Last Updated:December 11, 2025, 16:28 IST
IPS Isha Singh: तमिल नाडु की आईपीएस अफसर ईशा सिंह चर्चा में हैं. 27 साल की इस युवा आईपीएस अधिकारी को लेडी सिंघम कहा जा रहा है. आईपीएस ईशा सिंह ने भरी रैली में मंच से नेता को फटकार सुर्खियां बटोरी हैं. हर कोई उनकी हिम्मत की दाद दे रहा है.
IPS Isha Singh: आईपीएस ईशा सिंह का वीडियो वायरल हो रहा हैनई दिल्ली (IPS Isha Singh). आईपीएस ईशा सिंह ने अपनी तेज-तर्रार और निर्भीक कार्यशैली से कम समय में सुर्खियां बटोर ली हैं. वकील से पुलिस अधिकारी बनीं ईशा सिंह कानून के प्रति अपने गहरे विश्वास और जमीनी स्तर पर बदलाव लाने की दृढ़ इच्छाशक्ति के लिए जानी जाती हैं. उनका व्यक्तित्व उस पारिवारिक विरासत में ढला है, जहां न्याय और साहस किसी परंपरा की तरह रहा है. उनके पिता आईपीएस अधिकारी रह चुके हैं और मां भारतीय डाक सेवा में थीं. इसी से ईशा सिंह भी सिविल सेवा में आने के लिए प्रेरित हुईं,
हाल ही में पुडुचेरी के उप्पालम पोर्ट ग्राउंड में विजय की पार्टी ‘तमिलगा वेट्री कळगम (TVK)’ की एक बड़ी रैली आयोजित हुई. इसमें 5,000 लोगों के शामिल होने की अनुमति थी. लेकिन भीड़ उससे कई गुना ज्यादा उमड़ पड़ी. इससे वहां अफरातफरी मच गई और ईशा सिंह को सख्त प्रशासनिक रवैये के कारण ‘लेडी सिंघम’ का उपनाम मिल गया. इस घटना का वीडियो वायरल हो रहा है. आईपीएस ईशा सिंह ने मंच पर ही खड़े होकर भीड़ नियंत्रण और नियमों के पालन को लेकर एक नेता को सार्वजनिक रूप से चेतावनी दी थी.
महिला आईपीएस ने नेता को याद दिलाई बड़ी दुर्घटना
आईपीएस ईशा सिंह ने करूर में हुई दुखद भगदड़ की घटना की याद दिलाते हुए नियमों का उल्लंघन न करने की सख्त हिदायत दी. उनका यह कदम कर्तव्य के प्रति उनकी निर्भीकता और कानून से बड़ा कुछ नहीं, इस सिद्धांत में उनके अटूट विश्वास को दर्शाता है. इसने उन्हें रातोंरात राष्ट्रीय चर्चा का विषय बना दिया. TVK के बड़े राजनीतिक जमावड़े के दौरान ईशा सिंह ने माइक्रोफोन पकड़कर सार्वजनिक रूप से भीड़ के नियंत्रण और सुरक्षा नियमों का पालन करने के लिए कड़ी चेतावनी दी.
Puducherry SP Isha Singh IPS standing up against TVK functionaries and not allowing people more than permitted into the venue.
मंच से पूछा तीखा सवाल
पुलिस अधीक्षक ईशा सिंह ने विजय के रोड शो को अनुमति देने से पहले वरिष्ठ अधिकारियों को चेताया था. इसके बाद उन्हें रैली के आयोजन का काम सौंपा गया था. रैली में भारी भीड़ देखकर एसपी ईशा सिंह नाराज हो गई थीं. उन्होंने टीवीके महासचिव बस्सी आनंद के हाथों से माइक तक छीन लिया था. भीड़ के शोर को चीरते हुए उनका तीखा सवाल गूंजा था- तुम्हारे हाथ इतने लोगों के खून से सने हैं. 40 लोग मर चुके हैं. तुम क्या कर रहे हो? खास यह था कि करूर कांड के बाद विजय की यह पहली बड़ी रैली थी.
वकील से बनीं आईपीएस अफसर
ईशा सिंह का जन्म 1998 में मुंबई में हुआ था. उन्होंने नेशनल लॉ स्कूल, बेंगलुरु से वकालत की डिग्री ली. फिर लंबे समय तक मानवाधिकार मामलों पर काम किया. हाउसिंग सोसाइटी में सीवर टैंक हादसे में 3 सफाईकर्मियों की मौत के बाद उनके परिवारों को मुआवजा दिलाने में न सिर्फ उन्होंने केस लड़ा, बल्कि सिस्टम की खामियां भी देखीं. इसी दौरान उन्हें लगा कि बदलाव कोर्टरूम से नहीं आएगा. इसके लिए सिस्टम के अंदर होना जरूरी है. कोविड महामारी के दौरान उन्होंने UPSC की तैयारी की और दूसरे अटेंप्ट में 133वीं रैंक के साथ IPS बन गईं.
पिता की ईमानदारी और मां की लड़ाई से मिली हिम्मत
ईशा के पिता योगेश प्रताप सिंह भी आईपीएस अफसर थे और भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े होने पर उन्हें कई बार पनिशमेंट पोस्टिंग मिली. आखिरकार उन्होंने सिस्टम के विरोध में इस्तीफा दे दिया. उनकी मां आभा सिंह जानी-मानी वकील हैं. उन्होंने कई पब्लिक इंटरेस्ट मामलों में संघर्ष किया. उन्हें सलमान खान हिट एंड रन केस के लिए भी जाना जाता है. ईशा को घर से ही सीख मिली कि कानून बिना हिम्मत सिर्फ एक फर्नीचर है. आईपीएस बनने से पहले वह बॉम्बे हाई कोर्ट में सक्रिय वकील थीं.
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With over more than 10 years of experience in journalism, I currently specialize in covering education and civil services. From interviewing IAS, IPS, IRS officers to exploring the evolving landscape of academi...और पढ़ें
First Published :
December 11, 2025, 16:28 IST

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