Last Updated:July 07, 2025, 21:12 IST
NAVY SUPPORT VESSEL:सबमरीन को साइलेंट किलर कहा जाता है. यह किसी भी दुश्मन के वॉरशिप को आसानी से निशाना बना सकती है. लेकिन अगर यह किसी दुर्धटना का शिकार होता है तो उसे रेस्क्यू करने के लिए जरूरत होती है डायविंग ...और पढ़ें

समंदर में नौसेना की ताकत में होगा इजाफा
हाइलाइट्स
INS निस्तर 18 जुलाई को नौसेना में शामिल होगा.INS निस्तर 1971 में गाजी सबमरीन को ढूंढने वाला वेसल है.INS निस्तर 80% स्वदेशी कंटेंट से बना है.NAVY SUPPORT VESSEL: भारतीय नौसेना एक बार फिर इतिहास दोहराने को तैयार है. इस बार और भी आधुनिक और स्वदेशी ताकत के साथ. INS निस्तर वही डाइविंग सपोर्ट वेसल है जो 1971 की भारत-पाकिस्तान जंग में दुश्मन की खतरनाक पनडुब्बी PNS गाजी को विशाखापत्तनम की गहराइयों में दफनाने वाले मिशन का हिस्सा था. यह अब नए रूप में लौट रहा है. 18 जुलाई 2024 को विशाखापत्तनम में INS निस्तर भारतीय नौसेना का आधिकारिक हिस्सा बन जाएगा. यह वेसल किसी भी पनडुब्बी आपातकाल के दौरान गहराई में जाकर रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम देगा. उसके साथ ही INS निपुण को भी इसी साल नौसेना में शामिल किया जाएगा. खास बात ये है कि फिलहाल भारत के पास कोई Dedicated Diving Support Vessel नहीं है. ऐसे में ये दोनों जहाज गेमचेंजर साबित होंगे.
क्यों खास है INS निस्तर?
INS निस्तर महज एक सपोर्ट शिप नहीं, बल्कि अत्याधुनिक तकनीक और स्वदेशी निर्माण का प्रतीक है. यह जहाज 80% मेड इन इंडिया है. इसका कुल वजन 9350 टन है, और यह 18 नॉटिकल मील प्रति घंटे की रफ्तार से समुद्र में ऑपरेशन कर सकता है.
लंबाई: 120 मीटर
कुल स्टाफ कैपेसिटी: 200 से अधिक नौसैनिक
ऑपरेशन अवधि: 60 दिन तक बिना बंदरगाह पर लौटे
टेक्नोलॉजी: हेलिकॉप्टर ऑपरेशन से लेकर DSRV (Deep Submergence Rescue Vehicle) तक
तैनाती: ईस्ट कोस्ट पर INS निस्तर और वेस्ट कोस्ट पर INS निपुण
ये जहाज उन दुर्लभ मिशनों के लिए तैयार हैं, जहां किसी पनडुब्बी को समुद्र की गहराइयों में फंसी हालत में रेस्क्यू करना होता है. INS निस्तर पर मौजूद DSRV समुद्र में 650 मीटर तक जाकर किसी भी सबमरीन से फंसे हुए सैनिकों को निकाल सकती है.
PNS गाजी और INS निस्तर का ऐतिहासिक रिश्ता
1971 की जंग में पाकिस्तान ने अपनी सबसे घातक पनडुब्बी PNS गाजी को भारत के INS विक्रांत को डुबोने के मिशन पर भेजा था. लेकिन भारतीय खुफिया और नौसेना की चालाकी ने उसे पहले ही पहचान लिया. विशाखापत्तनम के पास ही उसे नष्ट कर दिया गया. उस ऑपरेशन में इस्तेमाल किया गया निस्तर, एक पुराना Diving Tender था, जो उस समय रेस्क्यू और डाइविंग ऑपरेशन में सक्रिय रहा. अब उसका नाम और विरासत आगे बढ़ाने के लिए INS निस्तर नए अवतार में वापस आया है.
क्यों जरूरी है यह वेसल
भारत की अंडरवॉटर ताकत अब विस्तार के मोड में है. मौजूदा समय में भारत के पास 17 डीजल इलेक्ट्रिक पनडुब्बियां और 2 न्यूक्लियर पावर्ड बैलेस्टिक सबमरीन हैं. इसके साथ ही भारत को न्यूक्लियर पावर्ड अटैक सबमरीन (SSN) बनाने की भी मंजूरी मिल चुकी है. ऐसे में जब पनडुब्बियों की संख्या और मिशन दोनों बढ़ रहे हैं, तो उनके साथ किसी भी आपदा के लिए ऐसी Diving Support Ships की ज़रूरत थी.
अब तक, पनडुब्बी दुर्घटना की स्थिति में नौसेना को ONGC या अन्य प्राइवेट कंपनियों की मदद लेनी पड़ती थी. लेकिन INS निस्तर और निपुण के आने से भारत आत्मनिर्भर बनेगा और DSRV से लैस रहकर अपनी ही नहीं, जरूरत पड़ने पर मित्र देशों की सबमरीन को भी रेस्क्यू कर सकेगा.
पाकिस्तान और चीन से बढ़ती चुनौती का जवाब
पाकिस्तान अभी सिर्फ 5 ऑपरेशनल सबमरीन रखता है, लेकिन उसने चीन से 8 नई सबमरीन का ऑर्डर दे रखा है. इनमें से 4 सबमरीन कराची में बन रही हैं और 4 चीन में. अनुमान है कि साल 2027 तक ये सभी पाकिस्तानी नेवी के पास होंगी. यानी हिंद महासागर क्षेत्र में पानी के नीचे भी मुकाबला तेज़ होगा.
चीन की ओर से हिंद महासागर में लगातार सबमरीन की तैनाती और पाकिस्तान की नेवी को दिए जा रहे सबमरीन सपोर्ट को देखते हुए भारत का फोकस अब केवल टॉप लेवल अटैक क्षमता पर नहीं, बल्कि रेस्क्यू और सपोर्ट सिस्टम पर भी है.