Last Updated:May 29, 2025, 21:32 IST
INDIAN AIRFORCE : ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान की धज्जियां उड़ा दी. लेकिन भारतीय वायुसेना फाइटर की कमी से दो चार हो रही है. वायुसेना प्रमुख ने साफ किया कि टेक्नॉलजी लगातार बदल रही है. ऑपरेशन स...और पढ़ें

वायुसेना प्रमुख के नाराजगी की वजह जायज
हाइलाइट्स
भारतीय वायुसेना ने फाइटर स्क्वाड्रन की कमी.तेजस मार्क 1A की डिलीवरी में देरी से वायुसेना प्रमुख नाराज.भारतीय वायुसेना को 42 फाइटर स्क्वाड्रन की जरूरत, फिलहाल 31 ही हैं.NEW DELHI: दिल्ली में CII बिजनेस समिट में एयरफोर्स चीफ एयर चीफ मार्शल ए पी सिंह ने एक बार फिर अपनी नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा कि जब कॉन्ट्रैक्ट साइन करते वक्त टाइमलाइन दी जाती है, तो उसे पूरा किया जाना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि मैं ऐसा कोई प्रोजेक्ट नहीं सोच पा रहा हूं जो वक्त पर पूरा हुआ हो. हम ऐसा वादा क्यों करते हैं जो पूरा नहीं किया जा सकता? वायुसेना प्रमुख ने किसी का नाम तो नहीं लिया, लेकिन इशारा तेजस LCA मार्क 1A की डिलिवरी को लेकर ही था. इससे पहले भी एयर चीफ ने अपनी नाराजगी जता चुके हैं.
नाराजगी की बड़ी वजह
भारतीय वायुसेना में कम हो रहे फाइटर स्क्वाड्रन सबसे बड़ी चिंता का कारण हैं. मौजूदा सुरक्षा जरूरतों के लिहाज से भारतीय वायुसेना को 42 फाइटर स्क्वाड्रन चाहिए, लेकिन फिलहाल सिर्फ 31 स्क्वाड्रन ही हैं. जिस तरह से नए फाइटर आने की रफ्तार है, उससे 31 स्क्वाड्रन से 42 करने में 15 साल का लंबा वक्त लग सकता है. मौजूदा दोतरफा चुनौती के कारण भारतीय वायुसेना को सिर्फ फाइटर जेट की जरूरत है. पहले 40 तेजस भारतीय वायुसेना के लिए लेने का करार हो चुका है, जिसके दो स्क्वाड्रन अब तक स्थापित किए जा चुके हैं. स्वदेशी निर्मित 83 तेजस मार्क 1A के लिए करार पूरा हो गया. डिलीवरी मार्च 2024 से होनी थी. टाइमलाइन जो तय की गई थी, उसे गुजरे हुए भी एक साल से ज्यादा हो चुका है. अब तक डिलीवरी शुरू ही नहीं हुई. यह पूरा प्रोजेक्ट 48 हजार करोड़ रुपये का है. साल 2021 में रक्षा मंत्रालय ने 83 तेजस मार्क 1A का ऑर्डर दिया था, जिससे कुल 4 स्क्वाड्रन बनेंगे. 5 अतिरिक्त स्क्वाड्रन के लिए 97 तेजस मार्क 1A की खरीद की मंजूरी भी दे दी गई है. तेजस के कुल 11 स्क्वाड्रन में 2 आ चुके हैं, बाकी 9 आने बाकी हैं.
वायुसेना के बेड़े की हालत
अगर हम 2035 तक की बात करें, तो फिलहाल मौजूद लड़ाकू विमानों में मिग 21, मिग 29 पूरी तरह से फेज आउट हो जाएंगे. वहीं, जैगुआर का पहला स्क्वाड्रन फेज आउट होना शुरू हो जाएगा. उसके बाद नंबर आएगा मिराज 2000 के फेज आउट होने का. अगर मौजूदा फाइटर फ्लीट की बात करें, तो मिग 21 बिस, मिग 21 टाइप 96 का स्क्वाड्रन और मिग 27 के स्क्वाड्रन पूरी तरह से फेज आउट हो चुके हैं. मिग 21 बाइसन के 4 स्क्वाड्रन में से 3 फेज आउट हो चुके हैं और बचा इकलौता स्क्वाड्रन भी जल्द फेज आउट हो जाएगा. भारतीय वायुसेना के मौजूदा फाइटर फ्लीट में मिग 29 अपग्रेड के 3 स्क्वाड्रन, मिराज 2000 के 3 स्क्वाड्रन और जैगुआर के 6 स्क्वाड्रन अपग्रेड हो चुके हैं. अब अगर हम इस कमी को पूरा करने की कोशिशों की बात करें, तो देश में निर्मित लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस या कहें LCA से पूरी की जानी है. फ्रंट लाइन फाइटर सुखोई 30 इस वक्त सबसे ज्यादा भारतीय वायुसेना के पास हैं, इनकी संख्या 250 से ऊपर है. 36 राफेल भी भारत के पास है.इसके अलावा बाकी कमी को दूर करने के लिए 114 MRFA (मल्टी रोल फाइटर एयरक्राफ्ट) की खरीद की तैयारी भी जारी है.
HAL का वचन कब होगा पूरा?
फरवरी में ही वायुसेना को तेजस मिलने में हो रही देरी पर HAL के CMD ने अपनी स्थिति साफ की थी. HAL के CMD ने कहा था कि इस साल मार्च में पहला इंजन अमेरिकी कंपनी GE की तरफ से मिल जाएगा. उन्होंने दावा किया था कि इस कैलेंडर ईयर में 12 और इंजन मिल जाएंगे. साथ ही यह भी दावा किया था कि साल 2031 तक 83 तेजस मार्क 1A मिल जाएंगे. अब दो साल से जो इंजन का इंतजार HAL का था, वह इंतजार भी खत्म हो गया. इसी साल 26 मार्च को जनरल इलेक्ट्रिक ने पहले इंजन की डिलीवरी कर दी है. भारत के तेजस मार्क 1A प्रोग्राम के लिए इंजन की डील अमेरिकी इंजन निर्माता कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (GE) के साथ साल 2021 में की गई थी. इस डील के तहत कुल 99 F404 इंजन की सप्लाई भारत को होनी है. कंपनी की तरफ से इंजन की डिलीवरी शुरू ना हो पाने के चलते प्रोग्राम लटका हुआ है.
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