Last Updated:December 26, 2025, 22:24 IST
Most Successfull CEO : क्या आपको पता है कि दुनिया का सबसे सफल सीईओ कौन है. इस व्यक्ति ने अपनी कंपनी को 9 लाख करोड़ का बना दिया और कभी किसी को इंटरव्यू नहीं दिया. कंपनी ने 2006 के बाद से अपने निवेशकों को 266 गुना का रिटर्न दिया है.
मार्क ने अपनी कंपनी को 19 साल में 9 लाख करोड़ रुपये की बना दी है. नई दिल्ली. सफल सीईओ की बात करें तो सबसे पहला नाम आता है सुंदर पिचाई और सत्या नडेला का. लेकिन, एक ऐसा नाम है जिसे दुनिया का सबसे सफल सीईओ करें तो ज्यादा नहीं होगा. बस आपको यह नाम शायद ही पता हो, लेकिन इस व्यक्ति ने 103 अरब डॉलर (करीब 9 लाख करोड़ रुपये) की कंपनी खड़ी कर दी है और उनकी कंपनी 19 साल से लगातार 34 फीसदी का दमदार रिटर्न दे रही है. अगर अब भी आपको नाम नहीं याद आया तो हम बताते हैं.
इस सफल सीईओ का नाम है मार्क लियोनार्ड. उन्होंने बाकी सीईओ की तरह न तो कोई प्रचार किया और न ही कंपनी का विज्ञापन करवाया. इसके बजाय कंपनी के हेडक्वार्टर में महज 30 कर्मचारियों के साथ अपना कारोबार शुरू किया और आज 103 अरब डॉलर की कंपनी कर दी. उन्होंने अपना बिजनेस बढ़ाने के लिए 150 शहरों में करीब 600 कंपनियों का अधिग्रहण किया है. मार्क ने इन कंपनियों का अधिग्रहण कर अपनी कंपनी को 9 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचा दिया है.
कैसे बनाई इतनी बड़ी कंपनी
मार्क ने अपने बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए साधारण सा नियम अपनाया. उन्होंने न तो आईपीओ लाने की कोशिश की और न ही कोई इंटीग्रेशन या सिनरजी करवाई. अपने पूरे करियर के दौरान मार्क ने सिर्फ एक बार कंपनी बेची थी, जिसे वह अपनी गलती बताते हैं. उपका सिंपल सा फंडा है कि कोई सेल नहीं करनी, सिर्फ होल्ड करके रखना है. इसी फंडे को अपनाकर उन्होंने हर साल अपनी कंपनी का ग्रोथ 34 फीसदी के आसपास बनाए रखा है.
बड़ी नहीं, छोटी कंपनियों पर लगाया दांव
मार्क ने बड़ी कंपनियों का अधिग्रहण करने के बजाय छोटी-छोटी कंपनियों पर दांव लगाया. उन्होंने मरीना मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर, लाइब्रेरी सिस्टम, यूटिलिटी बिलिंग टूल, म्यूनिसिपल ईआरपी का अधिग्रहण किया. यह कारोबार तेजी से ग्रोथ करने वाले और मार्केट ओरिएंटेड थे. अधिग्रहण के बाद इसमें और भी तेजी आई और आज कंपनी का सालाना ग्रोथ करीब 34 फीसदी के आसपास पहुंच गया था.
अधिग्रहण के लिए बड़ी रणनीति
मार्क ने 6 ऑपरेटिंग ग्रुप बना रखा है, जो किसी भी अधिग्रहण पर बिना हेडक्वार्टर से मंजूरी लिए ही फैसला ले सकती है. इस टीम को 2 करोड़ डॉलर तक के अधिग्रहण के लिए मंजूरी लेने की जरूरत नहीं पड़ती है. कैपिटल एलोकेशन को लेकर भी उनकी रणनीति काफी आक्रामक थी. किसी भी अधिग्रहण में उनका मिनिमम हर्डल रेट सिर्फ 20 फीसदी होता था, जबकि 88 फीसदी कैशफ्लो और जीरो अम्पायर बिल्डिंग का लक्ष्य रहता था. इससे कंपनी के अधिग्रहण के बाद उसमें नुकसान की आशंका कम हो जाती है.
2024 में कैसा रहा प्रदर्शन
कंपनी का साल 2024 में रेवेन्यू 20 फीसदी बढ़कर 10 अरब डॉलर यानी करीब 90 हजार करोड़ रुपये पहुंच गया था. 73.1 करोड़ डॉलर की शुद्ध इनकम हुई, जो इससे पहले के साल के मुकाबले 29 फीसदी ज्यादा है. कंपनी ने अब तक करीब सवा लाख कस्टमर को अपनी सेवाएं दी हैं, जो 100 से अधिक देशों में फैला हुआ है. इससे पता चलता है कि कंपनी ने कितनी तेजी से ग्रोथ की है.
बाजार में आने के बाद से कितनी ग्रोथ
कंपनी ने साल 2006 में शेयर बाजार में कदम रखा था और लिस्टेड हुई थी. इसके बाद से अब तक 26,646 फीसदी का रिटर्न दिया है. इसका मतलब है कि पिछले 19 साल में कंपनी ने 266 गुना का रिटर्न अपने निवेशकों को दिया है. आज इस शेयर की कीमत 4,924 डॉलर प्रति शेयर पहुंच गई है. इसके साथ ही कंपनी का मार्केट कैप 103.40 अरब डॉलर का हो गया है. यह उछाल कंपनी के शेयरों में कम्पाउंडिंग की वजह से आया है.
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प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
December 26, 2025, 22:24 IST

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