Last Updated:July 21, 2025, 09:44 IST
Chinese investment : भारत सरकार के थिंक टैंक माने जाने वाले नीति आयोग ने सिफारिश की है कि सरकार को चीन की कंपनियों को 24 फीसदी तक सीधे हिस्सेदारी खरीदने की मंजूरी दे देनी चाहिए. आखिर ऐसा करने के पीछे क्या मंश...और पढ़ें

नीति आयोग ने चीन की कंपनियों को भारत में निवेश के लिए सिफारिश की है.
हाइलाइट्स
नीति आयोग ने चीन को 24% हिस्सेदारी खरीदने की सिफारिश की.सिफारिश से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा मिलेगा.फैसले पर सरकार की मंजूरी का इंतजार है.नई दिल्ली. चीन के निवेश के नाम पर हजारों कंपनियों पर ताले लटकाने वाली भारत सरकार क्या एक बार फिर चाइनीज कंपनियों को यहां हिस्सेदारी खरीदने का मौका देगी. सरकार के थिंक टैंक माने जाने वाले नीति आयोग की सिफारिश देखकर तो यही लगता है. नीति आयोग ने हाल में ही सरकार को भेजे अपने सुझाव में कहा है कि चीन की कंपनियों को भारतीय कंपनियों में 24 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने की मंजूरी दे दी जानी चाहिए. हालांकि, नीति आयोग ने इसके लिए स्क्रूटनी की प्रक्रिया को और सख्त करने की भी बात कही है, लेकिन कुछ साल पहले चीन के सीधे निवेश वाली कंपनियों को सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर देश से भगा दिया था. तो क्या एक बार फिर उनके लिए देश के दरवाजे खुलने वाले हैं.
मामले से जुड़े तीन सूत्रों का कहना है कि अभी चीन की कंपनियों की ओर से भारतीय कंपनियों में किसी भी तरह के निवेश की घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तरों से सघन जांच की जाती है. इस प्रक्रिया में गृह मंत्रालय के साथ विदेश मंत्रालय भी शामिल होता है. लेकिन, अब नीति आयोग ने सुझाव दिया है कि चीन की कंपनियों बिना किसी अप्रूवल के ही भारतीय कंपनियों में 24 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने की मंजूरी दे दी जानी चाहिए. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने खुलासा किया है कि इस कदम से भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा मिलेगा. मामले को वाणिज्य मंत्रालय, वित्त मंत्रालय और विदेशी मंत्रालय के साथ प्रधामंत्री कार्यालय भी इसका अध्ययन कर रहा है.
क्या इसे मंजूर करेगी सरकार
वैसे तो यह जरूरी नहीं कि नीति आयोग की हर सिफारिश को सरकार मंजूर ही कर ले, लेकिन चीन के निवेश को लेकर यह सुझाव ऐसे समय में दिया जा रहा है, जबकि दोनों देशों के बीच साल 2020 से ही भयंकर टकराव चल रहा है. सूत्रों का कहना है कि फिलहाल इस पर फैसला राजनेताओं को लेना है, जिसमें कुछ महीने लग सकते हैं. उनका कहना है कि उद्योग विभाग इसके पक्ष में है, लेकिन बाकी सरकारी विभागों की मंजूरी मिलना बाकी है. सरकार ने खुद साल 2020 में यह सख्त नियम बनाया था, जो दोनों देशों की झड़प के बाद लागू हुआ था.
क्या है सरकार का नियम
सरकार ने साल 2020 में नियम बनाया था कि भारतीय जमीन के साथ जुड़े किसी भी देश को सीधे निवेश की अनुमति नहीं होगी. दुनिया के अन्य देशों की कंपनियां बिना किसी दिक्कत के भारत के तमाम सेक्टर मैन्युफैक्चरिंग और फार्मा में निवेश कर सकती हैं. हालांकि, रक्षा, बैंकिंग और मीडिया जैसे संवेदनशील सेक्टर्स में निवेश की अनुमति नहीं है. इसी सूत्र की वजह से साल 2023 में चीन की ई-कार बनाने वाली कंपनी बीवाईडी के 1 अरब डॉलर के निवेश को भी मंजूरी नहीं मिली थी.
दुनियाभर में सुस्त पड़ गया विदेशी निवेश
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद से दुनियाभर में विदेशी निवेश कम हो गया है. चीन के निवेश पर प्रतिबंध लगाने से दक्षिण एशियाई का निवेश भी भारत में कम हो गया है. पिछले वित्तवर्ष में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश महज 35.3 करोड़ डॉलर था, जो साल 2021 के 44 अरब डॉलर के मुकाबले बेहद कम है. हालांकि, दोनों देश अपने तनावों को कम करने की लगातार कोशिश कर रहे हैं. इसी कड़ी में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 5 साल बाद चीन की यात्रा भी की. अब जबकि नीति आयोग ने भी ऐसी सिफारिश कर दी है तो सरकार के फैसले पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं.
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...
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