दिल्ली में हुए धमाके के तार जम्मू कश्मीर से सीधे जुड़ गये हैं. दिल्ली के लाल किले के पास मेंं हुए धमाके में इस्तेमाल कार, आखिरी बार जम्मू कश्मीर के पुलवामा में बेची गयी थी. जांच एजेंसियां पुलवामा में कार खरीदने वाले शख्स की तलाश में जुट गई है. पुलिस को कार खरीदने वाले शख्स की तस्वीर भी मिल गई है. धमाके के एक दिन पहले ही जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हरियाणा पुलिस की मदद से एक बड़े आतंकी नेटवर्क का पर्दाफाश किया था. पुलिस ने फरीदाबाद से भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री बरामद किया जो किसी बड़े हमले की प्लानिंग के लिए जमा की जा रही थी. जम्मू-कश्मीर पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता और मुस्तैदी के चलते आतंकी अपने नापाक मिशन में कामयाब नहीं हो पाये. ऑपरेशन डॉक्टर टेरर के इस मिशन में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने सुरक्षा एजेन्सियों की मदद तो ली ही साथ ही कई राज्यों की पुलिस भी इसमें शामिल रही नतीजा एक बहुत बड़ी आतंकी साजिश को विफल कर दिया गया. देश के दिल दिल्ली को दहलाने की रची गई थी एक बड़ी साजिश रची गई थी. भारी मात्रा में हथियारों की बरामदगी से देश के दिल पर सीधा प्रहार करने की एक सुनियोजित और भयावह योजना विफल हो गई है. देश के कई हिस्सों से भारी मात्रा में विस्फोटक और हथियार भी इकट्ठे किये गये थे. इसका उद्देश्य सिर्फ जानलेवा तबाही मचाना ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय गर्व के केंद्र को एक बार फिर से अपमानित करने का था. सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता की वजह से ऐसी साजिशें अब जन्म लेने से पहले ही दम तोड़ देती हैं. डर और हताशा में आतंकवादियों ने दिल्ली में कायराना हमले को अंजाम दिया है लेकिन अब ये मुल्क चुप बैठने वालों में नहीं है. अब आतंक की जड़ पर प्रहार करना होगा ताकि आतंकवाद सिरे से खत्म हो और लोग निश्चिंत भाव से जी सकें.
जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और उत्तर प्रदेश तक कैसे फैला था ‘डॉक्टर टेरर‘?
हरियाणा और जम्मू कश्मीर पुलिस की संयुक्त टीम ने देश दहलाने की साजिश का पर्दाफाश करते हुए इंटर-स्टेट और इंटरनेशनल आतंकी नेटवर्क का भंडाफोड़ किया. ये नेटवर्क जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवात-उल-हिंद जैसे बैन संगठनों से जुड़ा है. इस मामले में अबतक 8 आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं, जिसमें 3 डॉक्टर भी शामिल हैं. जम्मू कश्मीर के अनंतनाग से गिरफ्तार हुए डॉक्टर अदील अहमद की निशानदेही पर जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हरियाणा के फरीदाबाद में भारी मात्रा में हथियार और विस्फोटक बरामद किए. अदील अहमद की निशानदेही पर सबसे पहले अनंतनाग के एक सरकारी अस्पताल के लॉकर से एक एके 47 बरामद हुई. अदील अहमद से जब पूछताछ हुई, तो फरीदाबाद में विस्फोटक होने की जानकारी मिली. इसके बाद जम्मू कश्मीर पुलिस ने एक टीम हरियाणा भेजी और हरियाणा पुलिस के साथ मिलकर पूरे ऑपरेशन को अंजाम दिया गया. फरीदाबाद के दो घरों से पुलिस ने एक-दो किलो नहीं, बल्कि 2900 किलो IED बनाने की विस्फोटक सामाग्री बरामद की. इनमें से एक घर को डॉ. मुजम्मिल ने किराए पर लिया हुआ था, जो अब पुलिस की गिरफ्त में है. जिस घर से विस्फोटक बरामद हुआ वो घर एक मौलाना का बताया जा रहा है, जिसे पुलिस ने सोमवार की सुबह ही गिरफ्तार कर लिया. मुजम्मिल पेशे से