Last Updated:September 06, 2025, 12:28 IST

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच संबंधों में हाल के महीनों में तनाव देखा गया है, लेकिन क्या दोनों नेताओं की दोस्ती फिर से पटरी पर लौट सकती है? यह सवाल वैश्विक कूटनीति में चर्चा का केंद्र बना हुआ है. भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव और 50 फीसदी टैरिफ के बावजूद दोनों देशों के रिश्तों को मजबूत करने का अवसर क्वाड (क्वाड्रिलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग) समिट में मिल सकता है. इस समिट को भारत इस साल नवंबर में आयोजित करने वाला है.
ट्रंप ने हाल ही में अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों को एकतरफा आपदा करार दिया और भारत पर रूसी तेल खरीदने के लिए 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ सहित कुल 50 फीसदी टैरिफ लगाया. उन्होंने यह भी दावा किया कि भारत ने टैरिफ को शून्य करने की पेशकश की, लेकिन यह देर से हुआ. दूसरी ओर, भारत ने इन टैरिफ को अनुचित, अनपेक्षित और अनुचित बताया. इसके बावजूद पीएम मोदी ने ट्रंप के साथ शब्दों की जंग में हिस्सा नहीं लिया और इसे आर्थिक स्वार्थ करार देकर अपनी प्रतिक्रिया को संयमित रखा.
शनिवार को ट्रंप के सकारात्मक बयान, जिसमें उन्होंने कहा- मैं हमेशा मोदी का दोस्त रहूंगा, वह शानदार हैं और भारत-अमेरिका का रिश्ता विशेष है, चिंता की कोई बात नहीं. इसके जवाब में मोदी ने भी ट्वीट किया- मैं राष्ट्रपति ट्रंप के सकारात्मक आकलन और भावनाओं की सराहना करता हूं और इसे पूरी तरह से पारस्परिक भाव रखता हूं. भारत और अमेरिका का एक सकारात्मक और भविष्योन्मुखी वैश्विक रणनीतिक साझेदारी हैं. यह दोनों नेताओं के बीच हाल के महीनों में पहला संवाद था, भले ही यह केवल सोशल मीडिया तक सीमित रहा हो.
दोनों नेताओं के बीच फोन कॉल की संभावना बढ़ी
भारत ने टैरिफ विवाद को परिपक्व और व्यावहारिक ढंग से संभाला है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने ट्रंप के खिलाफ कोई तीखी टिप्पणी नहीं की और विश्वास जताया कि जल्द ही स्थिति बेहतर होगी. भारत की इस संयमित प्रतिक्रिया ने ट्रंप को तनाव कम करने का अवसर दिया है, जिससे दोनों नेताओं के बीच जल्द ही फोन कॉल की संभावना बढ़ी है. आखिरी बार दोनों नेताओं ने 17 जून को बात की थी.
ट्रंप के क्वाड में आने पर अनिश्चितता
हालांकि, ट्रंप के भारत में क्वाड समिट में भाग लेने के फैसले पर अनिश्चितता बनी हुई है. न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार ट्रंप ने भारत यात्रा की योजना रद्द कर दी है, जो पहले स्वीकार की गई थी. यह निर्णय व्यापार तनाव और भारत की रूस के साथ तेल खरीद नीति को लेकर अमेरिका की नाराजगी को दर्शाता है. भारत ने रक्षा सौदों को रोकने की खबरों को खारिज किया, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह तनाव क्वाड जैसे संयुक्त क्षेत्रीय पहलों को प्रभावित कर सकता है.
भारत इस साल संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में विदेश मंत्री एस. जयशंकर के नेतृत्व में प्रतिनिधित्व करेगा. इसमें पीएम मोदी भाग नहीं ले रहे हैं. यह कोई असामान्य बात नहीं है, क्योंकि मोदी ने अपने 11 साल के कार्यकाल में केवल चार बार UNGA को संबोधित किया है. फिर भी, क्वाड समिट पर सभी की निगाहें टिकी हैं, जहां ट्रंप और मोदी की मुलाकात रिश्तों को नई दिशा दे सकती है.
ट्रंप और मोदी के बीच व्यक्तिगत तालमेल पहले भी भारत-अमेरिका संबंधों का आधार रहा है. 2019 में ह्यूस्टन में हाउडी मोदी और 2020 में अहमदाबाद में नमस्ते ट्रंप जैसे आयोजनों ने उनकी दोस्ती को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित किया था. लेकिन हाल के तनाव, खासकर रूसी तेल और भारत-पाकिस्तान मुद्दे पर ट्रंप के दावों ने इस रिश्ते को तनावपूर्ण बना दिया है.
क्वाड समिट, जिसमें अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं, दोनों नेताओं के लिए रिश्तों को सुधारने का एक महत्वपूर्ण मंच हो सकता है. भारत की रणनीतिक स्वायत्तता और रूस-चीन के साथ उसकी साझेदारी ने अमेरिका में कुछ चिंताएं पैदा की हैं, लेकिन भारत-अमेरिका रिश्ता लंबे समय तक मजबूत बना रहेगा, क्योंकि दोनों देशों के बीच रक्षा, प्रौद्योगिकी और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में गहरे हित जुड़े हैं.
विश्व की सबसे बड़ी और सबसे पुरानी लोकतांत्रिक शक्तियों के बीच यह दोस्ती भले ही तनाव के दौर से गुजर रही हो, लेकिन यह टूटी नहीं है. आने वाले महीने यह तय करेंगे कि क्या ट्रंप और मोदी की व्यक्तिगत केमिस्ट्री फिर से भारत-अमेरिका संबंधों की धुरी बन सकती है.
न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
First Published :
September 06, 2025, 12:28 IST