दुनिया के किस फाइटर जेट को उड़ाना सबसे आसान और किसे उड़ाना सबसे मुश्किल

5 hours ago

दुनिया में इस समय कई शानदार फाइटर जेट हैं, जिसका इस्तेमाल अलग अलग देशों की वायुसेनाएं करती हैं. इन फाइटर जेट में किसे उड़ाना बहुत मुश्किल है तो किसे उड़ाना आसान. भारत के पास सुखोई और राफेल जैसे फाइटर जेट हैं, उन्हें उड़ाना कितना आसान या मुश्किल है.

विमानों को उड़ाना उनके डिज़ाइन, फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम, मिशन प्रोफाइल और पायलट के अनुभव पर निर्भर करता है लेकिन दुनिया के मौजूदा बेस्ट फाइटर जेट में कुछ वाकई अपनी तकनीक और डिजाइन के कारण उड़ाने में आसान माने जाते हैं तो कुछ मुश्किल. हालांकि मुश्किल जेट को भी पारंगत पायलट काबू कर ही लेते हैं.

सबसे आसान फाइटर जेट्स
1. एफ-16 फाइटिंग फाल्कन (F-16 Fighting Falcon, USA)
ये अमेरिका में बना फाइटर जेट है. दुनिया के बेहतरीन फाइटर जेट के तौर पर इसे माना जाता है. पड़ोसी देश पाकिस्तान की वायुसेना के पास भी ये फाइटर जेट है.
– इसका फ्लाई-बाय-वायर (FBW) सिस्टम स्वचालित रूप से विमान को स्थिर रखता है.
– कॉकपिट एर्गोनॉमिक्स बहुत यूजर-फ्रेंडली है
– सिंगल-इंजन होने के बावजूद इसे संभालना आसान है
– नए पायलटों को F-16 पर बेसिक फाइटर मैन्युवर्स (BFM) सिखाए जाते हैं.

Generated image

एफ-16 फाइटिंग फाल्कन, अमेरिका के इस फाइटर जेट को उड़ाना काफी आसान माना जाता है, (News16 AI)

2. जैस 39 ग्रिपन (JAS 39 Gripen, Sweden)
JAS 39 ग्रिपेन स्वीडिश एयरोस्पेस कंपनी साब द्वारा निर्मित एक हल्का, सिंगल-इंजन, मल्टीरोल लड़ाकू विमान है. “JAS” का मतलब स्वीडिश में “जैक्ट” (हंटर/फाइटर), “अटैक” (ग्राउंड अटैक), और “स्पैनिंग” (टोही) है, जो इसकी बहुमुखी क्षमताओं को दिखाता है. ये कई देशों में इस्तेमाल किया जा रहा है.
– ऑटोमेटेड फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम पायलट के काम को कम करता है
– सिंगल-इंजन + कॉम्पैक्ट डिज़ाइन इसे हैंडल करने में सरल बनाता है
– कम मेंटेनेंस वाला विमान, इसलिए ट्रेनिंग में ज्यादा फोकस फ्लाइंग पर होता है।

3. तेजस (Tejas Mk1 India)
तेजस एमके1 भारत में विकसित एक हल्का, सिंगल-इंजन, मल्टीरोल लड़ाकू विमान है. इसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) द्वारा संयुक्त रूप से डिज़ाइन और विकसित किया गया है. तेजस का विकास 1980 के दशक में भारत के पुराने मिग-21 लड़ाकू विमानों को बदलने के लिए ‘हल्का लड़ाकू विमान’ (LCA) कार्यक्रम के तहत शुरू हुआ था. 2003 में इसे आधिकारिक तौर पर ‘तेजस’ नाम दिया गया, जिसका अर्थ है ‘तेजस्वी’.
– 4चैनल डिजिटल FBW सिस्टम नए पायलटों को स्टेबिलिटी देता है.
– हल्का और एगाइल, लेकिन माइल्ड हैंडलिंग के लिए डिज़ाइन किया गया है.
– IAF के पायलट इसे मिग-21 की तुलना में आसान मानते हैं.