डॉक्टर है औऱ वो करीब साढ़े तीन साल से फरीदाबाद में रह रहा था. मुजम्मिल की निशानदेही पर एक स्विफ्ट कार से क्रिंकोव असॉल्ट राइफल, तीन मैगजीन और 83 राउंड गोली भी बरामद हुई. इसके अलावा एक पिस्टल, 8 राउंड गोली, दो मैगजीन और दो खाली खोखे भी मिले. ये कार एक महिला डॉक्टर शाहीन शाहिद की थी जिसे पुलिस ने लखनऊ से गिरफ्तार कर लिया है. जम्मू-कश्मीर पुलिस पिछले कई दिनों से इस आतंकी साजिश को बेनकाब करने में जुटी हुई थी और एक के बाद एक कड़ी जोड़ते हुए पुलिस श्रीनगर, अनंतनाग, सहारनपुर और फरीदबाद तक पहुंची जहां आतंकी साजिश के लिए रखा गया इतनी भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद हुआ, इस मामले में पुलिस ने 7 लोगों को गिरफ्तार किया है. अभी भी इसमें कई आरोपियों की तलाश है. पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां अब इस पूरे नेटवर्क के तार खंगालने में जुटी हैं. जांच में पता चला है कि विस्फोटक जम्मू-कश्मीर से हरियाणा लाया गया था और इस मामले में आरोपियों से पूछताछ के बाद और कई खुलासे होने की उम्मीद है.
डॉक्टर से कैसे टेरर का नया नाम बन गये अदील और मुज्जमिल शकील?
जम्मू कश्मीर पुलिस ने जिस आतंकी मॉड्यूल का भंडोफोड़ किया है उसके पीछे का मास्टर माइंड एक डॉक्टर था और उसका नाम है डॉ. अदील अहमद.अदील अपने साथी डॉक्टर के साथ इस पूरी आतंकी साजिश को अंजाम देने की फिराक में था. वो इसके लिए वो ना केवल पाकिस्तान स्थित अपने आकाओं के संपर्क में था बल्कि साजिश को कामयाब बनाने के लिए अपने ठिकाने भी लगातार बदल रहा था लेकिन पुलिस ने हर कड़ी को जोड़कर अदील के मंसूबे को नाकाम कर दिया. श्रीनगर में 27 अक्टूबर 2025 की एक घटना से हुई जिसमें रात को श्रीनगर शहर में कई जगहों पर जैश-ए-मोहम्मद आतंकवादी समूह का प्रचार करने वाले पोस्टर पाये गये. पुलिस ने 28 अक्टूबर को इस मामले में FIR करते हुए जांच शुरू की और कई जगहों पर CCTV खंगाले गये. सीसीटीवी फुटेज की जांच करने पर डॉ. अदील अहमद पोस्टर लगाते दिखा. इसके बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस ने अदील अहमद को ट्रैक करना शुरू कर दिया. पुलिस को पता चला कि डॉ. अदील सहारनपुर में एक प्राइवेट अस्तपाल में कार्यरत है. पुलिस ने 6 नवंबर, 2025 को डॉ. अदील को गिरफ्तार किया जिसके बाद पूछताछ में डॉ अदील के अनंतनाग जीएमसी में काम करने की जानकारी सामने आई. इसके बाद पुलिस ने 8 नवंबर को जीएमसी में अदील के लॉकर की जांच की. अदील के लॉकर से पुलिस को एके 47 राइफल मिली. अदील से पूछताछ के बाद पुलिस को डॉ. मुज्जमिल शकील की जानकारी मिली और फरीदाबाद में उसके ठिकानों पर छापा मारा गया. पुलिस को यहां से भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री और हथियार मिले. यह विस्फोटक डॉक्टर मुजम्मिल के दूसरे घर से मिला, जो फतेहपुर तगा गांव में है. जानकारी के मुताबिक आरोपी मुजम्मिल ने ये घर एक मौलाना से किराए पर लिया था, जिसे पुलिस ने सुबह ही हिरासत में ले लिया है. इससे पहले रविवार शाम धौज से भी मुजम्मिल के कमरे से 360 किलो विस्फोटक बरामद किया गया था. इसके बाद जम्मू कश्मीर में पुलिस ने इस मामले में अब तक कई लोगों को पकड़ा है और उनसे गहन पूछताछ की जा रही है. जम्मू कश्मीर पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां अब इस बात का पता लगाने में जुटी हैं कि, आखिर इतने बड़े पैमाने पर जमा किए गए विस्फोटक सामाग्री से ये किन किन जगहों को दहलाना चाहते थे और इनकी नापाक साजिश क्या थी.
