Last Updated:September 16, 2025, 23:53 IST
Tourist Permit Rules Revision: सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने ऑल इंडिया टूरिस्ट व्हीकल्स परमिट नियमों में बदलाव का प्रस्ताव दिया है, जिससे नागालैंड में पंजीकरण पर भी असर पड़ेगा.

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने ऑल इंडिया टूरिस्ट व्हीकल्स (परमिट) रूल्स, 2023 में बदलाव का प्रस्ताव रखा है. इसके तहत टूरिस्ट वाहन अब अपने होम स्टेट से बाहर 45 दिनों से अधिक नहीं रह सकेंगे. यानी दिल्ली का टूरिस्ट व्हीकल यूपी-बिहार में 45 दिन से ज्यादा नहीं रुक पाएगा. इसकी निगरानी वाहन ट्रैकिंग सिस्टम के जरिए की जाएगी. इसी प्रस्ताव में टूरिस्ट वाहन परमिट की वैधता को 12 साल से बढ़ाकर 15 साल करने की पेशकश भी की गई है.
मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक, यह कदम परमिट के दुरुपयोग को रोकने, टोल व्यवस्था सुनिश्चित करने और यात्री सुरक्षा बढ़ाने के लिए उठाया गया है. सोमवार को प्रकाशित मसौदा संशोधन नियमों में कहा गया है कि लागू होने पर इन नियमों को ऑल इंडिया टूरिस्ट व्हीकल्स (परमिट) अमेंडमेंट रूल्स, 2025 कहा जाएगा। प्रस्ताव में टोल भुगतान के लिए कड़े अनुपालन के साथ-साथ यात्राओं, मार्गों और यात्रियों की ट्रैकिंग, मॉनिटरिंग और रिपोर्टिंग अनिवार्य करने का प्रावधान है।
जानें क्या क्या बदलने जा रहा
प्रस्ताव के अनुसार, टूरिस्ट वाहन अपनी यात्रा की शुरुआत या अंत, चाहे सर्कुलर हो या अन्यथा, होम स्टेट में ही करेगा, इस शर्त पर कि वाहन होम स्टेट से बाहर 45 दिनों से अधिक नहीं रहेगा. इसकी निगरानी राज्य सरकार द्वारा कमांड एंड कंट्रोल सेंटर्स के माध्यम से की जाएगी… प्रस्ताव में “होम स्टेट” का मतलब समझाते हुए कहा गया है कि वह राज्य, जिसने वाहन को ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट दिया है. यह परमिट उसी राज्य द्वारा जारी किया जाता है, जहां वाहन पंजीकृत होता है. प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि टूरिस्ट वाहन को स्टेज कैरिज के रूप में चलाने की अनुमति नहीं होगी और वह ऐसे यात्रियों को बीच रास्ते में न तो बिठा सकेगा और न ही उतार सकेगा, जिनके नाम टूरिस्ट सूची में दर्ज नहीं हैं. ड्राफ्ट नियमों में कहा गया है कि इन सभी वाहनों में लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस और इमरजेंसी बटन होना जरूरी है. साथ ही, यह भी तय किया गया है कि ऑपरेटरों पर 30 दिनों से ज़्यादा का कोई चालान लंबित नहीं होना चाहिए, सिवाय उन अपराधों के जो अदालत में विचाराधीन हैं. मसौदे में “अनपेड यूज़र फी” की नई परिभाषा जोड़ी गई है, जिसके तहत ऐसे मामलों में जब कोई वाहन इलेक्ट्रॉनिक टोल से बिना वैध या कार्यात्मक FASTag के गुजरता है और लागू शुल्क का भुगतान नहीं करता. प्रस्ताव में यह भी अनिवार्य किया गया है कि नए टूरिस्ट परमिट लेने या पुराने को नवीनीकृत कराने से पहले ऐसे सभी बकाया शुल्क चुकाए जाने चाहिए. ड्राफ्ट में कहा गया है कि ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट के तहत टूरिस्ट वाहन चलाने वाला ऑपरेटर, यात्रा शुरू करने से पहले उस वाहन के प्रस्थान बिंदु, गंतव्य और प्रस्तावित मार्ग पर आने वाले राज्यों की जानकारी वाहन पोर्टल पर अपलोड करेगा. यात्रा का गंतव्य और मार्ग कभी भी बदला जा सकता है, लेकिन प्रस्थान से कम से कम 24 घंटे पहले. इसके अलावा, मंत्रालय ने प्रस्ताव किया है कि ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट के लिए आवेदन अब विशेष रूप से उसी राज्य की परिवहन प्राधिकरण को प्रस्तुत करना होगा, जहां वाहन पंजीकृत है. यह बदलाव सुनिश्चित करेगा कि परमिट का अधिकार क्षेत्र और प्रशासनिक जिम्मेदारी केवल वाहन के होम स्टेट की प्राधिकरण पर हो. प्रस्ताव में यह भी अनिवार्य किया गया है कि आवेदनकर्ता का पता, साथ ही आधार या कॉरपोरेट आइडेंटिफिकेशन नंबर या GSTIN, वाहन की फिटनेस, बीमा और टैक्स वैधता सहित दर्ज होना चाहिए। साथ ही, इसमें वाहन की सीटिंग और स्लीपर क्षमता भी दर्ज होगी.नागालैंड क्यों चर्चा में?
मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि नागालैंड जैसे राज्यों में सड़क कर और पंजीकरण शुल्क बहुत कम हैं. यही कारण है कि अधिकांश टूरिस्ट बसें इन राज्यों में पंजीकृत होती हैं. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, नागालैंड जैसे छोटे राज्य ने इस साल 1.36 लाख से अधिक राष्ट्रीय टूरिस्ट परमिट जारी किए हैं, जो कि केरल (14,573), हिमाचल प्रदेश (36,704), तेलंगाना (44,044), मध्य प्रदेश (50,501), पंजाब (79,614) और कर्नाटक (95,549) जैसे बड़े राज्यों से कहीं अधिक है. सिर्फ चार राज्यों ने नागालैंड से ज़्यादा परमिट जारी किए हैं—हरियाणा (2.93 लाख), राजस्थान (2.59 लाख), उत्तर प्रदेश (2.20 लाख) और महाराष्ट्र (1.65 लाख). कम लागत के कारण ऑपरेटर नागालैंड में रजिस्ट्रेशन कराते हैं. ठीक वैसे ही जैसे 2017 से पहले अरुणाचल प्रदेश में होता था. हालांकि, 2017 में अरुणाचल सरकार ने उन सभी बसों के पंजीकरण और नेशनल परमिट रद्द कर दिए, जो राज्य में चल नहीं रही थीं. आज स्थिति यह है कि इस साल अरुणाचल प्रदेश में सिर्फ 293 राष्ट्रीय परमिट जारी हुए हैं.
आगे क्या होगा?
मसौदा नियम 30 दिनों तक सुझावों और आपत्तियों के लिए खुले रहेंगे। इन्हें अतिरिक्त सचिव (MVL), सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, ट्रांसपोर्ट भवन, संसद मार्ग, नई दिल्ली-110001 को भेजा जा सकता है. जनता और स्टेकहोल्डर अपने सुझाव और आपत्तियां ईमेल comments-morth@gov.in से भी भेज सकते हैं. निर्धारित अवधि से पहले यदि किसी व्यक्ति से इस मसौदे पर कोई आपत्ति या सुझाव प्राप्त होता है, तो उसे केंद्र सरकार द्वारा विचार किया जाएगा.
Mr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi.news18.com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for 'Hindustan Times Group...और पढ़ें
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Location :
Delhi,Delhi,Delhi
First Published :
September 16, 2025, 23:53 IST