चुनावी साल में नीतीश कुमार की इतनी दरियादिली क्यों... पैसा कहां से आएगा?

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Last Updated:June 25, 2025, 14:27 IST

CM Nitish Kumar News: बिहार के सीएम नीतीश कुमार 2025 के चुनाव में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते. विवाह भवन, श्मशान घाट, सस्ता खाना, और पेंशन जैसी योजनाएं गांव-गांव तक पहुंचकर लोगों का दिल जीतने की कोशिश हैं. लेकिन ...और पढ़ें

चुनावी साल में नीतीश कुमार की इतनी दरियादिली क्यों... पैसा कहां से आएगा?

चुनावी साल में सीएम नीतीश कुमार क्यों ले रहे हैं इतने फैसले?

हाइलाइट्स

नीतीश सरकार ने तीन कैबिनेट मीटिंग में ही 115 प्रस्तावों पर मुहर लगाई.हर पंचायत में विवाह भवन और श्मशान घाट बनाने का फैसला.महिलाओं को रोजगार देने के लिए जीविका दीदियों को जिम्मेदारी.

पटना. बिहार चुनाव से पहले सीएम नीतीश कुमार एक से बढ़कर एक फैसले ले रहे हैं. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को देखते हुए नीतीश सरकार ने बीते तीन कैबिनेट बैठकों में कुल 115 प्रस्तावों पर मुहर लगाई है. इनमें गरीबों के लिए विवाह भवन बनाने से लेकर श्मशान घाट की सुविधा को ध्यान में रखा गया है. लेकिन सवाल यह है कि चुनावी साल में नीतीश सरकार जनता पर इतनी मेहरबान क्यों है? आइए, इन फैसलों के पीछे की कहानी और उनके मायने को आसान और दिलचस्प अंदाज में समझते हैं. क्यों आरजेडी इन प्रस्तावों को तुरंत ही लागू करने की मांग रही है?

नीतीश सरकार ने बीते तीन कैबिनेट की मीटिंग 3 जून, 10 जून और 24 जून 2025 तक कुल 115 प्रस्तावों पर मुहर लगाई. 3 जून 2025 की बैठक में 47 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई. इन फैसलों में बक्सर और रोहतास में आवासीय विद्यालयों की स्थापना, बेगूसराय में बरौनी-तिलरथ रेलवे स्टेशन के बीच रोड ओवरब्रिज और गया में नया बाइपास शामिल है. इसके अलावा पंचायत सचिवों को जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने का अधिकार दिया गया, जिससे प्रशासनिक सेवाएं ग्रामीण स्तर पर सुलभ होंगी.

नीतीश सरकार के ताबड़तोड़ फैसले

10 जून 2025 की नीतीश कैबिनेट में 22 एजेंडों पर मुहर लगी. पंचायत सचिवालयों को सशक्त बनाने के लिए 8,093 क्लर्कों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करने के आदेश दिए गए. साथ ही जयप्रकाश नारायण अस्पताल में नए पद और सात डॉक्टरों की बर्खास्तगी जैसे फैसले लिए गए. 24 जून 2025 को कैबिनेट की बैटक सबसे चर्चित रही, जिसमें 46 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई. इसमें ‘मुख्यमंत्री कन्या विवाह मंडप योजना’ के तहत सभी 8,053 पंचायतों में विवाह भवनों के निर्माण के लिए 40 अरब 26 करोड़ 50 लाख रुपये स्वीकृत किए गए. इन भवनों का संचालन जीविका दीदियों द्वारा होगा, जिससे गरीब परिवारों को शादी के लिए सस्ता और सुसज्जित स्थान मिलेगा, साथ ही महिलाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे.

नीतीश सरकार की मेहरबानी के मायने

इसके अलावा, ‘दीदी की रसोई’ में भोजन की कीमत 40 रुपये से घटाकर 20 रुपये प्रति थाली कर दी गई, जिसमें घाटे की भरपाई सरकार करेगी. सामाजिक सुरक्षा पेंशन को 400 रुपये से बढ़ाकर 1,100 रुपये प्रति माह कर दिया गया. 2025 बिहार विधानसभा चुनाव का साल है और नीतीश कुमार की सरकार इस अवसर को सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों तक पहुंचने के लिए उपयोग कर रही है. ‘मुख्यमंत्री कन्या विवाह मंडप योजना’ और सामाजिक सुरक्षा पेंशन में वृद्धि जैसे फैसले गरीब परिवारों, महिलाओं, वृद्धों, और दिव्यांगों को सीधे लाभ पहुंचाते हैं. बिहार में ग्रामीण और गरीब वर्ग एक बड़ा वोट बैंक है और इन योजनाओं के जरिए नीतीश सरकार इस वर्ग को आकर्षित करने की कोशिश कर रही है. विवाह भवनों का निर्माण गरीब परिवारों के लिए आर्थिक बोझ कम करेगा, जिसे एक लोकलुभावन कदम के रूप में देखा जा रहा है.

पैसे का इंतजाम कैसे?

विवाह भवनों और पेंशन जैसी योजनाओं पर अरबों रुपये खर्च होंगे. सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि बजट पर बोझ न पड़े और योजनाएं सही से लागू हों. आरजेडी इन फैसलों पर सवाल उठा रही है और मांग की है कि इन्हें तुरंत लागू करें और फंड रिलीज करें.

विवाह भवन और श्मशान घाट: क्या है खास?

सीएम नीतीश कुमार ने जीविका दीदियों को विवाह भवनों और ‘दीदी की रसोई’ के संचालन की जिम्मेदारी देकर महिला वोट बैंक साधने का बड़ा ट्रंप कार्ड चला है. जीविका दीदियों का वेतन दोगुना करना और उनके लिए कर्ज की राशि बढ़ाना भी इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं.

महिलाओं को रोजगार

बिहार में 8,053 ग्राम पंचायतों में विवाह भवनों का निर्माण गरीब परिवारों के लिए एक बड़ी राहत है. शादी जैसे सामाजिक आयोजनों के लिए पंडाल और स्थान का खर्च अक्सर गरीब परिवारों के लिए भारी पड़ता है. ये भवन न केवल आर्थिक बोझ कम करेंगे, बल्कि सामुदायिक आयोजनों और सरकारी बैठकों के लिए भी उपयोगी होंगे.

क्या हैं चुनौतियां?

नीतीश सरकार के ये फैसले भले ही जनता को लुभाने वाले हों, लेकिन कुछ सवाल और चुनौतियां भी हैं. क्या ये सिर्फ चुनावी जुमले हैं? कुछ लोग इन योजनाओं को चुनावी स्टंट कह सकते हैं. सोशल मीडिया पर कुछ लोग इसे ‘महंगा शामियाना’ तक बोल रहे हैं. ऐसे में सरकार को यह साबित करना होगा कि ये कदम लंबे समय तक फायदेमंद होंगे.

रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर

भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें

भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...

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