कैनबरा1 मिनट पहले
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ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज अगले हफ्ते चीन जा रहे हैं। जल्द ही इसकी तारीख बताई जाएगी। इस बीच हांगकांग के अखबार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक अल्बनीज चीन से डार्विन पोर्ट को वापस लेने की मांग कर सकते हैं।
ऑस्ट्रेलिया के नॉर्दन टेरिटरी राज्य ने चीन की एक कंपनी लैंडब्रिज ग्रुप को 2015 में यह पोर्ट लीज पर दिया था। तब यह राज्य आर्थिक समस्याओं से जूझ रहा था। हालांकि राज्य सरकार के इस फैसले का पूरे देश में विरोध हुआ था।
इस साल चुनाव प्रचार के दौरान अल्बनीज ने वादा किया था कि वे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए डार्विन पोर्ट को वापस खरीदने की कोशिश करेंगे। तब चीन के राजदूत ने इस पर आपत्ति जताई थी और कहा था कि इसमें चीनी कंपनी की कोई गलती नहीं की है। अंतरराष्ट्रीय हालत में आए बदलाव का नुकसान की सजा उसे नहीं मिलनी चाहिए।

पोर्ट बेचने पर अमेरिका की बढ़ी परेशानी 2015 में नॉर्दन टेरीटरी और चीनी कंपनी के बीच जब पोर्ट को लेकर समझौता हुआ था, तब अमेरिका ने इस पोर्ट पर अपने सैनिकों की तैनाती शुरू की थी। अमेरिका ने भी तब इस डील को लेकर चिंता जताई थी और कहा था कि चीन इस पोर्ट का इस्तेमाल ऑस्ट्रेलिया और वहां तैनात अमेरिकी सेना की जासूसी के लिए कर सकता है।
हालांकि ऑस्ट्रेलिया सरकार ने अमेरिका को यकीन दिलाया था कि पोर्ट की मौजूदा निगरानी और नियम पर्याप्त हैं और इससे सुरक्षा को कोई खतरा नहीं है। तब एंथनी अल्बनीज विपक्ष में थे। उन्होंने इस लीज का विरोध किया था और कहा था कि इससे देश की सुरक्षा को खतरा है।
ओबामा ने PM टर्नबुल को फटकार लगाई थी
लैंडब्रिज नेडार्विन पोर्ट के पट्टे के लिए 50 करोड़ ऑस्ट्रेलियाई डॉलर से ज्यादा की बोली लगाई थी और इस पोर्ट को खरीदने की चाहत रखने वाली बाकी 32 कंपनियों को पछाड़ दिया था। इस डील के होने के बाद तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ऑस्ट्रेलिया के तत्कालीन PM मैल्कम टर्नबुल को फटकार लगाई थी।
ओबामा ने साफ कहा था कि भविष्य में ऐसे सौदों के बारे में अमेरिका को पहले बताना चाहिए। तब उन्होंने कहा था कि इस डील से किसी भी तरह का कोई खतरा नहीं है। अगर कभी जरूरत पड़ी तो ऑस्ट्रेलिया का रक्षा मंत्रालय या सरकार इस बंदरगाह को नियंत्रण में ले सकती है।
PM बनने के बाद अल्बनीज ने जांच कराई
3 साल पहले प्रधानमंत्री बनने के बाद अल्बनीज ने इसकी जांच भी कराई थी कि क्या इस डील से ऑस्ट्रेलिया की सुरक्षा को खतरा हो सकता है? हालांकि तब जांच की रिपोर्ट में कहा गया था कि इससे देश की सुरक्षा को कोई खतरा नहीं है।
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट में एक्सपर्ट माइकल फेलर ने कहा कि PM अल्बनीज यह सुनिश्चित करना चाहेंगे कि अगर डार्विन पोर्ट से चीनी कंपनी का कंट्रोल हटाना पड़े तो इसका असर ऑस्ट्रेलिया-चीन के रिश्तों और व्यापार पर कम से कम हो।
वहीं, कानून के प्रोफेसर झोउ वेहुआन ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर कोई भी कार्रवाई पुख्ता सबूतों पर आधारित होनी चाहिए, न कि सिर्फ शक पर। चीन ने दुनियाभर में 129 बंदरगाह खरीदे
काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस के आंकड़े बताते हैं कि चीन ने दुनियाभर में 129 बंदरगाहों में निवेश किया है और लगभग हर महाद्वीप पर उसकी मौजूदगी है। फिर भी दोनों देशों के बीच विवादों के बावजूद यह यात्रा दिखाती है कि बातचीत जारी रखने की मंशा है।
वाणिज्य विभाग के मुताबिक, 2024 में चीन ऑस्ट्रेलिया का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा, दोनों देशों के बीच 17.16 लाख करोड़ रुपए का व्यापार हुआ। आंकड़ों के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया अपनी जरुरत का एक-तिहाई सामान चीन से मंगवाता है।