दिल्ली में आज नीति आयोग की महत्वपूर्ण बैठक हो रही है, जिसमें पीएम मोदी के साथ देशभर के तमाम राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल हुए हैं. इस बैठक पर सबकी निगाहें इसलिए भी गड़ी है, क्योंकि 11 साल बाद पहली बार दिल्ली का कोई मुख्यमंत्री नीति आयोग की बैठक में हिस्सा ले रहा है. नीति आयोग भारत सरकार की प्रमुख नीति-निर्माण संस्था है. देश के विकास और आर्थिक नीतियों को आकार देने में यह अहम भूमिका निभाता है. इस बैठक के दौरान विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ केंद्र सरकार के बीच तालमेल और नीतिगत मुद्दों पर चर्चा होती है.
तो आइए समझते हैं कि नीति आयोग क्या है? यह कैसे काम करता है? मुख्यमंत्रियों की इसमें क्या भूमिका है, और दिल्ली की मुख्यमंत्री की भागीदारी क्यों खास है?
नीति आयोग क्या है?
नीति आयोग का पूरा नाम राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान ( Institution for Transforming India) है. यह भारत सरकार की एक नीति-निर्माण संस्था है. इसे 1 जनवरी 2015 को तत्कालीन योजना आयोग को भंग करके स्थापित किया गया था. 1950 से कार्यरत योजना आयोग को एक पुरातन और केंद्रीकृत संस्था माना गया, जो स्वतंत्र भारत की बदलती जरूरतों को पूरा करने में सक्षम नहीं थी. योजना आयोग की जगह नीति आयोग को लाने का मकसद एक अधिक गतिशील, समावेशी और सहकारी संघवाद पर आधारित नीति-निर्माण ढांचा तैयार करना था.
नीति आयोग का गठन भारत को एक आधुनिक, तकनीकी और समावेशी अर्थव्यवस्था में बदलने के लिए किया गया. यह केंद्र और राज्य सरकारों के बीच एक सेतु का काम करता है, ताकि नीतियों और योजनाओं को लागू करने में समन्वय बनाया जा सके. नीति आयोग का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय विकास एजेंडा को आगे बढ़ाना, दीर्घकालिक नीतियों को तैयार करना, और सरकार को रणनीतिक सलाह देना है. यह संस्था नवाचार, अनुसंधान, और डेटा-आधारित नीति-निर्माण को बढ़ावा देती है, ताकि भारत वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बन सके.
नीति आयोग कैसे काम करता है?
नीति आयोग का ढांचा योजना आयोग से काफी अलग है. जहां योजना आयोग केंद्रीकृत और ऊपर से नीचे की नीति-निर्माण प्रक्रिया पर आधारित था, वहीं नीति आयोग सहकारी संघवाद (Cooperative Federalism) को बढ़ावा देता है. इसका मतलब है कि यह केंद्र और राज्यों के बीच साझेदारी को प्रोत्साहित करता है.
नीति आयोग की संरचना इस प्रकार है:
अध्यक्ष: भारत के प्रधानमंत्री नीति आयोग के अध्यक्ष होते हैं. वर्तमान में, नरेंद्र मोदी इसके अध्यक्ष हैं.
उपाध्यक्ष: यह पूर्णकालिक पद है, जो नीति आयोग के दैनिक कार्यों का नेतृत्व करता है. वर्तमान में, सुरेश प्रभु नीति आयोग के उपाध्यक्ष हैं.
सदस्य: इसमें चार पूर्णकालिक सदस्य, दो अंशकालिक सदस्य (प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों, शोध संस्थानों से), और चार केंद्रीय मंत्रियों को पदेन सदस्य के रूप में शामिल किया जाता है.
गवर्निंग काउंसिल: इसमें सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, दिल्ली और पुदुचेरी के मुख्यमंत्रियों के साथ-साथ केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल शामिल होते हैं. यह काउंसिल नीति आयोग की सबसे महत्वपूर्ण इकाई है, जो नीतियों पर चर्चा और निर्णय लेती है.
मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO): यह पद भारत सरकार के सचिव के रैंक का होता है, जो प्रशासनिक कार्यों का नेतृत्व करता है. वर्तमान में, बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम नीति आयोग के CEO हैं.