2013 के बाद जम्मू कश्मीर के बाहर देश में ये सबसे बड़ा हमला
31 अक्टूबर को सरदार पटेल मेमोरियल लेक्चर में देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने दावा किया था कि जम्मू कश्मीर के बाहर आतंक पूरी तरह खत्म होने की कगार पर है और 2013 के बाद जम्मू कश्मीर के बाहर कोई बड़ा आतंकी हमला नहीं हुआ है. एनएसए ने ये भी दावा किया कि पहले की तुलना में ऐसे उपाय किये गये हैं कि हर भारतीय आंतरिक और बाहरी दोनों ताकतों से खुद को सुरक्षित महसूस करें. उन्होंने ये भी कहा कि हम सरकारी कानूनी और नीतियों के बल पर आतंक से प्रभावी ढंग से निपट सकती है. एनएसए के बयान के ठीक बाद देश के दिल दिल्ली पर हुआ हमला आतंकियों की सीधी चुनौती है जिसे केंद्र सरकार ने भी गंभीरता ने लिया है. धमाके के ठीक बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुरंत गृहमंत्री अमित शाह से पूरी जानकारी ली. गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में धमाके वाली जगह का जायजा लिया और अस्पताल में घायलों से भी मिले. इसके बाद गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि बहुत जल्दी पता चल जाएगा कि धमाके की वजह क्या हैं. हम धमाका मामले में हर एंगल से जांच कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है, जिसके ठोस परिणाम सामने आए हैं. पिछले एक दशक में देश में आतंकी घटनाओं में उल्लेखनीय कमी देखी गई है. मोदी सरकार ने सुरक्षा एजेंसियों को आधुनिक तकनीक और बेहतर संसाधनों से लैस किया है. इंटेलिजेंस नेटवर्क को मजबूत बनाया गया है, जिससे आतंकी हमलों को प्लानिंग के चरण में ही विफल किया जा रहा है. सीमा पार से आतंकी घुसपैठ रोकने के लिए बॉर्डर मैनेजमेंट सिस्टम को अपग्रेड किया गया है. तकनीक का बेहतर इस्तेमाल, समन्वित निगरानी और सुरक्षा बलों के बीच तालमेल से घुसपैठ के मामलों में कमी आई है. सरकार ने आतंकी गतिविधियों के फंडिंग पर कड़ी कार्रवाई की है. कानूनों का सख्ती से इस्तेमाल कर आतंकी नेटवर्क्स की आर्थिक रीढ़ तोड़ने का प्रयास किया गया है. विदेश नीति के जरिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया गया है. पड़ोसी देशों पर दबाव बनाकर आतंकी ठिकानों के खिलाफ कार्रवाई करवाने में सफलता मिली है. सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक जैसे ऑपरेशन आतंकवाद के खिलाफ सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति के उदाहरण हैं. सुरक्षा बलों को नागरिकों का सक्रिय सहयोग मिल रहा है. आतंकवाद के खिलाफ जनजागरूकता और सामुदायिक पहल भी आतंकी घटनाओं में कमी का एक प्रमुख कारण है. सुरक्षा एजेंसियों में बेहतर समन्वय, त्वरित कार्रवाई और राजनीतिक इच्छाशक्ति के कारण मोदी सरकार में आतंकवाद पर काबू पाने में सफलता मिली है. बार बार लाल किले को झेलना पड़ता है आतंकवाद का दंश
