Last Updated:June 03, 2025, 10:39 IST
Kerala News: केरल हाईकोर्ट ने ट्रांसजेंडर कपल जहद और जिया के लिए 'माता-पिता' शब्द का इस्तेमाल करने का आदेश दिया है. यह फैसला LGBTQIA+ समुदाय के अधिकारों की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है. पढ़िए इस ऐतिहासिक फैसले मे...और पढ़ें

ट्रांसजेंडर कपल के माता-पिता कहलाने के हक को लेकर केरल हाईकोर्ट का बड़ा आदेश. (फोटो News18 मलयालम)
हाइलाइट्स
केरल हाईकोर्ट ने ट्रांसजेंडर कपल को 'माता-पिता' शब्द का आदेश दिया.कोर्ट ने लैंगिक पहचान को नजरअंदाज करना असंवेदनशील बताया.LGBTQIA+ समुदाय के अधिकारों की दिशा में महत्वपूर्ण कदम.नई दिल्ली: क्या ट्रांसजेंडर कपल भी ‘मां’ या ‘पिता’ के बजाय सिर्फ ‘माता-पिता’ कहलाने का हक रखते हैं? केरल हाईकोर्ट ने इस अहम सवाल पर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. इसने देशभर में चर्चा छेड़ दी है. कोर्ट ने कोझिकोड नगर निगम को निर्देश दिया है कि वह राज्य के पहले ट्रांसजेंडर माता-पिता को एक नया जन्म प्रमाणपत्र जारी करे. इसमें पारंपरिक ‘पिता’ और ‘माता’ की जगह केवल ‘माता-पिता’ शब्द का इस्तेमाल हो.
यह आदेश केरल के कोझिकोड के रहने वाले जहद और जिया की याचिका पर आया. उनका दावा है कि वो राज्य के पहले ट्रांसजेंडर पेरेंट्स हैं. मूल जन्म प्रमाणपत्र में जिया को ‘पिता’ और जहद को ‘माता’ के रूप में दर्ज किया गया था. जबकि दोनों की पहचान समाज में इससे अलग है. जहद जो बच्चे के जैविक जन्मदाता हैं कई सालों से पुरुष के रूप में जीवन जी रहे हैं. दूसरी ओर जिया जो सामाजिक रूप से महिला हैं उन्हें कानूनी दस्तावेजों में पिता बताया गया था.
कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने माना कि किसी व्यक्ति की लैंगिक पहचान को नजरअंदाज करना न केवल असंवेदनशील है बल्कि मानवीय गरिमा के अधिकार का भी उल्लंघन है. कोर्ट ने साफ कहा कि जन्म प्रमाणपत्र जैसे दस्तावेजों में पेरेंट्स को ‘मां’ या ‘पिता’ के रूप में सीमित करने के बजाय ‘माता-पिता’ शब्द का विकल्प दिया जाना चाहिए. कोर्ट ने आगे कहा कि ताकि सभी प्रकार के परिवारों को सम्मान मिल सके.
कोर्ट ने माना कि किसी व्यक्ति की लैंगिक पहचान को नजरअंदाज करना न केवल असंवेदनशील है बल्कि मानवीय गरिमा के अधिकार का भी उल्लंघन है. (फोटो News18 मलयालम)
जहद और जिया ने कोर्ट को बताया कि कई विकसित देशों में पहले से ही यह विकल्प मौजूद है. वहां समलैंगिक और ट्रांसजेंडर कपल्स को ‘मां’, ‘पिता’ या सिर्फ ‘पेरेंट’ में से चुनने की आजादी दी जाती है.
फैसले के बाद LGBTQIA+ समुदाय में जगी उम्मीद
कोर्ट के इस फैसले के बाद LGBTQIA+ समुदाय के अधिकारों की दिशा में भारत में एक नई बहस और उम्मीद की शुरुआत हो गई है. जहद और जिया का कहना है कि यह सिर्फ उनके लिए नहीं, बल्कि उन सैकड़ों ट्रांसजेंडर कपल्स के लिए भी रास्ता खोलेगा, जो भविष्य में एक परिवार बसाना चाहते हैं — अपनी पहचान के साथ.
Sumit Kumar is working as Senior Sub Editor in News18 Hindi. He has been associated with the Central Desk team here for the last 3 years. He has a Master's degree in Journalism. Before working in News18 Hindi, ...और पढ़ें
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