निजी डॉक्टर भी 'PM गरीब कल्याण योजना' के हकदार, सुप्रीम कोर्ट का फैसला

1 hour ago

Last Updated:December 12, 2025, 02:05 IST

निजी डॉक्टर भी 'PM गरीब कल्याण योजना' के हकदार, सुप्रीम कोर्ट का फैसलासुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला पलट दिया. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान कर्तव्य निभाते हुए जान गंवाने वाले डॉक्टरों के परिवार ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना’ के तहत 50 लाख रुपये के बीमा कवरेज के हकदार हैं. जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने बम्बई हाईकोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया जिसमें यह कहा गया था कि निजी डॉक्टर सरकार की बीमा योजना के तहत कवरेज के हकदार नहीं हैं.

पीठ ने कहा, “डॉक्टरों की सेवाओं की आवश्यकता है और यह अधिनियम के प्रावधानों, महाराष्ट्र कोविड-19 रोकथाम एवं नियंत्रण विनियम 2020, नवी मुंबई नगर निगम के 31 मार्च 2020 के आदेश, पीएमजीकेवाई पैकेज योजना, पीएमजीकेवाई नीति के स्पष्टीकरण और जारी किए गए अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों (एफएक्यू) के संयुक्त अध्ययन से स्पष्ट है.”

इसने कहा कि कानूनों और नियमों का आह्वान चिकित्सकों की नियुक्ति में कोई कसर न छोड़ने के उद्देश्य से किया गया था और बीमा योजना का उद्देश्य अग्रिम पंक्ति में कार्यरत चिकित्सकों और स्वास्थ्य पेशेवरों को यह आश्वासन देना था कि देश उनके साथ है. अदालत ने कहा कि पीएमजीकेवाई-पैकेज के तहत किए गए बीमा के लिए व्यक्तिगत दावों पर कानून के अनुसार और साक्ष्यों के आधार पर विचार किया जाएगा और निर्णय लिया जायेगा. इसने कहा, “यह साबित करने का दायित्व दावेदार पर है कि मृतक की मृत्यु कोविड-19 से संबंधित कर्तव्य निभाते हुए हुई और इसे विश्वसनीय साक्ष्यों के आधार पर स्थापित किया जाना चाहिए.”

सुप्रीम कोर्ट प्रदीप अरोड़ा और अन्य द्वारा बम्बई हाईकोर्ट के नौ मार्च, 2021 के उस आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें कहा गया था कि निजी अस्पताल के कर्मचारी बीमा योजना के तहत लाभ प्राप्त करने के हकदार नहीं हैं, जब तक कि उनकी सेवाओं की मांग राज्य या केंद्र सरकार द्वारा न की गई हो. किरण भास्कर सुरगड़े ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है, जिनके पति की 2020 में कोविड-19 के कारण मृत्यु हो गई थी. उनके पति महाराष्ट्र के ठाणे में एक निजी क्लिनिक चलाते करते थे.

बीमा कंपनी ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज (पीएमजीकेपी) के तहत उनके दावे को इस आधार पर खारिज कर दिया कि उनके पति के क्लिनिक को कोविड-19 अस्पताल के रूप में मान्यता नहीं दी गई थी. पीएमजीकेपी की घोषणा मार्च 2020 में की गई थी और तब से इसका दायरा बढ़ा दिया गया है. इसे स्वास्थ्यकर्मियों को सुरक्षा कवच प्रदान करने के लिए शुरू किया गया था ताकि कोविड-19 के कारण किसी भी प्रतिकूल परिस्थिति में उनके परिवारों की देखभाल सुनिश्चित की जा सके.

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Rakesh Ranjan Kumar

राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...और पढ़ें

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New Delhi,Delhi

First Published :

December 12, 2025, 02:05 IST

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