दिल्ली में हट गया ग्रैप-4, क्या BS-4 गाड़ी ले जा सकते हैं? ग्रैप-3 में क्या...

2 hours ago

Difference between Grap-3 and Grap-4 restrictions: दिल्ली में एयर क्वालिटी में थोड़ा सा सुधार होने के बाद ग्रैप-4 की पाबंदियों को हटा दिया गया है. हालांकि अभी भी ग्रैप-3 के सख्त नियम लागू हैं. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि क्या ग्रैप-4 हटने के बाद दिल्ली के अंदर बीएस-4 गाड़ियां ले जा सकते हैं? क्योंकि ऐसी बहुत सारी गाड़ियां हैं जो बीएस-4 हैं और लोग इनसे दिल्ली से होते हुए गुरुग्राम, नोएडा, गाजियाबाद और फरीदाबाद तक सफर करते हैं, क्योंकि सभी को दिल्ली से होकर गुजरना होता है, ऐसे में यह जानना जरूरी है कि क्या ग्रैप-3 में बीएस-4 गाड़ियों को ले जाने की अनुमति है या नहीं?

आइए विस्तार से ग्रैप-3 और ग्रैप-4 के बारे में आसान भाषा में जानते हैं और फिर समझते हैं कि बीएस-4 वाहनों को ले जा सकते हैं या नहीं.

ग्रैप-3 में क्या होती हैं पाबंदियां?
ग्रैप-3 में 9 सूत्रीय कार्य योजना लागू होती है.आइए जानते हैं..

1. निर्माण और विध्वंस गतिविधियों पर पूरी तरह पाबंदी- इसके अंतर्गत पूरे एनसीआर में धूल पैदा करने या वायु प्रदूषण फैलाने वाले सभी कामों पर सख्त रोक होती है. जैसे खुदाई और भराई के लिए मिट्टी का काम, बोरिंग-ड्रिलिंग या पाइलिंग के कामों पर पाबंदी होती है . सीवर लाइन, जल लाइन, जल निकासी, बिजली केबलिंग बिछाना, ईंट पत्थर के काम, वेल्डिंग और गैस-कटिंग, पेंटिंग, पॉलिशिंग और वार्निशिंग, सीमेंट, प्लास्टर या अन्य कोटिंग्स, टाइल, पत्थर और फर्श सामग्री की कटिंग, ग्राइंडिंग और फिक्सिंग, प्रोजेक्ट साइट के अंदर या बाहर कहीं भी सीमेंट, फ्लाई ऐश, ईंटें, रेत, मुर्रम, कंकड़, बजरी आदि जैसे धूल उत्पन्न करने वाले पदार्थों को लाना-ले जाना, कच्ची सड़कों पर निर्माण सामग्री ले जाने वाले वाहनों की आवाजाही आदि पर पूरी तरह पाबंदी होती है.

हालांकि वे निर्माण कार्य जो कम धूल पैदा करते हैं, या राष्ट्रीय महत्व के हैं, विशेष एहतियात के साथ उन्हें जारी रख सकते हैं. इनमें रेलवे सेवाएं, मेट्रो रेल सेवाएं, हवाई अड्डे और अंतरराज्यीय बस टर्मिनल, राष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा संबंधी गतिविधियां, अस्पताल, राजमार्ग, सड़कें, फ्लाईओवर, ओवरब्रिज, पाइपलाइन आदि के निर्माण कार्य शामिल हैं.

2. ग्रैप-3 में पूरे एनसीआर में स्टोन क्रशर का संचालन बंद करना होता है.

3. पूरे एनसीआर में सभी खनन और संबंधित गतिविधियां बंद रहती हैं.

4. एनसीआर राज्य सरकार या जीएनसीटीडी दिल्ली और गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद और गौतम बुद्ध नगर जिलों में बीएस-III पेट्रोल और बीएस-IV डीजल से चलने वाले चार पहिया वाहनों के संचालन पर सख्त प्रतिबंध लगाया जाता है. हालांकि दिव्यांगजनों को बीएस-III पेट्रोल या बीएस-IV डीजल से चलने वाले कम भार वाले वाहनों को चलाने की अनुमति होगी लेकिन तभी जब वे उनके निजी उपयोग के लिए हों.

5. दिल्ली में पंजीकृत डीजल से चलने वाले मध्यम मालवाहक वाहनों पर जो बीएस-IV मानकों या उससे नीचे के हों, उन पर सख्त प्रतिबंध रहता है.सिवाय उन वाहनों के जो जरूरी वस्तुएं या सेवाएं दे रहे हों.

