Last Updated:December 26, 2025, 11:28 IST
India Defence News: भारत अपने डिफेंस सिस्टम को लगातार अपग्रेड कर रहा है. जमीन और आसमान के साथ समंदर की सुरक्षा आज के दिन काफी अहम और महत्वपूर्ण हो गया है. यही वजह है कि भारत मैरीटाइम सिक्योरिटी पर भी पूरा ध्यान दे रहा है. इंडियन आर्म्ड फोर्सेज सी-बेस्ड न्यूक्लियर ट्रायड (जमीन, आसमान और पानी के अंदर) बनाने की दहलीज पर है.
India Defence News: DRDO ने सबमरीन से लॉन्च होने वाली न्यूक्लियर कैपेबेल बैलिस्टिक मिसाइल K-4 का सफल परीक्षण किया है. (फोटो: Reuters)India Defence News: 21वीं सदी में युद्ध का स्वरूप पूरी तरह से बदल चुका है. 20वीं सदी में आर्मी बेहद अहम थी, लेकिन 90 के दशक से हालात बदलने शुरू हो गए और एयरफोर्स की भूमिका काफी बढ़ गई है. नेवी भी अहम होती जा रही है. हिन्द महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधि के चलते इंडियन नेवी के लिए अपनी ताकत में ईजाफा करना अनिवार्य हो गया है. मैरीटाइम सिक्योरिटी के महत्व को देखते हुए भारत ने समंदर में ट्राई-सर्विसेज इंटीग्रेटेड कमांड बनाने की कोशिश में जुटा है. DRDO ने 23 दिसंबर 2025 को सबमरीन यानी पनडुब्बी से फायर की जाने वाली लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल (K-4) का सफल परीक्षण किया है. यह मिसाइल न्यूक्लियर वॉरहेड ले जाने में सक्षम है. पानी के अंदर से मिसाइल दागने की क्षमता हासिल करने के साथ ही भारत सी-बेस्ड न्यूक्लियर ट्रायड (sea based nuclear tirad) बनाने से बस एक कदम दूर है. एक्सपर्ट का कहना है कि कुछ और ट्रायल के बाद इस मिसाइल को ट्राई-सर्विसेज स्ट्रैटजिक फोर्सेज कमांड में शामिल कर लिया जा जाएगा. इसके साथ ही भारत भी उन देशों में शुमार हो जाएगा, जिसके पास समुद्र में पानी के अंदर, जमीन और आसमान से फायर की जाने वाली परमाणु संपन्न मिसाइल्स हैं. इस तरह सी-बेस्ड प्लेटफॉर्म से तीनों तरह की मिसाइलें दागी जा सकेंगी.
भारत अपने समुद्र आधारित न्यूक्लियर ट्रायड को पूरी तरह ऑपरेशनल बनाने की दिशा में एक अहम पड़ाव पर पहुंच गया है. ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ की रिपोर्ट के अनुसार, देश की 3,500 किलोमीटर मारक क्षमता वाली K-4 पनडुब्बी से दागी जाने वाली बैलिस्टिक मिसाइल के अंतिम ऑपरेशनल वैलिडेशन की तैयारी चल रही है. इस मिसाइल को भारत के परमाणु हथियार भंडार में शामिल करने से पहले कुछ और परीक्षण किए जाने हैं. इसके बाद इसे SFC के तहत तैनात किया जाएगा. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने 23 दिसंबर को बंगाल की खाड़ी में K-4 मिसाइल का सफल परीक्षण किया. यह मिसाइल भारत की परमाणु ऊर्जा से चलने वाली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी INS अरिघात (INS Arighaat) से लॉन्च की गई. यह परीक्षण भारत की समुद्री परमाणु क्षमता को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक, K-4 मिसाइल का यह परीक्षण पहले 1 से 3 दिसंबर के बीच होना था. इसे इसलिए टालना पड़ा क्योंकि 3 दिसंबर को नेविगेशन क्षेत्र के दक्षिणी छोर से लगभग 115 समुद्री मील दूर एक चीनी ओशन मिनरल रिसोर्सेज रिसर्च वेसल देखी गई थी. हालांकि, इस चीनी जहाज पर मिसाइल ट्रैकिंग से जुड़ा कोई उपकरण मौजूद नहीं था, फिर भी एहतियातन परीक्षण को कुछ समय के लिए टाल दिया गया. पिछले महीने हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के कई रिसर्च जहाज (शी यान-6, शेन यी हाओ और लान हाई)सक्रिय थे. वहीं, चीन की 48वीं एंटी-पायरेसी एस्कॉर्ट फोर्स के तहत एक लुयांग-III डिस्ट्रॉयर, जियांगकाई-II फ्रिगेट और एक फूची क्लास टैंकर अदन की खाड़ी के पास तैनात थे. इन गतिविधियों पर भारतीय सुरक्षा एजेंसियां लगातार नजर बनाए हुए हैं.
