Last Updated:May 20, 2025, 16:12 IST
PM Modi Bihar Visits: पीएम मोदी की बिहार यात्रा के दौरान क्या एनडीए में सीट शेयरिंग के मुद्दे को सुलझाने का भी प्रयास होगा? क्या सीट बंटवारे पर सीएम नीतीश कुमार और चिराग पासवान के बीच तनाव को कम करने के लिए पीए...और पढ़ें

भाजपा चिराग को 25-30 सीटें और नीतीश को 100+ सीटें देने में संतुलन बना पाएंगी?
हाइलाइट्स
पीएम मोदी 29 मई को बिहार दौरे पर जाएंगे.पीएम मोदी की यात्रा से एनडीए में सीट शेयरिंग सुलझ सकती है.नीतीश और चिराग के बीच तनाव कम करने की कोशिश होगी.पटना. बिहार में एनडीए के भीतर सीट शेयरिंग का मुद्दा क्या पीएम मोदी की पहल के बिना नहीं सुलझने वाला है? बिहार चुनाव से पहले एनडीए के भीतर सीट शेयरिंग का मुद्दा क्यों एक जटिल पहेली बना हुआ है? क्या पीएम मोदी की 29 मई को बिहार आना और रात को पटना में रुकना किसी सियासी संदेश की तरफ तो इशारा नहीं कर रहा है? पीएम मोदी 29 मई देर रात को पटना पहुंचेंगे. पीएम 30 मई को लोकनायक जयप्रकाश नारायण हवाई अड्डे के नए टर्मिनल भवन का उद्घाटन करेंगे और रोहतास के बिक्रमगंज में एक जनसभा को भी संबोधित करेंगे. पीएम मोदी चार महीने में तीसरी बार बिहार आ रहे हैं. खास बात यह है कि पीएम मोदी की पहलगाम हमले के बाद पहली सभा भी बिहार में हुई थी और ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली सभा भी 30 मई को बिहार में ही होने वाली है. पीएम मोदी एक दिन में पटना में रुके बिना भी कई योजनाओं का शिलान्यास और रैली दोनों एक दिन में कर सकते थे. 29 मई की रात को ही पटना में रुकने का आखिर मकसद क्या है? क्या नीतीश और चिराग पासवान में सीट शेयरिंग का मामला सुलझ नहीं रहा है? क्या बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी सीट शेयरिंग का मुद्दा नहीं सुलझा?
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के बीच तनावपूर्ण इतिहास इस प्रक्रिया को और पेचीदा बनाता है. सोमवार को पटना में केंद्रीय मंत्री और एलजेपी (रामविलास) के सुप्रीमो चिराग पासवान और सीएम नीतीश कुमार के बीच मुलाकात से बात नहीं बनी तो अब नया फॉर्मूला खोजा जा रहा है. सूत्रों की मानें तो चिराग और नीतीश में मुलाकात बीजेपी के एक बड़े नेता की पहल पर हुई थी. लेकिन लगता है कि बात नहीं बनी. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी बिहार यात्रा इस गतिरोध को तोड़ सकती है.
पीएम के साथ एक टेबल पर बैठेंगे चिराग और नीतीश?
एनडीए में सीट शेयरिंग की चुनौतियां बिहार विधानसभा की 243 सीटों के लिए एनडीए के घटक दलों भाजपा, जदयू, एलजेपी (रामविलास), हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम), और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) के बीच सीट बंटवारे पर सहमति बनाना आसान नहीं है. 2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए ने बिहार में 40 में से 30 सीटें जीतीं, जिसमें जदयू को 12, भाजपा को 12 और चिराग की एलजेपी को 5 सीटें मिली थीं. लेकिन विधानसभा चुनाव में सीटों की संख्या ज्यादा होने और स्थानीय समीकरणों के कारण यह प्रक्रिया जटिल है. चिराग पासवान 40 से अधिक सीटों की मांग कर रहे हैं, जबकि जेडीयू 100 से ज्यादा सीटों पर दावा ठोक रही है. भाजपा, जो नीतीश को गठबंधन का चेहरा बनाए रखना चाहती है, मध्यस्थ की भूमिका में है.
नीतीश-चिराग तनाव का समाधान निकलेगा?
चिराग और नीतीश के बीच 2020 के विधानसभा चुनाव में तनाव रहा, जब चिराग ने जदयू के खिलाफ उम्मीदवार उतारे, जिससे जदयू को लगभग तीन दर्जन सीटों का नुकसान हुआ. हालांकि, 2024 में चिराग ने एनडीए के साथ गठबंधन मजबूत किया और हाजीपुर सहित पांच सीटें जीतीं. पीएम मोदी, जिन्हें चिराग ने 2024 में गठबंधन का समर्थन करते हुए गले लगाया था, दोनों नेताओं के बीच विश्वास बहाली के लिए मध्यस्थता कर सकते हैं. उनकी मौजूदगी से नीतीश को आश्वासन मिल सकता है कि चिराग गठबंधन की एकता को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे.
सीट शेयरिंग का संभावित फॉर्मूला
सीट शेयरिंग का संभावित फॉर्मूला सूत्रों के अनुसार, भाजपा 100-110 सीटें, जेडीयू 90-100 सीटें, एलजेपी (रामविलास) 20-30 सीटें, और हम व आरएलएम को 2-7 सीटें मिल सकती हैं. पीएम मोदी की मौजूदगी में यह फॉर्मूला अंतिम रूप ले सकता है, क्योंकि उनकी स्वीकार्यता और रणनीतिक दृष्टिकोण गठबंधन के सभी दलों को एक मंच पर ला सकता है. 2020 में जेडीयू और भाजपा ने लगभग बराबर सीटें (115 और 110) साझा की थीं, जबकि एलजेपी को अलग राह चुनने के कारण नुकसान हुआ था. इस बार, चिराग की मांग को संतुलित करने के लिए भाजपा अपनी कुछ सीटें एलजेपी को दे सकती है, जैसा कि 2024 में हुआ था.
कुलमिलाकर, चिराग की 40+ सीटों की मांग जेडीयू के लिए स्वीकार करना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि नीतीश अपने कोर वोट बैंक (कुर्मी और ईबीसी) को मजबूत रखना चाहते हैं. पीएम मोदी की बिहार यात्रा और पटना में संभावित बैठक एनडीए के लिए सीट शेयरिंग के फॉर्मूले को अंतिम रूप देने का एक सुनहरा अवसर है. उनकी मध्यस्थता नीतीश और चिराग के बीच विश्वास की कमी को कम कर सकती है और राष्ट्रवादी भावनाओं का लाभ उठाकर गठबंधन को एकजुट किया जा सकता है. अगर भाजपा चिराग को 25-30 सीटें और नीतीश को 100+ सीटें देने में संतुलन बना पाती है, तो एनडीए 2025 में 220+ सीटों के अपने लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में मजबूत हो सकता है.