Last Updated:July 29, 2025, 14:26 IST
PRALAY MISSILE: प्रलय मिसाइल पहली झलक इसी सार कर्तव्य पथ पर 26 जनवरी की परेड पर पहली बार दिखाई दी थी. इसकी खासियत यह है कि यह दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा देकर लक्ष्य पर वार करती है. यह है टैक्टिकल बैलि...और पढ़ें

हाइलाइट्स
DRDO ने प्रलय मिसाइल के दो सफल परीक्षण किए.प्रलय मिसाइल की मारक क्षमता 150-500 किलोमीटर है.प्रलय मिसाइल दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा दे सकती है.PRALAY MISSILE: मिसाइल तकनीक के मामले में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है. इसी कड़ी में स्वदेशी प्रलय चीन और पाकिस्तान के होश उड़ा देगा. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने 28 और 29 जुलाई को लगातार दो सफल फ्लाइट परीक्षण किए. यह परीक्षण ओडिशा तट के पास डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप पर किए गए. ये ट्रायल यूजर एवैल्यूएशन ट्रायल के तहत अधिकतम और न्यूनतम रेंज क्षमता के तौर पर किए गए. मिसाइलों ने निर्धारित ट्रैजेक्टरी को फॉलो करते हुए सटीक टारगेट को हिट किया. मिसाइल की सभी उप-प्रणालियों ने सटीक प्रदर्शन किया. मिसाइल के फ्लाइट को मॉनिटर करने के लिए इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज अलग-अलग ट्रैकिंग सेंसर शिप और अन्य जगहों से लिए गए. रक्षामंत्री राजनाथ ने इस सफल परिक्षण के लिए DRDO, वैज्ञानिकों और इंडस्ट्री को बधाई दी.
गदर मचा देगा प्रलय
प्रलय मिसाइल शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल है. यह भारतीय मिसाइल तकनीक के नए युग को दर्शाता है. यह मिसाइल DRDO ने विकसित की है.यह मिसाइल तेजी से सटीक मार करने के लिए डिजाइन की गई है. प्रलय एक सतह से सतह तक मार करने वाली शॉर्ट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइल है. इसकी मारक क्षमता 150 से 500 किलोमीटर के करीब है. यह एक कैनिस्टर मोबाइल सिस्टम है. आसानी से लॉन्च करना और तेजी से अपनी जगह बदलना इसकी एक और खासियत है. इसकी पेलोड क्षमता 500 से 1000 किलोग्राम तक के विस्फोटक लेकर आसानी से दुश्मन पर बरसा सकता है. यह लॉन्च किए जाने के बाद हवा में ही अपनी दिशा बदलकर मनूवरिंग कर सकता है. इससे यह मिसाइल दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम को भी चुनौती दे सकता है. इसकी रफ्तार 1 से 1.6 मैक के करीब है. यह इंटरनल नेविगेशन सिस्टम से लैस है. इस मिसाइल का वजन 5 टन है. यह कंवेशनल के साथ-साथ न्यूक्लियर हथियार ले जाने में भी सक्षम है.
लद्दाख में तनाव के दौरान किया गया परीक्षण
DRDO की तरफ से कई ऐसे प्रोजेक्ट जारी हैं, जो भारतीय सेना की ताकत में बेतहाशा इजाफा करने वाले हैं. प्रलय पर काम तेजी से शुरू किया गया और इसका पहला ट्रायल उस वक्त किया गया जब भारत और चीन के बीच लद्दाख में तनाव चरम पर था. यह परीक्षण 22 दिसंबर 2021 को किया गया था. दूसरा ट्रायल ठीक एक दिन बाद 23 दिसंबर को किया गया. दोनों परीक्षण में यह पूरी तरह से खरा उतरा. तीसरा परीक्षण साल 2023 में किया गया था.
चीनी DF-12 और गजनवी का बाप है प्रलय
चीन के पास DF यानी डॉंग फेंग सीरीज की बैलिस्टिक मिसाइल की भरमार है. उसने अपने ऑल वेदर फ्रेंड पाकिस्तान को भी यह तकनीक दे रखी है. चीन के पास सर्फेस टू सर्फेस शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल DF-12 मौजूद है. इसकी मारक क्षमता 400 किलोमीटर है. पाकिस्तान ने चीन से DF-11 मिसाइल की खरीद की थी और बाद में उसी में रिवर्स इंजीनियरिंग कर चीन की मदद से गजनवी नाम से शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल तैयार कर लिया. गजनवी की रेंज प्रलय से 200 किलोमीटर कम है. यह सिर्फ 300 किलोमीटर तक मार कर सकती है. इसी सेगमेंट में रूस की इस्कंदर मिसाइल भी है. रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग में रूस ने इसका इस्तेमाल भी किया है. इसकी अधिकतम रेंज प्रलय के रेंज 500 किलोमीटर के बराबर है. कह सकते हैं कि फिलहाल इस रेंज में प्रलय सबसे घातक है.