Generated image

भारत में बने तेजस फाइटर जेट को इसलिए पसंद किया जाता है क्योंकि इसे उड़ाना आसान है और कंट्रोल भी आसान (News18 AI)

सबसे मुश्किल फाइटर जेट्स
एक्सपर्ट पायलट्स भी इन फाइटर जेट्स को उड़ाना मुश्किल मानते हैं

1. मिग-21 बिसन (MiG-21 Bison, Russia/India)
भारत लंबे समय इस फाइटर जेट्स का इस्तेमाल कर रहा है. रूस की तकनीक के जरिए भारत इसे स्वदेश में बना भी रहा है.
– FBW सिस्टम नहीं – पायलट को मैन्युअली हर चीज़ कंट्रोल करनी पड़ती है.
– हाई लैंडिंग स्पीड (300+ km/h) – एक गलती और दुर्घटना हो सकती है.
– टाइट कॉकपिट और पुराने एवियोनिक्स से पायलट पर दबाव बढ़ता है.
– IAF में इसे “फ्लाइंग कॉफिन” भी कहा जाता था (हालांकि Bison अपग्रेड ने इसे सुरक्षित बनाया.

Generated image

मिग -21 फाइटर जेट को उडा़ना मुश्किल माना जाता है. भारत में इसे लोग उड़ता ताबूत कहने लगे हैं. इसमें एक गलती ही जानलेवा हो सकती है. ( News18 AI)

2. एफ-14 टामकैट (F-14 Tomcat, USA)
– वेरिएबल-स्वीप विंग्स के कारण हैंडलिंग बेहद जटिल
– दो-इंजन + भारी शरीर – इसे संभालने के लिए पायलट को बहुत अनुभव चाहिए.
– कैरियर ऑपरेशन्स और AIM-54 फीनिक्स मिसाइल्स का प्रबंधन चुनौतीपूर्ण था।

3. सुखोई – 30एमकेआई (Su-30MKI, Russia/India)
सुखोई का उत्पादन भी भारत में हो रहा है. ये भारतीय वायुसेना के दमदार फाइटर जेट में गिने जाते हैं. भारतीय पायलट्स इन्हें बखूबी उड़ाते हैं. लेकिन इन्हें उड़ाना मुश्किल माना जाता है.
– थ्रस्ट वेक्टरिंग + अत्यधिक एगाइलिटी – पायलट को हाई-जी मैन्युवर्स में विमान संभालना पड़ता है.
– ट्विन-इंजन + भारी फ्यूल लोड – लंबी उड़ानों में थकान बढ़ता है.
– कॉम्प्लेक्स एवियोनिक्स – पायलट को रडार, EW सिस्टम और मिशन प्लानिंग में मल्टीटास्किंग करनी पड़ती है.

Generated image

सुखोई बहुत खतरनाक और अचूक फाइटर जेट है लेकिन इसे उड़ाना कतई आसान नहीं. हालांकि भारतीय पायलट इसे बखूबी उड़ाते हैं और भारतीय वायुसेना के ताकतवर फाइटर जेट में शामिल है. ( News 18 AI)

4. यूरोफाइटर (Eurofighter Typhoon, Europe)
इस विमान के डिजाइन को अनस्टेबल कहा जाता है. यह विमान जानबूझकर अस्थिर बनाया गया है ताकि यह तेजी से मुड़ सके, लेकिन इससे कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है.
– फुल-डिजिटल FBW सिस्टम को समझने के लिए काफी एडवांस ट्रेनिंग चाहिए.

राफेल उड़ाना कैसा होता है
राफेल एक मध्यम-कठिनाई वाला फाइटर जेट है, जो नए पायलटों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन अनुभवी पायलटों के लिए यह एक “ड्रीम मशीन” की तरह है. राफेल का FBW सिस्टम स्वचालित रूप से विमान को स्थिर रखता है, जिससे पायलट को बेसिक फ्लाइंग में कम मेहनत करनी पड़ती है. F-16 और ग्रिपेन की तरह ही यह यूजर-फ्रेंडली इंटरफेस प्रदान करता है.
– स्पेक्ट्रा इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम दुश्मन के थ्रेट्स को ऑटोमेटिकली हैंडल करता है, जिससे पायलट का काम आसान हो जाता है।
– एक ही सॉर्टी में एयर-टू-एयर और एयर-टू-ग्राउंड मिशन स्विच करना आसान है.
– इसकी हाई-स्पीड और एग्रेसिव मैन्युवर्स इसे काबू करना मुश्किल बनाते हैं.
– एक साथ मल्टीपल टारगेट्स को ट्रैक करना नए पायलटों के लिए आसान नहीं होता, क्योंकि थ्रॉटल और स्टिक (HOTAS) कंट्रोल्स को मास्टर करने में समय लगता है.
– राफेल एक “Omnirole” फाइटर है, मतलब एक ही मिशन में ये एयर डॉमिनेशन, इंटरसेप्शन, प्रिसिशन स्ट्राइक, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर और रीकॉन सभी कर सकता है.

Read Full Article at Source