टूट गई 50 साल पुरानी 'गुलामी' की जंजीर, खत्म हुआ कफाला सिस्टम, क्या होगा असर?

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Last Updated:October 21, 2025, 10:13 IST

Kafala System: विदेशियों के लिए सऊदी अरब में नौकरी करना अब आसान हो जाएगा. वहां दशकों से लागू कफाला सिस्टम को खत्म करने का आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी हो गया है. इससे भारतीय कामगारों को भी काफी फायदा पहुंचेगा.

टूट गई 50 साल पुरानी 'गुलामी' की जंजीर, खत्म हुआ कफाला सिस्टम, क्या होगा असर?Kafala System: सऊदी अरब का कफाला सिस्टम इसानों को गुलाम बनाकर रखता था

नई दिल्ली (Kafala System). आप अपने परिवार का भविष्य संवारने, बेहतर कमाई करने की उम्मीद से सात समंदर पार एक नए देश में जाते हैं. वहां की धरती पर कदम रखते ही पता चलता है कि आपकी पूरी आजादी एक डॉक्यूमेंट के चंद पन्नों में कैद है. यह दस्तावेज आपका नहीं, बल्कि आपके मालिक का है. सऊदी अरब और अन्य खाड़ी देशों में दशकों से लाखों प्रवासी कामगारों ने इस कफाला सिस्टम को झेला है. यह कोई सरकारी नौकरी का नियम नहीं, बल्कि एक स्पॉन्सरशिप मॉडल था, जिसने नियोक्ता (कफील) को ही आपके भाग्य का विधाता बना दिया था.

कफाला सिस्टम ने दशकों तक विदेशी श्रमिकों को ‘आधुनिक गुलामी’ में बांध रखा था. इस प्रणाली के तहत, मालिक ही तय करता था कि आप कब नौकरी बदल सकते हैं, देश छोड़ सकते हैं या नहीं और कई बार पासपोर्ट तक उसी के कब्जे में होता था. लाखों जिंदगियां एक मुहर या दस्तखत के लिए अपने कफील की दया पर निर्भर थीं, जिससे शोषण और अमानवीय व्यवहार आम हो गए थे. लेकिन अब इतिहास करवट ले चुका है. सऊदी अरब ने इस 50 साल पुरानी ‘जंजीर’ को तोड़ने का साहसिक कदम उठाया है. यह सिर्फ एक कानूनी बदलाव नहीं, बल्कि करोड़ों प्रवासी कामगारों के लिए सम्मान, स्वतंत्रता और बेहतर भविष्य की नई सुबह है.

कफाला सिस्टम क्या था?

कफाला सिस्टम लेबर स्पॉन्सरशिप का ढांचा था. यह खाड़ी देशों में प्रचलित था. इसके तहत, विदेशी कर्मचारी का निवास और रोजगार वीजा एक स्थानीय नागरिक या कंपनी (कफील) से जुड़ा होता था.

इसे समझने के लिए प्रमुख बिंदु:

नियोक्ता का नियंत्रण: कफील के पास कामगार के कानूनी स्टेटस पर पूरा कंट्रोल होता था. आजादी पर प्रतिबंध: कामगार बिना कफील की अनुमति के न तो नौकरी बदल सकता था, न देश छोड़ सकता था (एग्जिट वीजा के बिना) और न ही कानूनी मदद ले सकता था. शोषण का खतरा: इस शक्ति असंतुलन के कारण श्रमिकों का शोषण, उनके पासपोर्ट जब्त करने और उन्हें गुलामों जैसा जीवन जीने पर मजबूर करने की खबरें आम थीं.

कफाला सिस्टम के फायदे और नुकसान

कफाला सिस्टम के फायदे कम और नुकसान ही ज्यादा थे. यह लोगों को गुलाम जैसा महसूस करवाता था.

पहलूफायदे (मुख्य रूप से नियोक्ता/राज्य के लिए)नुकसान (मुख्य रूप से कामगारों के लिए)
प्रशासनिकविदेशी श्रमिकों की कानूनी/प्रशासनिक जिम्मेदारी (वीजा, निवास) सीधे कफील को सौंप दी गई, जिससे राज्य की नौकरशाही पर भार कम हुआ.नियोक्ता के पास असीमित कानूनी अधिकार, जिससे शक्ति का गंभीर असंतुलन पैदा हुआ.
आर्थिककम लागत पर श्रम बल की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित हुई.नौकरी बदलने या देश छोड़ने की स्वतंत्रता न होने के कारण शोषण, कम वेतन और अमानवीय व्यवहार को बढ़ावा मिला.
सुरक्षाविदेशी श्रमिकों की एंट्री और एग्जिट को लोकल इकाई के जरिए कंट्रोल करना आसान था.नियोक्ता द्वारा पासपोर्ट जब्त कर लेना, कामगारों को गुलाम जैसी स्थिति में धकेल देना.

कफाला सिस्टम बंद होने से भारतीयों पर क्या फर्क पड़ेगा?

सऊदी अरब में लाखों भारतीय प्रवासी कामगारों के लिए यह सुधार एक गेम-चेंजर साबित हुआ है:

स्वतंत्रता और सम्मान: भारतीय कामगार अब ज्यादा स्वतंत्रता और एजेंसी के साथ काम कर सकेंगे. वे शोषण से बचने और बेहतर वेतन/सुविधाओं की तलाश में आसानी से नियोक्ता बदल सकते हैं. बेहतर कामकाजी माहौल: नए सिस्टम में कानूनी सुरक्षा मिलने से कामकाजी माहौल में सुधार की उम्मीद है. कामगार अब वेतन न मिलने या अन्य दुर्व्यवहार के मामलों में कानूनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं, जिससे उनका शोषण कम होगा. हाई स्किल्ड लेबर: यह बदलाव सऊदी अरब को आकर्षक श्रम बाजार बनाएगा. अब उच्च-कुशल भारतीय पेशेवरों को भी आकर्षित करने में मदद मिलेगी क्योंकि उन्हें ज्यादा फ्लेक्सिबिलिटी और बेहतर सुरक्षा के साथ काम करने का अवसर मिलेगा. पारदर्शिता: कामगारों और नियोक्ताओं के बीच सेवा अनुबंध अब ऑनलाइन होगा, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी और विवादों को निपटाना आसान हो जाएगा.

Deepali Porwal

With over more than 10 years of experience in journalism, I currently specialize in covering education and civil services. From interviewing IAS, IPS, IRS officers to exploring the evolving landscape of academi...और पढ़ें

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First Published :

October 21, 2025, 10:04 IST

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