क्या नेहरू ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के बदले चीन को सीट दे दी

10 hours ago

संसद में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर बहस चल रही है. इसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने फिर से भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को कठघरे में खड़ा किया है. उन्होंने कहा कि भारत को संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में जगह मिल रही थी. अमेरिका ने भारत को इसका प्रस्ताव दिया लेकिन नेहरू ने इसे इनकार करके कहा – हम ऐसा नहीं कर सकते. चीन महान देश है. ये सीट उसको मिलनी चाहिए. अगर ये हमें मिली तो चीन से हमारे रिश्ते खराब हो जाएंगे.

हालांकि अमित शाह ने ये बात तीन साल पहले भी लोकसभा में तब कही थी जब अरुणाचल प्रदेश में तवांग सेक्टर के यांग्त्से इलाक़े में नौ दिसंबर को चीनी और भारतीय सैनिकों में झड़प हुई. तब विपक्ष ने इस मामले पर सरकार की चुप्पी को लेकर सवाल उठाए थे. तब भी अमित शाह ने कहा था कि नेहरू जी के प्रेम के कारण सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता बलि चढ़ गई. लेकिन क्या ऐसा है कि नेहरू के कारण भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता नहीं मिली थी?

नेहरू ने इसे संसद में खारिज किया था

27 सितंबर 1955 को नेहरू ने संसद में स्पष्ट रूप से इस बात को ख़ारिज कर दिया था कि भारत को सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य बनने का कोई अनौपचारिक प्रस्ताव मिला था.

27 सितंबर, 1955 को डॉ जेएन पारेख के सवालों के जवाब में नेहरू ने संसद में कहा था, ”यूएन में सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य बनने के लिए औपचारिक या अनौपचारिक रूप से कोई प्रस्ताव नहीं मिला था. कुछ संदिग्ध संदर्भों का हवाला दिया जा रहा है जिसमें कोई सच्चाई नहीं है. संयुक्त राष्ट्र में सुरक्षा परिषद का गठन यूएन चार्टर के तहत किया गया था और इसमें कुछ ख़ास देशों को स्थायी सदस्यता मिली थी. चार्टर में बिना संशोधन के कोई बदलाव या कोई नया सदस्य नहीं बन सकता है. ऐसे में कोई सवाल ही नहीं उठता है कि भारत को सीट दी गई और भारत ने लेने से इनकार कर दिया. हमारी घोषित नीति है कि संयुक्त राष्ट्र में सदस्य बनने के लिए जो भी देश योग्य हैं उन सबको शामिल किया जाए.”

क्या है इतिहास?

कहा जाता है कि 1950 के दशक में, भारत संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में चीन को शामिल किए जाने का एक बड़ा समर्थक था. तब यह सीट ताइवान के पास थी. 1949 में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना के उद्भव के बाद से, चीन का प्रतिनिधित्व च्यांग काई-शेक के रिपब्लिक ऑफ़ चाइना का शासन करता था, न कि माओं का पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना. संयुक्त राष्ट्र ने पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना को यह सीट देने से इनकार कर दिया था.

क्या अमेरिका ने भारत को सुरक्षा परिषद सीट ऑफर की थी?

1950 के दशक में अमेरिका और सोवियत संघ के बीच शीत युद्ध चरम पर था. उस समय चीन (चीनी राष्ट्रवादी – ताइवान) की जगह People’s Republic of China (PRC) को सुरक्षा परिषद की स्थायी सीट देने को लेकर बहस चल रही थी.

1955 में नेहरू को लेकर एक पत्राचार सामने आया जिसमें उन्होंने कहा कि भारत को UNSC की सीट देने की चर्चाएं हैं, लेकिन उन्होंने इसे “अनौपचारिक सुझाव” बताया. यह भी कहा कि भारत इसे नहीं लेना चाहता क्योंकि इससे चीन के साथ संबंध बिगड़ेंगे.

नेहरू ने 1955 में लिखा था:
“हम ऐसे किसी भी कदम का पक्ष नहीं लेंगे जो चीन को संयुक्त राष्ट्र से बाहर रखेगा.” (We are not going to be a party to any move that would keep China out of the United Nations)

इससे संकेत मिलता है कि नेहरू संयुक्त राष्ट्र में चीन की स्थायी सदस्यता का समर्थन कर रहे थे, क्योंकि चीन एशिया का एक प्रमुख देश था और उसे बाहर रखना गलत मानते थे.

क्या UNSC की सीट सच में भारत को ऑफर हुई थी?

इस संबंध में कोई आधिकारिक या लिखित प्रस्ताव भारत को अमेरिका या संयुक्त राष्ट्र की ओर से नहीं मिला था. अमेरिका ने कुछ अनौपचारिक सुझाव जरूर दिए थे कि अगर चीन को बाहर रखा जाता है, तो भारत को सीट मिल सकती है, लेकिन यह आधिकारिक प्रस्ताव नहीं था. विदेश नीति विशेषज्ञों और इतिहासकारों (जैसे सुभाष कश्यप, शशि थरूर आदि) का भी यही मानना है कि यह दावा अतिरंजित है.