लाल किला सिर्फ भारत की एक ऐतिहासिक इमारत नहीं है बल्कि ये राष्ट्रीय आत्मा का प्रतीक रहा है. इस प्रतीक को एक बार फिर निशाना बनाकर आतंकवादियों ने बता दिया है कि उनकी जड़े पूरी तरह खत्म नहीं हुई है. आतंक का सिरा अभी भी जिंदा है और इसका ठीक से इलाज किया जाना अभी बाकी है. लाल किले के पास ये हमला इस देश की संवेदनशीलता और संप्रभुता पर चोट है. पिछले कुछ दिनों में जम्मू कश्मीर से लेकर यूपी के सहारनपुर और हरियाणा के फरीदाबाद में जिस तरह भारी मात्रा में विस्फोटक और हथियार मिले हैं और आतंकवादियों की गिरफ्तारी हुई है इससे ये साफ है कि आतंकवादी पहले से ज्यादा शिक्षित, पेशेवर और संगठित हैं. यह केवल एक अलग तरह की चुनौती है, जिसे राष्ट्र को पूरी गंभीरता से लेना होगा. फरीदाबाद से बरामद हुए लगभग 2,900 किलोग्राम विस्फोटक और आधुनिक हथियार यह संकेत देते हैं कि यह किसी अनियोजित या शौकिया प्रयास का परिणाम नहीं था. यह एक अलग किस्म का खतरनाक नेटवर्क अब पारंपरिक हथियारों से आगे बढ़कर अपने मंसूबों को अंजाम देने में जुट गया है. लाल किले के पास धमाका एक बड़ी साजिश की तरफ इशारा कर रहा है. दुश्मन की रणनीतियां बदल रही हैं. इसलिए, हमारी सुरक्षा, खुफिया तंत्र और सार्वजनिक सतर्कता को और भी मजबूत करना होगा. देश की सुरक्षा तभी पूरी तरह सुनिश्चित होगी जब कानून का शासन, संवैधानिक मूल्य और सामाजिक एकजुटता मजबूत रहेगी. देश में स्थिति पहले से बदली है. आतंक की घटनाओं में पहले की तुलना में बेहद कमी आई है. मौजूदा नेतृत्व में सुरक्षा एजेंसियाँ स्वतंत्र, निडर और सशक्त हैं. उन्हें राजनीतिक हस्तक्षेप का डर नहीं है. आतंकवादियों को पता है कि उनका नेटवर्क अब लैपटॉप और एन्क्रिप्टेड चैट्स के पीछे छिप नहीं सकता है. तकनीकी रूप से सक्षम एवं दृढ़ इच्छाशक्ति वाली सरकार डार्क वेब की गहराइयों तक उनका पीछा कर सकती है. पहले की तरह सुरक्षा एजेंसियां और अफसर किसी भय या दवाब के साये में काम नहीं करते हैं. दिल्ली में आतंकी हमला भारत की आत्मा पर हमला है. भारत के पास एक ऐसा नेतृत्व है जो किसी के आगे नहीं झुकता और हर खतरे का मजबूती से सामना करता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आतंक की साजिशें अब परिपक्व नहीं हो पातीं, बल्कि ध्वस्त होती आई है. हमें अपनी सरकार, सुरक्षा एजेंसियों और सुरक्षाबलों पर भरोसा रखना होगा. ये नया भारत है जो पहले से ज्यादा सतर्क है और आतंक पर प्रहार करने वालों के साथ ही हर षड्यंत्र पर विजय पाने का जज्बा रखता है.
