चीन-पाक नेवी के लिए माइन का चक्रव्यूह तैयार, गुस्ताखी से पहले सोचेगा सौ बार

6 hours ago

Last Updated:July 04, 2025, 14:14 IST

NAVAL MINES: भारत की समुद्री तट इतनी लंबी की हर वक्त उसकी सुरक्षा करना चुनौती से कम नहीं. सुरक्षा के लिए अलग अलग तरह के उपाय करने के पड़ते है. समंदर इतना बड़ा है कि हर जगह निगरानी कर पाना संभव नहीं है. जिन इलाक...और पढ़ें

चीन-पाक नेवी के लिए माइन का चक्रव्यूह तैयार, गुस्ताखी से पहले सोचेगा सौ बार

समंदर में बिछी माइन फील्ड से बचना असंभव

हाइलाइट्स

भारत ने स्वदेशी नेवल मूरड माइन की खरीद को मंजूरी दी.डीआरडीओ ने मल्टी-इन्फ्लुएंस ग्राउंड माइन का सफल परीक्षण किया.नई माइन में मैग्नेटिक, अकॉस्टिक और प्रेशर एक्टिवेशन शामिल हैं.

NAVAL MINES: माइन एक ऐसा हथियार है जो दुश्मन पर सटीक वार करता है. शांति से समंदर में बिछे होते है. दुश्मन के जहाज या सबमरीन इसकी संपर्क में आते है तो हमेशा के लिए समंदर की तलहटी में सुला दिए जाते है. इन माइन के चलते सेना को काफी राहत मिलती है. इन्हें उस जगह बिछाया जाता है जहां हर वक्त पहरा देना संभव नहीं हो पाता. रक्षामंत्रालय ने इसी तरह की स्वदेशी नेवल मूरड माइन की खरीद को मंजूरी दे दी है. इसका सबसे बड़ा काम होता है सुरक्षा. अगर समंदर तट पर किसी पोर्ट या नेवल बेस को हर वक्त सुरक्षित रखना पड़े तो दर्जनों जंगी जहाज भी कम पड़ जाएं. देश में एक दर्जन से ज्यादा मेजर पोर्ट हैं और 800 से ज्यादा माइनर पोर्ट मौजूद हैं. इन सबकी सुरक्षा के लिए ही अंडरवॉटर माइन का इस्तेमाल किया जाता है. पोर्ट में आने-जाने का एक नेविगेशन रूट होता है, जिसके जरिए सभी छोटे-बड़े जहाज पोर्ट में आते-जाते हैं. बाकी एरिया में माइन फील्ड बिछाई जाती है ताकि दुश्मन के सबमरीन के खतरे से निपटा जा सके.

नेवल माइन क्या होते हैं?
समंदर में माइन बिछाने का काम दशकों पुराना है. माइन 3 तरह की होती हैं: पहली फ्लोटिंग माइन यानी पानी के ऊपर तैरती रहती है, दूसरी मूरड माइन, जिसे एंकर के जरिए समंदर में डाल दिया जाता है, और तीसरी ग्राउंड माइन, जिसे समंदर की तलहटी में लगाया जाता है. 3 तरह के सेंसर इनपुट जैसे कि इलेक्ट्रो मैग्नेटिक, अकॉस्टिक और प्रेशर से माइन एक्टिवेट होती है. दुश्मन का कोई भी जहाज या पनडुब्बी इसके संपर्क में आते ही नष्ट हो जाती है. इसके अलावा डायरेक्ट हिट से भी माइन फटता है. इन माइन को तटीय इलाकों में बिछाया जाता है. तीन तरह से इन माइन फील्ड को बिछाया जाता है. एयरक्राफ्ट और सबमरीन से बिछाई जाने वाली माइन ऑफेसिंव ऑपरेशन का हिस्सा होता है.जब्कि सर्फेस माइन को डिफेंस के लिए बिछाई जाती है.

कैसे होता है एक्टिवेशन?
प्रेशर एक्टिवेशन- इस तकनीक के हिसाब से माइन पानी में एक सामान्य दबाव के तहत तैरती रहती है. लेकिन अगर कोई जहाज या सबमरीन उस माइन फील्ड के पास से गुजरती है तो माइन पर पड़ने वाला पानी का दबाव बदल जाता है या बढ़ जाता है. इस बदलाव को सेंसर तुरंत पकड़ लेते हैं और माइन ब्लास्ट हो जाती है.

मैग्नेटिक इंफ्लुएंस- इसमें सेंसर पानी के अंदर मेटल की गतिविधियों को पहचानता है. हर शिप का अपना अलग मैग्नेटिक सिग्नेचर होता है. जब भी कोई शिप इन माइन के आसपास से गुजरता है, माइन में मौजूद सेंसर या मैग्नेटोमीटर उसे डिटेक्ट कर लेते हैं और फिर माइन ट्रिगर हो जाती है.

अकॉस्टिक इंफ्लुएंस- इस माइन के सेंसर आवाज और उससे होने वाली वाइब्रेशन को पकड़ते और ट्रैक करते हैं. अगर माइन को किसी खास साउंड वेव या वाइब्रेशन पर सेट किया जाता है और किसी भी जहाज या सबमरीन के प्रोपेलर से आने वाली आवाज पहले से तय की गई सीमा से बाहर हो जाती है तो यह माइन एक्टिव हो जाती है.

डीआरडीओ ने तैयार किया स्मार्ट माइन
डीआरडीओ और भारतीय नौसेना ने मिलकर मल्टी-इन्फ्लुएंस ग्राउंड माइन का सफल परीक्षण किया है. यह एडवांस अंडरवॉटर नेवल माइन सिस्टम है. इसे विशाखापत्तनम स्थित नेवल साइंस एंड टेक्नोलॉजी लैब और डीआरडीओ लैब ने मिलकर विकसित किया है. इस नए माइन से भारतीय नौसेना की ताकत में जबरदस्त इजाफा होगा. दुश्मन का कोई भी स्टील्थ शिप हो या सबमरीन, कोई इस माइन से नहीं बच सकेगा क्योंकि मैग्नेटिक, अकॉस्टिक और प्रेशर एक्टिवेशन को इस एक माइन में शामिल कर दिया गया है. यह देश की पहली मल्टी-इन्फ्लुएंस स्मार्ट नेवल माइन है जो लो सिग्नेचर डिटेक्शन तकनीक से लैस है, जिससे इसे दुश्मन के रडार या सोनार से छुपाया जा सकता है. यह स्मार्ट एक्टिवेशन लॉजिक पर काम करती है. यह इतनी सटीक होती है कि गलत एक्टिवेशन की संभावना खत्म हो जाती है. अभी तक नौसेना जितने भी माइन का इस्तेमाल करती है, वे इन्हीं तीनों तकनीकों पर काम करने वाले हैं, लेकिन सभी अलग-अलग तरह से. इस नई माइन में तीनों को एक में ही शामिल कर लिया गया है.

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