नीति आयोग का मुख्य कार्य दीर्घकालिक नीतियों को तैयार करना, विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा देना, और केंद्र-राज्य समन्वय को मजबूत करना है. यह विभिन्न क्षेत्रों जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, पर्यावरण, और तकनीक पर नीतिगत सुझाव देता है. नीति आयोग ने हाल के वर्षों में कई महत्वपूर्ण पहल की हैं, जैसे ‘आयुष्मान भारत’, ‘डिजिटल इंडिया’, और ‘मेक इन इंडिया’ जैसे कार्यक्रमों में योगदान. इसके अलावा, यह सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने के लिए भी काम करता है.
मुख्यमंत्रियों की भागीदारी
नीति आयोग की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसमें राज्यों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाती है. गवर्निंग काउंसिल में सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को शामिल करके नीति आयोग यह सुनिश्चित करता है कि नीति-निर्माण में राज्यों की आवाज सुनी जाए. यह सहकारी संघवाद का एक बेहतरीन उदाहरण है, क्योंकि नीति आयोग राज्यों को अपनी जरूरतों और प्राथमिकताओं को राष्ट्रीय मंच पर लाने का अवसर देता है.
मुख्यमंत्रियों की भागीदारी नीति आयोग की बैठकों में महत्वपूर्ण होती है. इन बैठकों में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा होती है, जैसे कि आर्थिक विकास, स्वास्थ्य, शिक्षा, और बुनियादी ढांचा. मुख्यमंत्री अपनी समस्याओं और सुझावों को सीधे केंद्र के सामने रख सकते हैं, जिससे नीतियों को लागू करने में बेहतर समन्वय होता है. उदाहरण के लिए, नीति आयोग ने 2017 में ‘स्टेट स्टैटिस्टिक्स हैंडबुक’ जारी की थी, जिसमें हर राज्य के प्रमुख आंकड़ों को समेकित किया गया था, ताकि नीति-निर्माण में डेटा-आधारित नजरिया अपनाया जा सके.
आज की बैठक में भी मुख्यमंत्रियों की भूमिका अहम होगी. इस बैठक में भारत-पाकिस्तान तनाव, आर्थिक नीतियों, और सतत विकास जैसे मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है. इसके अलावा, हाल के वर्षों में नीति आयोग ने ‘इंडिया चेन’ जैसे प्रोजेक्ट्स पर काम शुरू किया है, जो एक राष्ट्रव्यापी ब्लॉकचेन नेटवर्क है. इस तरह के नवाचारों पर मुख्यमंत्रियों के सुझाव नीति आयोग के लिए महत्वपूर्ण हैं.
11 साल बाद दिल्ली की सीएम की भागीदारी
दिल्ली की मुख्यमंत्री का नीति आयोग की बैठक में हिस्सा लेना इस बार विशेष रूप से चर्चा का विषय है, क्योंकि यह 11 साल में पहली बार हो रहा है. दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश है और इसे नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल में प्रतिनिधित्व मिलता है. हालांकि पिछले 11 वर्षों से दिल्ली की ओर से इस बैठक में कोई भागीदारी नहीं हुई थी. इसका कारण दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच लंबे समय से चला आ रहा टकराव रहा है.
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अक्सर केंद्र सरकार पर दिल्ली के अधिकारों को सीमित करने का आरोप लगाया है. नीति आयोग की बैठकों में उनकी अनुपस्थिति को भी इसी टकराव का हिस्सा माना जाता था. हालांकि, दिल्ली में सत्ता बदल चुकी है और अब यहां सीएम रेखा गुप्ता के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार है. ऐसे में उनकी भागीदारी पर सभी की नजरें टिकी हैं. यह बैठक दिल्ली के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण है, क्योंकि दिल्ली में ट्रैफिक, प्रदूषण, और स्वास्थ्य सेवाओं जैसे मुद्दों पर केंद्र-राज्य समन्वय की जरूरत है.
नीति आयोग भारत की नीति-निर्माण प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण संस्था है, जो केंद्र और राज्यों के बीच समन्वय को बढ़ावा देता है. आज की बैठक, जिसमें दिल्ली की मुख्यमंत्री 11 साल बाद पहली बार हिस्सा ले रही हैं, एक सकारात्मक संकेत है. मुख्यमंत्रियों की भागीदारी नीति आयोग को राष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करती है. हालांकि, नीति आयोग को अपनी प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना होगा. यह बैठक न केवल भारत के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि केंद्र-राज्य संबंधों को मजबूत करने का भी एक अवसर है.