नेहरू का तर्क क्या था?

नेहरू का मानना था, चीन एक बड़ा देश है, उसे UNSC में शामिल न करना अनुचित होगा. भारत को अपने नैतिक दृष्टिकोण और पंचशील नीति पर टिके रहना चाहिए. भारत के पास तब न सैन्य ताकत थी, न वैश्विक राजनीतिक दबदबा – ऐसे में वह इस भूमिका के लिए तैयार नहीं था.

लिहाजा तथ्य ये है कि नेहरू ने चीन के लिए सुरक्षा परिषद की सदस्यता का समर्थन किया था. लेकिन उन्होंने भारत की स्थायी सदस्यता को लेकर कोई औपचारिक प्रस्ताव ठुकराया नहीं था, क्योंकि ऐसा कोई औपचारिक प्रस्ताव था ही नहीं.

यह कहना कि “नेहरू ने भारत की सीट चीन को दे दी”- एक राजनीतिक अतिशयोक्ति है, जिसका कोई ठोस दस्तावेजी आधार नहीं है.

कुछ संदर्भ और सोर्स

1. नेहरू के पत्र (1955) – भारतीय विदेश नीति के दस्तावेज
(Source: Selected Works of Jawaharlal Nehru (Second Series, Volume 28), Jawaharlal Nehru Memorial Fund)
नेहरू ने लिखा था,
“अनौपचारिक सुझाव दिए गए हैं कि चीन को संयुक्त राष्ट्र से बाहर रखा जाना चाहिए और भारत को सुरक्षा परिषद में उसकी जगह लेनी चाहिए। हमने ऐसे सुझावों पर पक्ष लेने से इनकार कर दिया है…”
(Informal suggestions have been made that China should be kept out of the United Nations and India should take her place in the Security Council. We have refused to be a party to such suggestions…)
– यह बात साफ़ जाहिर करती है कि ये केवल अनौपचारिक प्रस्ताव था. भारत ने सैद्धांतिक रूप से इसे खारिज किया क्योंकि भारत चीन को संयुक्त राष्ट्र से बाहर रखने का समर्थक नहीं था.

2. शशि थरूर (पूर्व UN डिप्लोमैट व कांग्रेस नेता)
(Source: Interview with India Today and his book “Pax Indica”)
थरूर ने कहा,
“अमेरिका की ओर से भारत को सुरक्षा परिषद की सदस्यता का कभी औपचारिक प्रस्ताव नहीं दिया गया. जो चर्चा हुई वह अनौपचारिक विकल्प थे. नेहरू ने स्पष्ट कर दिया था कि भारत चीन की जगह नहीं लेना चाहता.”
(“There was never a formal offer of a Security Council seat to India by the US. What was discussed were informal options, and Nehru made it clear India didn’t want to take China’s place.”)
यानि शशि थरूर ने भी स्पष्ट किया कि यह दावा ऐतिहासिक रूप से अतिरंजित है.

3. पूर्व विदेश सचिव महाराजकृष्ण रसगोत्रा
( Source: Times of India Interview, June 2015)
उन्होंने दावा किया कि 1955 में अमेरिका ने USSR से संपर्क करके भारत को UNSC सीट दिलवाने की पेशकश की थी, लेकिन भारत ने इसे ठुकराया क्योंकि नेहरू का मानना था कि चीन को निकालकर भारत को सीट देना गलत होगा.
हालांकि यह बयान नेहरू के पत्रों के दस्तावेजी प्रमाणों से मेल नहीं खाता, जिससे पता चलता है कि अमेरिका की ये “पेशकश” भी शायद अनौपचारिक या कूटनीतिक स्तर पर सीमित थी.

4. के नटवर सिंह (पूर्व विदेश मंत्री)
( Source: Interview -The Hindu, 2010)
उन्होंने भी कहा,
“यह एक मिथक है कि नेहरू ने सुरक्षा परिषद की सीट लेने से इनकार कर दिया था। इसकी कभी औपचारिक पेशकश नहीं की गई थी.”
(“It is a myth that Nehru declined a Security Council seat. It was never formally offered.”)

5. UNSC की सदस्यता का इतिहास
(Source: United Nations official archives)
UNSC की स्थापना 1945 में हुई. 5 स्थायी सदस्य (P5) – अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, सोवियत संघ USSR (अब रूस), और चीन – उसी वक्त तय किए गए थे.
1971 में PRC यानि पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (People’s Republic of China) को ताइवान (ROC) की जगह दी गई. भारत को स्थायी सदस्यता देने का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड UNSC की स्थापना में नहीं था.

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