क्या उम्रकैद को तय समय की सजा में बदला जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट करेगा फैसला

3 hours ago

Last Updated:September 18, 2025, 09:19 IST

सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि क्या उम्रकैद की सजा को अदालतें तय अवधि की सजा (जैसे 20 या 30 साल) में बदल सकती हैं. यह मामला पूर्व पादरी एडविन पिगारेज़ से जुड़ा है, जिसे नाबालिग से यौन शोषण के लिए उम्रकैद मिली थी, जिसे केरल हाईकोर्ट ने 20 साल कर दिया था.

क्या उम्रकैद को तय समय की सजा में बदला जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट करेगा फैसलाप्रतिकात्मक तस्वीर

Can Life Sentences Be Converted Into Fixed Terms: भारत का सर्वोच्च न्यायालय यानी सुप्रीम कोर्ट अब एक अहम कानूनी सवाल पर विचार करने जा रहा है. दरअसल, कोर्ट इस बात पर विचार कर रहा है कि क्या किसी अपराधी को दी गई उम्रकैद की सजा को अदालत तय सालों की निश्चित सजा (जैसे 20 या 30 साल) में बदल सकती है? यह सवाल तब उठा है, जब एक निचली अदालत ने एक आरोपी को उम्रकैद की सजा दी थी, लेकिन केरल हाईकोर्ट ने उसे बदलकर 20 साल की सजा कर दी. अब सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि ऐसा करना कानूनन सही है या नहीं.

क्या है पूरा मामला?

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, यह मामला एक पूर्व कैथोलिक चर्च के वाइकर (पादरी) एडविन पिगारेज से जुड़ा है. उस पर आरोप था कि उसने 2014 से 2015 के बीच कई बार अपनी ही चर्च की एक नाबालिग लड़की (कक्षा 8वीं की छात्रा) का यौन शोषण किया है. इस शोषण के खिलाफ लड़की की मां ने 1 अप्रैल 2015 को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी.

जब यह मामला अदालत पहुंचा, तो ट्रायल कोर्ट ने पिगारेज को भारतीय दंड संहिता (IPC) और पॉक्सो अधिनियम (POCSO) की कई धाराओं के तहत दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी. हालांकि, बाद में केरल हाईकोर्ट ने सजा को संशोधित करते हुए उसे 20 साल के लिए बिना किसी छूट (बिना रिमिशन) के कैद की सजा दी.

अब सुप्रीम कोर्ट क्या लेगा फैसला?

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की बेंच ने बुधवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि वे यह तय करेंगे कि क्या संवैधानिक अदालतें उम्रकैद को एक निश्चित अवधि की सजा में बदल सकती हैं.

कोर्ट का कहना था कि अक्सर ऐसे गंभीर अपराधों में, जहां मौत की सजा (फांसी) को ज्यादा कठोर माना जाता है, लेकिन अपराध ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ कैटेगरी में नहीं आता, तो अदालतें उम्रकैद की जगह तय सालों की सजा (जैसे 20 या 30 साल) भी देती हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि उम्रकैद मिलने पर आरोपी 14 साल जेल काटने के बाद रिमिशन (सजा में छूट) के लिए एलिजिबल हो जाता है.

पिगारेज के केस में वह लगभग 10 साल की सजा पहले ही काट चुका है. उसके वकील आर. बसंत ने अपील लंबित रहने के दौरान जमानत की मांग की थी, जिसे बेंच ने स्वीकार कर लिया. कोर्ट ने कहा कि चूंकि वह 20 साल की सजा का लगभग आधा हिस्सा काट चुका है, इसलिए अपील पर फैसला आने तक उसे जमानत दी जा रही है.

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First Published :

September 18, 2025, 09:19 IST

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