जज बनने के लिए बदल गए नियम, सुप्रीम कोर्ट ने सुना दिया बड़ा फैसला, जानिए

6 hours ago

Last Updated:May 20, 2025, 13:49 IST

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालतों में जजों की नियुक्ति पर फैसला सुनाया है. इसके मुताबिक, सिविल जज सीनियर डिवीजन की पदोन्नति 10 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी की गई है. जूनियर डिवीजन के लिए 3 साल की प...और पढ़ें

जज बनने के लिए बदल गए नियम, सुप्रीम कोर्ट ने सुना दिया बड़ा फैसला, जानिए

निचली अदालतों में जजों की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला, उम्मीदवारों के लिए तीन साल की प्रैक्टिस जरूरी

हाइलाइट्स

सिविल जज सीनियर डिवीजन की पदोन्नति 10% से बढ़ाकर 25% की गई.जूनियर डिवीजन के लिए 3 साल की प्रैक्टिस अनिवार्य होगी.सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को नियम संशोधन का आदेश दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को निचली अदालतों में जजों की नियुक्ति पर फैसला सुना दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि सभी हाईकोर्ट और राज्य नियमों में संशोधन करेंगे, ताकि सिविल जज सीनियर डिवीजन के लिए विभागीय परीक्षा के जरिए 10 प्रतिशत पदोन्नति को बढ़ाकर 25 प्रतिशत किया जाए. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सिविल जज जूनियर डिवीजन परीक्षा में बैठने के लिए 3 साल की न्यूनतम प्रैक्टिस की आवश्यकता को बहाल किया है. इसके अलावा, राज्य सरकारें सिविल जज सीनियर डिवीजन के लिए सेवा नियमों में संशोधन करके इसे 25 प्रतिशत तक बढ़ाएंगी.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, ‘सभी राज्य सरकारें नियमों में संशोधन करके यह सुनिश्चित करेंगी कि सिविल जज जूनियर डिवीजन के लिए परीक्षा में शामिल होने वाले किसी भी उम्मीदवार के पास कम से कम 3 साल की प्रैक्टिस का अनुभव होना चाहिए. इसे बार में 10 साल का अनुभव रखने वाले वकील द्वारा प्रमाणित किया जाना चाहिए.’

इसके अलावा जजों के लिए लॉ क्लर्क के रूप में किए गए काम के समय को भी जोड़ा जाएगा. साथ ही जज चुने जाने के बाद अदालत में सुनवाई से पहले उन्हें एक साल का प्रशिक्षण लेना होगा. न्यूनतम प्रैक्टिस की आवश्यकता वहां लागू नहीं होगी, जहां उच्च न्यायालयों ने सिविल जज जूनियर डिवीजन की नियुक्ति प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी है.

इसके साथ ही ऐसी भर्ती प्रक्रियाएं, जो इस मामले के लंबित रहने के कारण स्थगित रखी गई थीं, अब संशोधित नियमों के अनुसार होंगी. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को हाई कोर्ट के रिटायर्ड जजों की पेंशन को लेकर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट से रिटायर्ड जजों के लिए ‘वन रैंक, वन पेंशन’ के आदेश दिए हैं. सीजेआई जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने यह फैसला सुनाया है. सीजेआई जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने अपने फैसले में कहा, ‘चाहे उनकी प्रारंभिक नियुक्ति का स्रोत कुछ भी हो, चाहे वह जिला न्यायपालिका से हो या वकीलों में से हो, उन्हें प्रति वर्ष न्यूनतम 13.65 लाख रुपए पेंशन दी जानी चाहिए.

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Shankar Pandit

Shankar Pandit has more than 10 years of experience in journalism. Before News18 (Network18 Group), he had worked with Hindustan times (Live Hindustan), NDTV, India News Aand Scoop Whoop. Currently he handle ho...और पढ़ें

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