Last Updated:September 16, 2025, 22:33 IST
ई. पलानीस्वामी ने दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात की, जिसमें AIADMK-BJP गठबंधन, के.ए. सेंगोट्टैयन का प्लेसमेंट और DMK सरकार के भ्रष्टाचार पर चर्चा हुई. 2026 चुनाव की रणनीति बनी.

तमिलनाडु की राजनीति में एक नई हलचल पैदा हो गई है. मंगलवार रात पूर्व मुख्यमंत्री और एआईएडीएमके नेता ई. पलानीस्वामी ने दिल्ली पहुंचकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की. बातचीत करीब 45 मिनट चली और इसमें कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई. सतही तौर पर तो एआईएडीएमके नेताओं ने कहा कि उन्होंने भ्रष्टाचार में लिप्त डीएमके मंत्रियों पर केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई की मांग रखी, लेकिन सूत्रों के मुताबिक असली मकसद कहीं बड़ा था.
पहली बात, मुलाकात क्यों इतनी अहम है? तमिलनाडु में 2026 के विधानसभा चुनाव अब दूर नहीं हैं. बीजेपी पहले ही साफ कर चुकी है कि वह इस चुनाव को किसी भी हालत में अपने लिए तमिलनाडु विजय का अवसर बनाना चाहती है. रणनीति का नेतृत्व खुद अमित शाह कर रहे हैं. ऐसे में पलानीस्वामी और शाह की यह मीटिंग चुनावी समीकरणों की नई पटकथा का हिस्सा मानी जा रही है. मिलनाडु में बीजेपी और एआईएडीएमके का गठबंधन पिछले कुछ महीनों से उतार-चढ़ाव का सामना कर रहा है. कई मुद्दों पर पलानीस्वामी ने गठबंधन की लाइन से हटकर बयान दिए और पार्टी के भीतर असंतोष भी उभर कर सामने आया.
सेंगोट्टैयन को सेट करने का मुद्दा
पार्टी छोड़ने वालों की लंबी फेहरिस्त इस समय पलानीस्वामी खेमे के लिए बड़ी चुनौती है. पहले ही पन्नीरसेल्वम, शशिकला और टीटीवी दिनाकरण जैसे बड़े नाम अलग हो चुके हैं. हाल ही में वरिष्ठ नेता के.ए. सेंगोट्टैयन को पार्टी से निष्कासित किया गया. सेंगोट्टैयन कई बार विधायक रहे हैं और संगठन में गहरी पकड़ रखते हैं.वह तमिलनाडु के सबसे ज्यादा बार जीतने वाले विधायक हैं और एआईएडीएमके के सीनियर नेता भी रहे हैं. इनकी राजनीति 1970 के दशक में शुरू हुई और उन्होंने सत्यमंगलम और गोबीचेट्टीपलयम सीट का प्रतिनिधित्व किया है. जयललिता सरकार में वे राजस्व मंत्री का पदभार संभाल चुके हैं. मौजूदा समय में वह एआईएडीएमके के हेडक्वार्टर सेकेट्री थे. बताया जाता है कि वह बीजेपी नेतृत्व से भी संपर्क में हैं. यही वजह है कि शाह–पलानीस्वामी मुलाकात का एक मकसद उनका “प्लेसमेंट” तय करना भी था.
बीजेपी की रणनीति
बीजेपी के शीर्ष रणनीतिकारों का मानना है कि तमिलनाडु में अकेले दम पर खड़ा होना मुश्किल है. डीएमके का गठबंधन मजबूत है और उसे हराने के लिए एआईएडीएमके का साथ जरूरी है. लेकिन अगर एआईएडीएमके बंटी रही या उसके बड़े नेता एक-एक कर बाहर होते गए तो डीएमके की राह और आसान हो जाएगी. यही वजह है कि शाह ने पलानीस्वामी से वन-टू-वन बातचीत कर यह सुनिश्चित करने की कोशिश की कि गठबंधन बरकरार रहे और जो असंतुष्ट नेता बाहर हो चुके हैं, उन्हें किस तरह NDA खेमे में जगह दी जाए.
भ्रष्टाचार और DMK पर हमले का एजेंडा
AIADMK नेताओं ने यह भी कहा कि उनकी मुख्य मांग DMK सरकार के भ्रष्टाचार को लेकर थी. उन्होंने केंद्रीय एजेंसियों से सख्त कार्रवाई की मांग उठाई. बीजेपी को भी यह मुद्दा चुनावी रणनीति में काम आता है क्योंकि भ्रष्टाचार के आरोप DMK के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार बन सकते हैं.
तमिलनाडु में बीजेपी की चुनौती
तमिलनाडु लंबे समय से द्रविड़ राजनीति का गढ़ रहा है. डीएमके और AIADMK के इर्द-गिर्द ही राज्य की राजनीति घूमती रही है. बीजेपी के लिए यहां पैठ बनाना हमेशा मुश्किल रहा है. हालांकि, नरेंद्र मोदी और अमित शाह की कोशिश यह है कि 2026 के चुनाव में बीजेपी को सिर्फ सहयोगी की भूमिका में नहीं, बल्कि एक निर्णायक खिलाड़ी के रूप में देखा जाए. इसके लिए बीजेपी तीन मोर्चों पर काम कर रही है. एआईएडीएमके को एकजुट रखना ताकि विपक्षी वोट बंटें नहीं. असंतुष्ट नेताओं को NDA में शामिल करना, जिससे संगठन मज़बूत हो. और DMK सरकार पर आक्रामक हमला करना.
Mr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi.news18.com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for 'Hindustan Times Group...और पढ़ें
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Location :
Delhi,Delhi,Delhi
First Published :
September 16, 2025, 22:33 IST