Last Updated:June 25, 2025, 14:59 IST
Axiom-4 Mission Launch: लंबे इंतजार के बाद आखिरकार Axiom-4 ने उड़ान भर ली है. भारत के शुभांशु शुक्ला भी इसके जरिए इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) की यात्रा पर निकल चुके हैं.

शुभांशु शुक्ला ISS के लिए रवाना हो चुके हैं.
हाइलाइट्स
भारत के शुभांशु शुक्ला ISS के लिए हुए रवाना, पर कब पहुंचेंगेलंबे इंतजार के बाद Axiom-4 ने भरी उड़ान, 26 जून अहम दिनड्रैगन कैप्सूल की 27 हजार प्रति किलोमीटर से ज्यादा की है रफ्तारAxiom-4 Mission Launch: स्पेस साइंस के क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक क्षण दर्ज हुआ है. भारतीय मूल के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु को लेकर अमेरिकी कंपनी स्पेसएक्स का ड्रैगन कैप्सूल Axiom-4 मिशन के तहत सफलतापूर्वक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर रवाना हुआ. इस मिशन की खास बात यह रही कि यह पूरी तरह निजी मिशन है और इसमें शामिल सभी अंतरिक्ष यात्री व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त निजी यात्री हैं.
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) धरती से लगभग 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित है. यह स्टेशन पृथ्वी की सतह से करीब-करीब समतल कक्षा (Low Earth Orbit – LEO) में चक्कर लगाता है. हालांकि, यह ऊंचाई सुनने में कम लग सकती है, लेकिन पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र और वायुमंडलीय खिंचाव के कारण वहां तक पहुंचना अत्यंत जटिल और ऊर्जा-सघन प्रक्रिया होती है.
किस रफ्तार से गया ड्रैगन कैप्सूल?
Axiom-4 मिशन के तहत ड्रैगन कैप्सूल को फाल्कन 9 रॉकेट की मदद से लॉन्च किया गया. यह कैप्सूल अंतरिक्ष में लगभग 28,000 किलोमीटर प्रति घंटा (7.66 किमी/सेकंड) की रफ्तार से उड़ान भरता है. इतनी तीव्र गति आवश्यक होती है, ताकि यह पृथ्वी की कक्षा में पहुंचकर वहां स्थिर रह सके और अंतरिक्ष स्टेशन के साथ डॉक कर सके. ड्रैगन कैप्सूल को ISS तक पहुंचने में करीब 22 से 24 घंटे का समय लगता है, हालांकि यह मिशन प्रोफाइल और डॉकिंग शेड्यूल पर निर्भर करता है. लॉन्च के बाद कैप्सूल धीरे-धीरे अपनी कक्षा ऊंची करता है और स्टेशन के साथ रफ्तार और दिशा मिलाकर अपने आप को संरेखित करता है.
क्या है Axiom-4 मिशन का उद्देश्य?
Axiom Space द्वारा आयोजित यह चौथा निजी मिशन है, जिसका उद्देश्य व्यावसायिक अंतरिक्ष उड़ानों को बढ़ावा देना और भविष्य में पृथ्वी की कक्षा में एक स्वतंत्र निजी अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की दिशा में कदम बढ़ाना है. Axiom-4 मिशन न केवल निजी अंतरिक्ष यात्रा के क्षेत्र में एक मील का पत्थर है, बल्कि यह भारतीयों के वैश्विक योगदान का भी प्रतीक है. शुभांशु की उड़ान आने वाली पीढ़ियों को विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में प्रेरित करने का कार्य करेगी. धरती से 400 किमी ऊपर, तकरीबन 28,000 किमी/घंटा की रफ्तार से उड़ते इस मिशन में भविष्य के अंतरिक्ष युग की झलक स्पष्ट दिखाई देती है.
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
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