नए तरह के खतरों जैसे साइबर आतंकवाद और ‘व्हाइट कॉलर जिहाद‘ से निपटने की चुनौती
फरीदाबाद की इस कार्रवाई ने आतंकवाद के बदलते चेहरे को बेनकाब किया है. यह कोई पारंपरिक हमला नहीं था. इस बार आतंक एक शिक्षित डॉक्टर के सफेद कोट में सामने आया है. यह घटना ‘व्हाइट कॉलर जिहाद’ के उभरते और चिंताजनक खतरे की ओर इशारा करती है, जहां पेशेवर और शिक्षित वर्ग के लोग विचारधारा से विषाक्त होकर विज्ञान और अपनी हैसियत को आतंक का हथियार बना रहे हैं. गुजरात की ‘राइसिन साजिश’ ने भी इसी पैटर्न को उजागर किया था. गुजरात की की सतर्क खुफिया व्यवस्था ने वह रोक लिया, जिसे एक जमाने में उदासीनता की कीमत देश को चुकानी पड़ती थी. यह तथ्य उस पुरानी और अब खोखली पड़ चुकी थीसिस को भी गलत साबित करता है कि आतंकवाद गरीबी की उपज है. फरीदाबाद और ऐसी ही अन्य साजिशों में शामिल आतंकी गरीब नहीं, बल्कि विचारधारा से प्रेरित शिक्षित लोग थे. पिछले कुछ सालों में बहानेबाजी का दौर खत्म करके जवाबदेही और कार्रवाई का नया अध्याय शुरू हुआ है. इस मुल्क ने ऐसा भी समय देखा है जब देश के अलग अलग हिस्सों में सीरियल ब्लास्ट होते थे. मुंबई से लेकर दिल्ली तक सिलसिलेवार बम धमाके एक सामान्य घटना बन गए थे और सरकारी प्रतिक्रियाएँ महज औपचारिकता भर रह जाती थीं. बाटला हाउस मुठभेड़ के बाद शहीद पुलिस अधिकारी के बजाय आतंकवादियों के लिए आंसू बहाना एक दुखद मानसिकता थी जिसे इस देश ने झेला है. ‘हिंदू आतंकवाद’ जैसी काल्पनिक और विभाजनकारी संज्ञा गढ़कर राष्ट्रभक्तों को संदेह के घेरे में लाने का काम हुआ जबकि वास्तविक खतरा देश के भीतर और सीमाओं के पार पनपता रहा. मुरशीदाबाद में बांग्लादेश सीमा के पास बरामद हुए 150 से अधिक बम इस बात की याद दिलाते हैं कि तुष्टीकरण और निष्क्रियता की नीति आतंक को कितना बढ़ावा देती है. फरीदाबाद में बड़ी बरामदगी से देश की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा टल गया है. हैरानी की बात यह है कि इस साजिश में शामिल लोग पढ़े-लिखे और पेशेवर थे, जो सामान्य रूप से किसी आतंकी संगठन का चेहरा नहीं माने जाते. यह घटना दिखाती है कि आतंकवाद का चेहरा बदल रहा है. इसका मतलब है कि आतंकवादी अब शिक्षित और पेशेवर लोगों को अपने जाल में फंसा रहे हैं. सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता बहुत जरूरी है, जैसा कि इस मामले में दिखा है. अगर समय रहते ये आतंक पर कड़ा प्रहार नहीं होता तो ये हमला और भी बड़ा हो सकता था. ये साफ है कि आतंक के खिलाफ कड़े कानून ही काफी नहीं हैं. हमें और अधिक सतर्क रहने की जरूरत है. साथ ही हमें अपनी शिक्षा प्रणाली में अच्छे मूल्यों की शिक्षा पर जोर देना होगा. युवाओं को कट्टरपंथी विचारधाराओं से बचाने के लिए सामाजिक और आर्थिक कदम उठाने होंगे. सुरक्षा एजेंसियों को बिना किसी राजनीतिक दबाव के काम करने की आजादी देनी होगी साथ ही सार्वजनिक बहस में जिम्मेदारी बरतनी होगी.
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi उत्तरदायी नहीं है.)
ब्लॉगर के बारे में
राजीव कमलएडिटर, HJKLH
राजीव कमल टीवी चैनल NEWS18 JKLH के संपादक हैं. टीवी चैनल के अलावा NEWS18 URDU डिजिटल और सोशल मीडिया की जिम्मेदारी भी उन्हीं के पास है. राजीव कमल इससे पहले एबीपी न्यूज में बतौर सीनियर एडिटर अपनी सेवा दे चुके हैं. अमर उजाला अखबार से अपने करियर की शुरुआत करने वाले राजीव कमल के पास पत्रकारिता का 25 साल का अनुभव है. ईटीवी, इंडिया न्यूज़ और P7 न्यूज़ में भी काम कर चुके हैं. https://Facebook.com/rajeevkomal

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