क्यों सोनिया गांधी को कोर्ट में घसीटेगी सरकार, जानें मामला

5 hours ago

Last Updated:June 25, 2025, 12:31 IST

Nehru Documents: नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी के कागजात सोनिया गांधी द्वारा 2008 में वापस लिए गए थे. अब पीएमएमएल सोसायटी ने उन्हें वापस करने को कहा है, अन्यथा कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

नेहरू के मामले में क्यों सोनिया गांधी को कोर्ट में घसीटेगी सरकार, जानें मामला

सोनिया गांधी ने पीएमएमएल के संग्रह से जवाहरलाल नेहरू के निजी कागजात के 51 बक्से वापस ले लिए थे.

हाइलाइट्स

सोनिया गांधी से नेहरू के कागजात वापस मांगे गएकागजात न देने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगीपीएमएमएल ने नेहरू के कागजात को राष्ट्रीय खजाना बताया

Nehru Documents: नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (एनएमएमएल) को देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की स्मृति में स्थापित किया गया था. उस समय जवाहरलाल नेहरू के निजी दस्तावेजों को एनएमएमएल को सौंपा गया था. जवाहरलाल नेहरू के स्वतंत्रता-पूर्व और स्वतंत्रता पश्चात दोनों अवधियों से संबंधित ये कागजात 1971 के बाद से कई बैचों में एनएमएमएल को हस्तांतरित किए गए. नेहरू की कानूनी उत्तराधिकारी इंदिरा गांधी की ओर से जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल फंड (जेएनएमएफ) द्वारा इस हस्तांतरण को सुगम बनाया गया था. वह जाहिर तौर पर अक्टूबर 1984 में अपनी मृत्यु तक इन दस्तावेजों की मालिक रहीं. इसके बाद 1946 के बाद की अवधि के नेहरू के कागजात का एक बड़ा संग्रह सोनिया गांधी द्वारा एनएमएमएल को सौंपा गया.

लेकिन इन दस्तावेजों के 51 बक्से मई 2008 में सोनिया गांधी द्वारा वापस ले लिए गए थे. ये सब उस समय हुआ जब यूपीए (यानी कांग्रेस और उसका गठबंधन) सत्ता में थी. उस समय सोनिया गांधी नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (एनएमएमएल) सोसाइटी की अध्यक्ष थीं. 14 अगस्त 2023 को नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय का आधिकारिक तौर पर नाम बदलकर प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय (पीएमएमएल) सोसायटी किया गया. पिछले साल फरवरी में हुई पीएमएमएल की एक वार्षिक आम बैठक में चर्चा का एक बड़ा हिस्सा पीएमएमएल के संग्रह में नेहरू के निजी कागजातों के इर्द-गिर्द केंद्रित था. उस बैठक की अध्यक्षता सोसायटी के उपाध्यक्ष के रूप में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसके अध्यक्ष हैं.

कानूनी राय लेने की बनी थी सहमति
सदस्यों के बीच एक राय थी कि सोनिया गांधी द्वारा लिए गए कागजात वापस ले लिए जाने चाहिए. इन अभिलेखीय संग्रहों के स्वामित्व, संरक्षकता, कॉपीराइट और उपयोग पर कानूनी राय लेने के लिए आम सहमति बनी थी. क्योंकि ये कागजात 1971 में इंदिरा गांधी द्वारा (नेहरू पत्रों के उत्तराधिकारी के रूप में) और बाद में सोनिया गांधी द्वारा संगठन को दान किए गए थे. पीएमएमएल के रिकॉर्ड के अनुसार 2008 में सोनिया द्वारा वापस लिए गये कागजातों में नेहरू और जयप्रकाश नारायण, एडविना माउंटबेटन, अल्बर्ट आइंस्टीन, अरुणा आसफ अली, विजया लक्ष्मी पंडित और जगजीवन राम के बीच आदान-प्रदान किये गये पत्र शामिल हैं.

कागजात न देने पर कानूनी कार्रवाई
अब पीएमएमएल सोसायटी की वार्षिक आम बैठक (एजीएम) ने यह फैसला किया कि कांग्रेस नेता सोनिया गांधी से जवाहरलाल नेहरू के निजी कागजात वापस करने को कहा जाए. अगर सोनिया गांधी ऐसा नहीं करती हैं तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए. इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया कि सोमवार (23 जून) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई एजीएम में सहमति बनी थी कि नेहरू के कागजात एक राष्ट्रीय खजाना हैं और उनकी विरासत को संरक्षित करने के लिए उन्हें संग्रहालय को वापस सौंप दिया जाना चाहिए. पिछले साल पीएमएमएल ने फैसला लिया था कि वह प्रतिष्ठित व्यक्तियों के निजी कागजात के भावी दानकर्ताओं को ऐसी सामग्री को सार्वजनिक करने पर शर्तें लगाने की अनुमति नहीं देगा. यदि सरकार नेहरू पत्रों के मामले को अदालत में ले जाती है तो कई मुद्दों पर कानूनी रूप से लड़ाई लड़ी जा सकती है.

अन्य नेताओं के कागजात भी हैं संग्रह में
पीएमएमएल के पास देश में निजी पत्रों का सबसे बड़ा संग्रह है जो आधुनिक भारत की लगभग 1,000 हस्तियों से संबंधित हैं. इस अनमोल संग्रह में महात्मा गांधी, बीआर अंबेडकर, राजकुमारी अमृत कौर, मौलाना अबुल कलाम आजाद, भीकाजी कामा, चौधरी चरण सिंह और कई अन्य लोगों के कागजात हैं. हाल ही में प्राप्त दस्तावेजों में हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार के कागजात शामिल हैं. इनमें उनके द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक राष्ट्र, एक चुनाव, अनुच्छेद 370 को हटाने और भारत-पाक संबंधों पर लिखे गए पत्र शामिल हैं. इसमें प्रसिद्ध पर्यावरण कार्यकर्ता सुंदरलाल बहुगुणा के कागजात भी हैं, जो उनकी पत्नी विमला बहुगुणा ने पीएमएमएल को दान किए थे. हिन्दी के मशहूर लेखक यशपाल से संबंधित कागजात भी हैं. इनमें स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उनकी क्रांतिकारी गतिविधियों से संबंधित पत्राचार शामिल हैं. ये व्यक्तिगत संग्रह परिवारों, संस्थानों, विश्वविद्यालयों और अन्य निजी दाताओं से पीएमएमएल में आए हैं. ये कागजात भारत के आधुनिक इतिहास और इसके ऐतिहासिक क्षणों को समझने के लिए आवश्यक हैं. 

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