Last Updated:May 20, 2025, 23:18 IST
राहुल गांधी ने ऑपरेशन सिंदूर पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर की टिप्पणी को 'अपराध' करार दिया, जिससे विवाद बढ़ा. बीजेपी ने राहुल पर 'पाकिस्तान की भाषा' बोलने का आरोप लगाया.

राहुल गांधी के विदेश मंत्रालय पर सवाल उठाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है.(Image:PTI)
हाइलाइट्स
राहुल गांधी ने ऑपरेशन सिंदूर पर विदेश मंत्री की टिप्पणी को 'अपराध' कहा.बीजेपी ने राहुल पर 'पाकिस्तान की भाषा' बोलने का आरोप लगाया.राहुल के बयान अक्सर विवादों का केंद्र रहे हैं.नई दिल्ली. पहलगाम हमले के जवाब में भारत के ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी एक बार फिर से विवादों के घेरे में हैं. राहुल गांधी ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर के बयान को निशाने पर लेते हुए कहा कि इससे देश की सेना को नुकसान पहुंचा है. कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने हाल के वर्षों में विदेश मंत्रालय और विदेश नीति से जुड़े मुद्दों पर कई बार सवाल उठाए हैं. उनके बयान अक्सर विवादों का केंद्र रहे हैं. कुछ आलोचकों का मानना है कि ये सुर्खियों में बने रहने की रणनीति का हिस्सा हो सकते हैं. क्या राहुल गांधी के ये सवाल राष्ट्रीय हित में हैं, या महज राजनीतिक लाभ के लिए ‘ऊल-जुलूल’ बयान?
राहुल गांधी ने मई 2025 में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर विदेश मंत्रालय पर सवाल उठाए. उन्होंने 17 और 19 मई को X पर पोस्ट करते हुए पूछा कि क्या भारत ने ऑपरेशन से पहले पाकिस्तान को बताया था. यदि हाँ, तो इससे भारतीय वायुसेना को कितना नुकसान हुआ. उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर की कथित टिप्पणी को ‘अपराध’ करार दिया. विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान को ऑपरेशन शुरू होने के बाद सूचित किया गया था. बीजेपी ने राहुल पर ‘पाकिस्तान की भाषा बोलने’ का आरोप लगाया, जिससे उनके बयान को ‘ऊल-जुलूल’ बताने की कोशिश हुई.
गलवान और अन्य मौके
2022 में गलवान घाटी में भारत-चीन तनाव के बाद, राहुल ने विदेश मंत्रालय की चुप्पी और सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए. उन्होंने दावा किया कि सरकार ने पारदर्शिता की कमी दिखाई. 2025 में पहलगाम आतंकी हमले के बाद भी उन्होंने विदेश नीति को निशाना बनाया. आलोचकों का कहना है कि उनके बयान अक्सर तथ्यों पर कम और भावनात्मक अपील पर ज्यादा आधारित होते हैं, जो सुर्खियां बटोरने का आसान तरीका है.
रणनीति या सुर्खियां?
राहुल गांधी के समर्थक मानते हैं कि उनके सवाल सरकार को जवाबदेह बनाने के लिए जरूरी हैं, खासकर राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दों पर. वहीं, विरोधी दावा करते हैं कि उनके बयान असंगत और अतिशयोक्तिपूर्ण हैं, जो जनता का ध्यान खींचने के लिए दिए जाते हैं. उनकी आलोचनाएं, जैसे ऑपरेशन सिंदूर पर सवाल, अक्सर तथ्यों की पूरी जानकारी के बिना उठाई जाती हैं, जिससे विवाद बढ़ता है. कुल मिलाकर, राहुल गांधी के बयान विदेश नीति पर बहस छेड़ने में सफल रहे हैं, लेकिन उनकी विश्वसनीयता और मंशा पर सवाल उठते रहते हैं. क्या यह रणनीतिक विपक्षी राजनीति है या सुर्खियां बटोरने की कोशिश, यह जनता और विश्लेषकों के लिए विचार का विषय है.
Rakesh Singh is a chief sub editor with 14 years of experience in media and publication. affairs, Politics and agriculture are area of Interest. Many articles written by Rakesh Singh published in ...और पढ़ें
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