भारत ने सबमरीन से लॉन्च होने वाली मिसाइल का सफल ट्रायल किया है. (फाइल फोटो/Reuters)
नेवी से जुड़ेगा एक और महारथी
हालांकि K-4 मिसाइल को सेवा में शामिल करने से पहले अभी कुछ और परीक्षण किए जाने बाकी हैं, लेकिन भारत अपनी अगली परमाणु पनडुब्बी INS अरिद्धमान (INS Aridhaman) को 2026 की पहली तिमाही में कमीशन करने के लिए पूरी तरह तैयार है. यह अरिहंत क्लास की तीसरी पनडुब्बी होगी. इससे पहले 16 अक्टूबर को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने S4* पनडुब्बी को लॉन्च किया था, जो अरिहंत क्लास की आखिरी पनडुब्बी मानी जा रही है. इसके दशक के अंत तक भारतीय रणनीतिक बल कमान में शामिल होने की संभावना है. अरिहंत क्लास की पनडुब्बियों में केवल INS अरिहंत ही 750 किलोमीटर रेंज वाली K-15 परमाणु मिसाइल से लैस है. इस क्लास की बाकी सभी पनडुब्बियां K-4 मिसाइल से सुसज्जित होंगी. इसके बाद आने वाली अगली पीढ़ी की परमाणु पनडुब्बियां लगभग 10,000 टन वजनी होंगी और इनमें 5,000 किलोमीटर से ज्यादा रेंज वाली के-5 मिसाइलें तैनात की जाएंगी.
अटैक सबमरीन पर बड़ा करार
इसी बीच भारत ने रूस से अकुला क्लास की परमाणु ऊर्जा से चलने वाली अटैक सबमरीन (SSN) हासिल करने का समझौता भी किया है, जो 2028 तक भारत को मिल सकती है. हाल ही में रूस ने भारत को एक और SSN लीज पर देने की पेशकश की है. इसके साथ ही मोदी सरकार ने 9 अक्टूबर को भारतीय नौसेना की “मेक इन इंडिया” पहल के तहत दो स्वदेशी SSN बनाने की योजना को भी मंजूरी दे दी है. SSN पनडुब्बियां डीजल से चलने वाली पनडुब्बियों (SSK) की तुलना में ज्यादा सक्षम मानी जाती हैं. इनकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इनकी रेंज लगभग असीमित होती है और ये केवल भोजन, चालक दल की थकान और मेंटेनेंस तक सीमित रहती हैं. इनमें ज्यादा टॉरपीडो और मिसाइलें ले जाने की क्षमता होती है और इन्हें बैटरी चार्ज करने के लिए सतह पर आने की जरूरत नहीं पड़ती. हालांकि SSK पनडुब्बियों का फायदा यह है कि वे ज्यादा शांत (कम शोर वाली) होती हैं और अचानक हमले के लिए उपयोगी होती हैं.
चीन, तुर्की और पाकिस्तान की तिकड़ी
वर्तमान में चीन और तुर्की पाकिस्तान को सैन्य सहायता दे रहे हैं. तुर्की जहां पाकिस्तान की पनडुब्बियों को अपग्रेड कर रहा है, वहीं चीन उसे युआन क्लास की नई पनडुब्बियां और गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट उपलब्ध करा रहा है. ऐसे हालात में भारत को अरब सागर और पूरे हिंद महासागर क्षेत्र में रणनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि 2026 के बाद चीन अपने नवीनतम फुजियान एयरक्राफ्ट कैरियर के कमीशन के बाद हिंद महासागर में कैरियर आधारित गश्त तेज कर सकता है. चीनी नौसैनिक पायलट और प्लेटफॉर्म तेजी से अनुभव हासिल कर रहे हैं, जो इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक गंभीर चुनौती बन सकते हैं. इन सभी खतरों के बीच भारत के लिए समुद्र आधारित परमाणु प्रतिरोधक क्षमता सबसे मजबूत जवाब मानी जा रही है. SSBN और SSN ही ऐसे प्लेटफॉर्म हैं जो सर्वाइवेबिलिटी और सेकंड-स्ट्राइक क्षमता प्रदान करते हैं. यही वजह है कि K-4 जैसी मिसाइलों और अत्याधुनिक परमाणु पनडुब्बियों का विकास भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में एक निर्णायक भूमिका निभा रहा है.
About the Author
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
December 26, 2025, 11:26 IST

1 hour ago
