खुलने वाला है गलवान, तैयारी अंतिम चरण में,पर्यटक महसूस करेंगे वीरता का एहसास

10 hours ago

Last Updated:July 07, 2025, 13:47 IST

GALWAN WAR MEMORIAL: सकराक और सेना ने जरिए बॉर्डर एरिया डिवेलपमेंट पर काफी काम किया गया है. वाइब्रेंट विलेज सहित कई प्रोजेक्ट शुरू किए गए हैं. अब ‘भारत रणभूमि दर्शन’ के जरिए टूरिस्टों की उन इलाकों में आवाजाही ब...और पढ़ें

खुलने वाला है गलवान, तैयारी अंतिम चरण में,पर्यटक महसूस करेंगे वीरता का एहसास

गलवान में रण भूमि दर्शन की तैयारियां अपने अंतिम दौर पर

हाइलाइट्स

गलवान वॉर मेमोरियल का उद्घाटन जल्द होगा.पर्यटकों के लिए कैफेटेरिया और गेस्ट हाउस तैयार.'भारत रणभूमि दर्शन' प्रोग्राम से टूरिज्म को बढ़ावा.

GALWAN WAR MEMORIAL: 15 जून 2020 को गलवान में भारत और चीन के बीच हिंसक झड़प हुई थी. इस दिन के बाद से दुनिया के दो बड़े देशों के बीच जंग की आहट तेज हो गई थी. हिंसक झड़प में भारतीय सेना के 20 सैनिक शहीद हो गए थे. चीन को भी भारी नुकसान हुआ था. अब ठीक 4 साल बाद एक बार फिर गलवान सुर्खियों में आने वाला है. अब जो लोग गलवान को सिर्फ खबरों के जरिए जानते थे, वे अब ग्राउंड जीरो पर जाकर उसे महसूस कर सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक, 15 जून के बाद से पर्यटकों जा जरूर रहे हैं. लेकिन वॉर मेमोरियल और कैफेटेरिया सहित बाकी जरूरी व्यवस्था पूरे नहीं थे वह अब अपने अंतिम चरण में हैं. माना जा रहा है कि इसी महीने गलवान वॉर मेमोरियल को देश को समर्पित किया जा सकता है.

वीरों की धरती के होंगे दर्शन
‘भारत रणभूमि दर्शन’ प्रोग्राम के जरिए गलवान के दरवाजे आम देशवासियों के लिए खोलने का ऐलान किया गया था. भारतीय थलसेना दिवस के मौके पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इस ‘भारत रणभूमि दर्शन’ प्रोग्राम को लॉन्च किया था. उसके बाद से प्लानिंग को तेज किया गया. चूंकि विषम परिस्थितियों और मौसम की दुश्वारियों के चलते तैयारियों में थोड़ा समय लगता है. सर्दियों में तो यहां तापमान हमेशा माइनस में ही रहता है. अप्रैल-मई के बाद जब थोड़ी गर्माहट आती है तभी काम हो सकता है. जैसे ही तापमान बढ़ना शुरू हुआ, पर्यटकों के घूमने जाने की व्यवस्था तैयार की जाने लगी. DSDBO रोड यानी दुर्बुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी रोड पर श्योक गांव तक तो लोग जाते थे, लेकिन 2020 के बाद से इस इलाके में स्थानीय निवासी और सेना के अलावा किसी की भी एंट्री नहीं है. भारतीय सेना ने अपने बहादुर शहीद सैनिकों के सम्मान में अक्टूबर 2020 में KM 120 पोस्ट पर गलवान वॉर मेमोरियल स्थापित किया था.

पर्यटकों के लिए गेस्ट हाउस और कैफेटेरिया की तैयारी
गलवान तक पहुंचने के लिए लेह से चांगला पास होते हुए दुर्बुक और फिर सीधे श्योक गांव से होकर निकला जाएगा. दुर्बुक के तिराहे से एक रोड पैंगोंग लेक के लिए जाता है और दूसरा सीधा दौलत बेग ओल्डी की तरफ. इस रूट पर आखिरी गांव श्योक गांव है. इस रूट में रहने और खाने-पीने की कोई खास व्यवस्था नहीं थी. टूरिस्ट आएंगे तो उनके लिए कैफेटेरिया, गेस्ट हाउस और अन्य सुविधाओं के लिए अस्थायी निर्माण किए जा रहे हैं. सेना के कैफे लगभग तैयार है. साथ ही श्योक गांव में रहने के लिए होम स्टे का भी प्रस्ताव है. जो भी गांव वाले चाहते हैं, उनकी मदद स्थानीय प्रशासन कर रहा है. पर्यटकों को अब इस इलाके में आने के लिए इनर लाइन परमिट लेने की झंझट से भी निजात मिल जाएगी. पर्यटकों को यहां तक पहुंचने के लिए इनर लाइन परमिट की जरूरत नहीं होगी, लेकिन रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा. रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन भी हो सकेगा और इसके सेंटर भी होंगे. हाई ऑल्टिट्यूड में जरूरी मेडिकल गाइडलाइन्स का भी पालन करना होगा.

रणभूमि दर्शन में क्या-क्या देख सकते हैं?
रणक्षेत्र टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए ‘भारत रणभूमि दर्शन’ प्रोग्राम की शुरुआत की गई है. इसके लिए इसी नाम से एक वेबसाइट बनाई गई है. इसमें ‘शौर्य गंतव्य’ सियाचिन बेस कैंप, लिपुलेख पास, बूमला, किबितु के साथ ही गलवान और डोकलाम को भी लोग देख सकेंगे. इन जगहों पर टूरिज्म को बढ़ावा दिया जा रहा है. देश के सभी लोग वीरों की गाथाओं से परिचित हों, इसलिए पूरा डिटेल प्लान तैयार किया गया है. शौर्य स्मारक के तौर पर गलवान वॉर मेमोरियल के अलावा तवांग, लोंगेवाला, सियाचिन वॉर मेमोरियल, ऑपरेशन मेघदूत मेमोरियल, जसवंतगढ़ वॉर मेमोरियल को शामिल किया गया है. शौर्य गाथा में 1947-48 भारत-पाकिस्तान युद्ध, 1962 युद्ध, 1965 भारत-पाकिस्तान युद्ध, बांग्लादेश मुक्ति संग्राम, ऑपरेशन मेघदूत, 1999 का करगिल युद्ध शामिल हैं.

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