6. दिल्ली के बाहर पंजीकृत बीएस-IV डीजल से चलने वाले मालवाहक वाहनों को दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाती है.

7. एनसीआर में दिल्ली सहित गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद और गौतम बुद्ध नगर जिलों में कक्षा 5 तक के बच्चों के लिए स्कूलों में कक्षाएं अनिवार्य रूप से हाइब्रिड मोड में संचालित करनी होती हैं.

8. एनसीआर राज्य सरकारें या जीएनसीटीडी सार्वजनिक, नगरपालिका और निजी कार्यालयों को 50 परसेंट तक कर्मचारियों के साथ काम करने की अनुमति देने और बाकी कर्मचारियों को घर से काम करने की अनुमति देने के संबंध में निर्णय ले सकती हैं.

9. केंद्र सरकार केंद्रीय सरकारी कार्यालयों में कार्यरत कर्मचारियों को घर से काम करने की अनुमति दे सकती हैं.

ग्रैप-4 में क्या होता है?
ग्रैप-4 में 5-सूत्रीय कार्ययोजना पूरे एनसीआर में लागू की जाती है. इस 5-सूत्रीय कार्ययोजना में विभिन्न एजेंसियों और NCR के प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों व डीपीसीसी द्वारा लागू नियम भी शामिल होते हैं. आइए जानते हैं इन पांच के बारे में..

दिल्ली में बीएस-IV ट्रक यातायात के प्रवेश पर रोक लगा दी जाती है. सिर्फ अनिवार्य और जरूरी वस्तुएं या सेवाएं प्रदान करने वाले ट्रकों को एंट्री मिलती है. एलएनजी,सीएनजी,इलेक्ट्रिक ट्रकों को अनुमति होती है. जरूरी सेवाओं को छोड़कर दिल्ल में दिल्ली-पंजीकृत डीजल चालित बीएस-IV और उससे नीचे की श्रेणी के भारी माल वाहकों के संचालन पर सख्त प्रतिबंध लगाया जाता है. ग्रैप 3 में छूट प्राप्त राजमार्ग, सड़कों, फ्लाईओवर, ओवरब्रिज, विद्युत, पाइपलाइन, दूरसंचार आदि जैसी रेखीय सार्वजनिक परियोजनाओं के निर्माण और विध्वंस पर पूरी तरह रोक.  दिल्ली एनसीआर में कक्षा 6 से 9 और 11 वीं तक के स्कूलों में कक्षाएं हाइब्रिड यानि भौतिक और ऑनलाइन जैसे भी संभव हो, दोनों माध्यमों में करने की अनुमति दी जाए. या सभी के लिए भी हाइब्रिड मोड पर विचार किया जा सकता है.  राज्य सरकारें अतिरिक्त आपात उपायों पर विचार कर सकती हैं, जैसे कॉलेज या शैक्षिक संस्थानों को बंद करना, गैर-आपातकालीन व्यावसायिक गतिविधियों को बंद करना, वाहनों के परिचालन की अनुमति पंजीकरण संख्या के आधार पर विषम-सम संख्या प्रणाली पर देना आदि.

दिल्ली में ग्रैप-4 हटा लेकिन ग्रैप-3 लागू, ऐसे में क्या होगा असर?

दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में आई थोड़ी कमी को देखते हुए ग्रैप-4 की पाबंदियों को हटा दिया गया है, जबकि ग्रैप-3 की पाबंदियां लागू हैं, ऐसे में अभी भी लोगों को दिल्ली में बीएस-4 वाहनों को ले जाने की अनुमति नहीं है. जो भी ऐसा करता है, उसे भारी जुर्माना चुकाना पड़ सकता है.

इतना ही नहीं दिल्ली सरकार ने स्पष्ट किया है कि बिना पीयूसी सर्टिफिकेट के वाहनों को डीजल या पेट्रोल आदि ईंधन भी नहीं मिलेगा. ऐसे में न केवल लोगों को पॉल्यूशन सर्टिफिकेट लेना होगा बल्कि अगर गाड़ी प्रदूषण फैला रही है तो उसे ठीक भी कराना होगा.

देखा जाए तो ग्रैप-3 के नियम काफी सख्त हैं और लोगों के निजी जीवन पर प्रभाव डालते हैं, ऐसे में भले ही ग्रैप-4 हट गया है लेकिन रोजमर्रा के जीवन को प्रभावित करने वाले नियम अभी भी दिल्ली में लागू हैं, लिहाजा लोग सावधानी बरतें और प्रदूषण को कंट्रोल करने में मदद करें.

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