Last Updated:June 08, 2025, 23:46 IST
भारत ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद तीनों सेनाओं को हथियार खरीदने की पूरी छूट दी है. अब सेना बिना देरी के ब्रह्मोस, S-400, कामिकेज ड्रोन जैसे हथियार खरीद सकेगी.

भारतीय सेनाओं को हथियार खरीदने की खुली छूट मिल गई है.
हाइलाइट्स
भारतीय सेनाओं को हथियार खरीदने की खुली छूट मिली.ब्रह्मोस, S-400, कामिकेज ड्रोन जैसे हथियार खरीदे जाएंगे.ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद यह निर्णय लिया गया.भारत अब बोलने नहीं, करने के मोड में है. शनिवार शाम ऑपरेशन सिंदूर की एक महीने की कामयाबी का जश्न जब दिल्ली में मनाया जा रहा था, तभी रक्षा मंत्रालय ने तीनों सेनाओं को एक ऐसा अधिकार दे दिया जिसने दुश्मनों की नींद उड़ा दी. अब भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना को बिना किसी देरी या नौकरशाही रुकावट के वो सभी हथियार खरीदने की मंजूरी मिल चुकी है जो अगली जंग के लिए जरूरी हैं.
अब कोई सीमा तय नहीं. कोई मंजूरी नहीं रुकेगी. सेनाएं जो चाहें, जब चाहें, जितना चाहें, ब्रह्मोस, स्कैल्प, S-400, कामिकेज ड्रोन, आर्टिलरी गोले, हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, सब कुछ अपने दम पर खरीद सकेंगी. ये हथियार सिर्फ खरीदने के लिए नहीं होंगे, बल्कि पाकिस्तान और उसके दोस्तों के पास मौजूद सिस्टम से भी ज्यादा खतरनाक साबित होंगे.
जब पाकिस्तानी एयरबेस कांप उठे
10 मई को शुरू हुआ ऑपरेशन सिंदूर, भारतीय वायुसेना की अब तक की सबसे सटीक, तेज और निर्णायक ऐक्शन का सबूत था. जब एक साथ 11 पाकिस्तानी एयरबेस पर हमारी सेनाओं ने अटैक किया, और दुश्मन को भनक तक नहीं लगी. सरगोधा, जैकोबाबाद, रफीक और रावलपिंडी का नूर खान एयरबेस, हर जगह भारत के राफेल जेट्स गरजते हुए पहुंचे. खुफिया रिपोर्ट्स की मानें तो IAF ने वहां तैनात 4 चीनी फाइटर जेट्स, एक C-130J और एक Saab 2000 AEW&C सिस्टम को हवा में ही उड़ा दिया. साथ ही दो F-16 लड़ाकू विमानों को गंभीर नुकसान भी पहुंचाया गया.
S-400 की दहाड़ और ब्रह्मोस की विनाशलीला
इस ऑपरेशन में भारत के पास मौजूद रूसी S-400 एयर डिफेंस सिस्टम ने भी कमाल दिखाया. तीन पाकिस्तानी एयरक्राफ्ट उसके निशाने से नहीं बच पाए. वहीं, भारत ने 19 ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें और 18 फ्रांसीसी SCALP सबसोनिक मिसाइलें दुश्मन के एयरबेस पर दागीं. सटीक निशाना लगाया और कोई चूक नहीं हुई. पाकिस्तानी रडार सिस्टम, जो चीनी और अमेरिकी तकनीक पर आधारित थे, LY-80 फायर रडार, AN TPQ-43 और HQ-9 रडार यूनिट, सब के सब तबाह कर दिए गए. खास बात ये रही कि HQ-9 रडार वही है जिसे पाकिस्तान रूस के S-300 का जवाब मानता था. भारत ने उसे भी चकनाचूर कर दिया.
दुश्मन की चाल हुई फेल
पाकिस्तान ने अपनी तरफ से कोशिश की. HQ-9 सिस्टम को 150 किमी वाले दूसरे एयर डिफेंस सिस्टम से लिंक कर दिया, ताकि भारतीय हमलों को भ्रमित किया जा सके. लेकिन IAF के एयर स्ट्रैटेजिस्ट्स ने उसकी ये चाल पढ़ ली. उल्टा, पाकिस्तानी मलिर छावनी और चकलाला बेस पर बमों की बरसात कर दी गई. पाक ने JF-17 से CM-400 AKG मिसाइलें, FATAH-1 रॉकेट, और तुर्की में बने YIHA लोइटरिंग हथियार चलाए. लेकिन भारतीय इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम ने उन्हें जाम कर दिया. कई मिसाइलें अपने लक्ष्य से भटक गईं, बाकियों को भारतीय वायु रक्षा प्रणालियों ने आसमान में ही खत्म कर दिया.
अब सरकार ने खोल दिए हाथ: जो चाहिए, लो!
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस सफलता के बाद सरकार ने तीनों सेनाओं को साफ निर्देश दे दिए, अब कोई कागजी काम नहीं, कोई मंजूरी नहीं रुकेगी. तुम्हें जो चाहिए, जब चाहिए सीधे खरीदो. इसका मतलब सिर्फ इतना नहीं कि अब भारत और हथियार खरीदेगा. इसका मतलब ये है कि अब भारत तेजी से युद्ध के लिए तैयार होता देश बन चुका है. अब IAF, सेना और नौसेना अपने मिशन के हिसाब से तुरंत फैसला ले सकेंगी. इससे पाकिस्तान और उसके सहयोगी देशों पर दबाव और बढ़ेगा.
अब कौन-कौन से हथियार होंगे फोकस में?
1. लॉन्ग रेंज मिसाइल सिस्टम- SCALP और ब्रह्मोस से भी ज्यादा रेंज वाले सिस्टम.
2. कामिकेज ड्रोन्स- जो सीधे टारगेट पर गिरकर धमाका करते हैं.
3. मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर्स और आर्टिलरी गोले- पहाड़ी इलाकों में निर्णायक ताकत.
4. हवा से हवा में मार करने वाली अगली पीढ़ी की मिसाइलें जैसे Meteor, Astra Mk-II.
क्या संदेश गया है दुनिया को?
इस पूरे अभियान और फैसले ने एक बात साबित कर दी कि भारत अब ‘react’ नहीं करता, अब वो pre-emptive strike करता है. चीन और पाकिस्तान के साथ जुड़कर जब कोई देश भारत को घेरने की कोशिश करेगा, तब उसका अंजाम ऑपरेशन सिंदूर जैसा ही होगा. भारत अब सिर्फ अपनी सीमा पर ही नहीं, साइबर, एयर और स्पेस वॉरफेयर में भी पहली कतार में खड़ा है.
Mr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi.news18.com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for 'Hindustan Times Group...और पढ़ें
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